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आत्मा का योग परमात्मा से जानिए प्रभू मिलन कैसे होगा(ओ.पी.तिवारी) - Samadhan-B.K. OP Tiwari

आत्मा का योग परमात्मा से जानिए प्रभू मिलन कैसे होगा(ओ.पी.तिवारी)

आत्मा का योग परमात्मा से जानिए प्रभू मिलन कैसे होगा(ओ.पी.तिवारी)

परमात्मा का अवतरण: कब, कैसे और आत्मा का योग!

नमस्कार दोस्तों!

आज हम एक अत्यंत गहन और रहस्यमय विषय पर चर्चा करेंगे – परमात्मा का अवतरण

यह एक ऐसा विषय है जिस पर सदियों से ऋषि-मुनियों, दार्शनिकों और आध्यात्मिक विद्वानों ने विचार किया है।

क्या परमात्मा सचमुच अवतरित होता है?

यदि हाँ, तो वह कब और कैसे अवतरित होता है?

आत्मा का परमात्मा से मिलन कैसे होता है?

इन प्रश्नों का उत्तर ढूंढने के लिए, हमें पहले परमात्मा और आत्मा की अवधारणाओं को समझना होगा।

परमात्मा को सर्वोच्च सत्ता, ब्रह्मांड का निर्माता और नियंत्रक माना जाता है।

वह अनंत, सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान है।

आत्मा को जीवित प्राणी का सार माना जाता है।

यह अमर, अविनाशी और परमात्मा का अंश है।

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, परमात्मा समय-समय पर अवतार लेता है।

ये अवतार विभिन्न रूपों में हो सकते हैं, जैसे कि मनुष्य, जानवर या प्राकृतिक घटनाएं।

इन अवतारों का उद्देश्य धरती पर बुराई का नाश करना, सदाचार की स्थापना करना और भक्तों को मोक्ष का मार्ग दिखाना होता है।

परमात्मा के अवतारों के कुछ प्रसिद्ध उदाहरण हैं:

  • भगवान विष्णु के दस अवतार, जिनमें राम, कृष्ण, कल्कि आदि शामिल हैं।
  • भगवान शिव के विभिन्न रूप, जैसे कि नटराज, महादेव, आदि।
  • देवी दुर्गा के विभिन्न रूप, जैसे कि काली, चंडी, आदि।

आत्मा का परमात्मा से मिलन एक लंबी और कठिन यात्रा है।

इस यात्रा में, आत्मा को कई जन्मों से गुजरना पड़ता है और विभिन्न प्रकार के अनुभवों का सामना करना पड़ता है।

इस यात्रा का लक्ष्य मोक्ष प्राप्त करना है, जो कि जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति है।

आत्मा का परमात्मा से मिलन के लिए कुछ महत्वपूर्ण तरीके हैं:

  • कर्मयोग: कर्मयोग का अर्थ है निस्वार्थ भाव से कर्म करना। फल की इच्छा किए बिना कर्म करने से आत्मा शुद्ध होती है और परमात्मा के करीब जाती है।
  • ज्ञानयोग: ज्ञानयोग का अर्थ है आत्म-ज्ञान प्राप्त करना। जब आत्मा को अपनी वास्तविक प्रकृति का ज्ञान हो जाता है, तो वह परमात्मा से मिल जाती है।
  • भक्तियोग: भक्तियोग का अर्थ है परमात्मा के प्रति प्रेम और भक्ति भाव रखना। सच्ची भक्ति से आत्मा परमात्मा से मिल जाती है।

यह भी याद रखना महत्वपूर्ण है कि:

  • परमात्मा प्राप्ति के लिए धैर्य और लगन की आवश्यकता होती है। यह एक रातोंरात होने वाली प्रक्रिया नहीं है।
  • प्रत्येक व्यक्ति की आत्मा की यात्रा अलग होती है। किसी भी एक निश्चित तरीके से परमात्मा प्राप्ति की गारंटी नहीं दी जा सकती है।
  • सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें अपने आध्यात्मिक विकास पर ध्यान देना चाहिए और परमात्मा के प्रति समर्पित रहना चाहिए।

आशा है कि यह ब्लॉग आपकोपरमात्मा के अवतार और आत्मा के योग के बारे में समझने में मदद करेगा।

शुभकामनाएं!

अतिरिक्त टिप्पणियाँ:

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0:06ओम शांति

0:23[संगीत]

0:33जो है उसे सुनने में थोड़ा कठिन लगता है

0:38लेकिन कठिन है नहीं क्योंकि योग का अर्थ होता है जो जोड़ना या

0:47मिलना यार अगर हम याद करना चाहते हैं या मिलना चाहते

0:55हैं तो सहज लगता है दुनिया में laukikta में सभी लोग योग करते

1:02हैं बच्चे का योग मैन से मैन का योग पति और पिता से है

1:11भाई का भाई से है भाई का बहन से है विद्यार्थी का अध्यापक से है

1:17कर्मचारी का अधिकारी से है पेशेंट का योग डॉक्टर से सब लोग योग 28

1:25जुड़े हुए एक दूसरे से तो यहां हम चर्चा करेंगे की आत्मा का योग

1:33परमात्मा से अब प्रश्न हो सकता है की भाई हम

1:40परमात्मा सहयोग क्यों लगे क्यों उनको याद करें

1:46क्या फायदा होगा लाभ क्या होगा तो हम लोग पहले लाभ ही चाहिए

2:04की दुनिया में जितने भी लाभ है तो सब परमात्मा का दिया हुआ है उनकी वजह

2:11से सारे लाभ मिलते हैं लेकिन यहां मुख्य रूप से तीन लाभ की बात

2:18करेंगे हम लोग पहला है

2:24की जब आत्मा परमात्मा से मिलते हैं

2:30तो हमारे द्वारा जाने अनजाने जो भी पाप कर्म किए जा चुके हैं

2:36उसे वह हंसी हो जाता है क्योंकि पाप भस्म करने के दो ही तरीके हैं

2:42या तो परमात्मा जो है जैसे हैं याद करके भस्म करें

2:56भूगोल के अपना आपस में करेंगे सब यही चाहेंगे की

3:02सहजता से हम बाबा को याद करें हमारे पास अब प्रश्न ये हो सकता है की भाई याद करने

3:10से पाप कैसे तो जैसे बिजली का तार है उसमें धारा करंट

3:19ए रहा है अब दूसरे टच करेंगे उसे पार्किंग होता है

3:27और धुना भी निकलता और उसके बाद उस्ताद में भी धारा प्रवाह

3:32होने लगता है बिजली का उसी तरह से आत्मा जो परमात्मा से मिलते

3:39हैं परमात्मा को एक घर की ओर आत्मा दिखाई

3:47तो जब मिलते हैं तो इस पार्किंग होता है अर्थात एक योग अग्नि की उत्पत्ति होती है

3:55और उसे अग्रणी में हमारे आप भस्म होने लगते हैं क्योंकि वहां से धारा थोड़ा होकर

4:02के आत्महत्या पहुंच टी क्योंकि मैन बुद्धि आत्मा की सुख सूत्र में निर्यां हैं और मंदबुद्धि के द्वारा

4:08ही हम परमात्मा से मिलते हैं तो कनेक्शन हो गया अर्थात उनके धारा हमारे

4:16aatmhat पहुंचेगी तो उसे में वो जल जाते हैं ये तरीका है वापस

4:24अब दूसरा लाभ क्या है दूसरा लाभ ये है की जब आत्मा परमात्मा से मिलते

4:34तो परमात्मा के गुण उसमें प्रवाहित होने लगते हैं और प्रवाहित हो करके आत्मा तक

4:40पहुंचने हैं और उससे जो स्पंदन होता है

4:47उससे जो सुख मिलता है उसको अति इंद्रेश कहा जाता है

4:55वो मिलेगा तो वही से मिलेगा जो की वही है और अतिम में सुख का मतलब होता है यह जो

5:04हमारे शरीर की क्रम में नहीं है और आत्मा की कर्म दिया इनसे बड़े जो सुख मिलता है

5:10इनके द्वारा भी सुख मिलता है जैसे कोई बहुत खुशी की बात सन ले

5:16तो मैन में बहुत खुशी ए जाती है ना लेकिन वो इंद्रियों के द्वारा लेकिन ये जो अति इंद्रिय कृषि है आनंद से

5:25परम आनंद रहते हैं

5:31और उसका सुख हमको मीडिया में सारे

5:39रास्ता नहीं कोई ऐसा विकल्प नहीं की हमको वो अतिरिक्त

5:46दूसरा फायदा तीसरा फायदा यह होता है की जब हम परमात्मा

5:52की सानिध्य में लगते हैं उनकी याद में रहते हैं उनकी अंग संग रहते हैं उनकी छत्रछाया में

6:01आते हैं तो उनका पूरा सहयोग हमको मिलता है 100%

6:07laukikta में मैन लीजिए की किसी बड़े विप से

6:15बड़े पावरफुल व्यक्ति से हमारा संपन्न हो परिचय

6:47यहां संपर्क हो नहीं गया तो पता चलता है की जिनसे हमने संयोग के लिए संपर्क किया

6:54है वो खुद बिजी है या यह भी होता है की वो आउट ऑफ स्टेशन

7:00अर्थात दूर बनारस हूं मुंबई रोड दिल्ली हो मत्ता हूं तो कैसे हमारा सहयोग करेंगे

7:07परिस्थिति यदि है तो हटा की एक अभी है लेकिन थोड़ी देर बाद थोड़ी दिखाई

7:16लेकिन परमात्मा का यहां जो मोबाइल सेट है कनेक्शन वो कभी बिजी नहीं होता तो सदैव

7:23बच्चों के लिए पूरा रहता है जब भी ऐसे ही करें बात हो जाती है संपर्क हो जाए दूसरी

7:29बात वो कभी बिजी नहीं है क्योंकि उनके अंदर इतनी क्षमता कैपेसिटी

7:35है की एक साथ लाखों आत्माओं से बात कर सकते हैं और लाखों का सहयोग कर सकते हैं

7:42और वो खुद अपने बच्चों की सहयोग के लिए तत्पर रहते हैं तैयार रहते हैं

7:51लेकिन आने में सेकंड का समय भी नहीं लगता है इसलिए सहयोग हमारा उनको सदैव रहता है

8:00जैसे एक बार

8:06एक आदमी था परम भक्त था परमात्मा का हमेशा हमको याद

8:12करता था उनके बगैर रास्ते पर चलता था श्रीमद् पर चलता था वह आदमी और जहां भी वो

8:19जाते द तो उनको साथ लेकर बाबा

8:25एक बार

8:31उंगली पड़कर के बाबा तू जाते-जाते चूंकि दीदी जमीन थी तो पीछे

8:39मुड़कर उन्होंने देखा तो चाह करके इंसान द तो उनके और जो बाबा

8:45जाते-जाते कुछ लोग गए तो

8:51परिस्थिति आई कर देखा तो वही पैरों के निशान

9:02पकड़ कर चल रहे द लेकिन परिस्थिति के समय आप हम ना साथ छोड़ दिए

9:09अब बाबा ने कहा की बच्चे में तब भी तुम्हारे साथ था और अब

9:16भी तुम्हारे साथ तुम देख रहे हो तुम्हारे नहीं हो तो मैंने

9:23है क्योंकि उसे समय मैं तुमको अपने गोद में

9:29उठा लिया [संगीत] तो वो बच्चा बड़ा खुश हुआ

9:36और अपने विचार जो आए द उल्टे उसके लिए शर्मिंदा हुआ माफी मांगना

9:42तो इस तरह से समझने की बातें हैं की परमात्मा का सहयोग सदैव हमारे साथ है अगर

9:50उनके अंग संघ हेतु जिम्मेदार नहीं

9:56तो इसीलिए याद जो है यह बहुत महत्वपूर्ण है यार मानव के क्षेत्र छाया

10:04अब ये मुख्य रूप से 3 लाख लोगों को मिल गया अब प्रश्न यह है की भाई हम सहायता से याद

10:13कैसे करेंगे ऐसी कौन सी विधि है की सहज रूप से हमारे रूप की याद रहे हमको

10:20क्योंकि हर रोज सहायता चाहते आसानी चाहते हैं इसका नाम व्यास कहा जरा

10:32आसान होता है बैठने के लिए कैसे दूसरी है सोफा है

10:39चौकी है चारपाई जो भी है

10:44सबके चार बहन अगर मजबूर करें

10:51पप्पू व्यक्ति आराम से बैठ सकता है मैं कम कर सकता है अगर कोई एक पाया कमजोर हुआ

10:59या टूटा हुआ तुम नहीं बैठ सकते हैं उसी तरह से शहराज योगी के लिए आसान के

11:09चार स्तंभ अर्थात चार पाए अर्थात चार बैठने के लिए उपाय हैं

11:15अब चार वायर में कौन-कौन से हैं तो पहला है संकेतन

11:23दूसरा है शुद्ध भोजन तीसरा है पवित्रता और चौथा है

11:32ये चार पाई बारी बारी से इसकी संबंध में हम लोग चर्चा करेंगे

11:45इसीलिए उनको सत्यम शिवम सुंदरम कहा जाता है

11:50तो परमात्मा का संग ही सत्संग

11:55आभूषण कैसे होगा

12:01जब उनके 3:30 में रहेंगे और उनके mahabakshon को सुनेंगे

12:09उसका अमल करेंगे उसे पर चलेंगे तो यह satyasang में हम हैं

12:16अब संघ का रंग तो बहुत लगता है

12:22अगर संघ सत्य है श्रेष्ठ है तो प्रभाव हम

12:27पर भी पढ़ता है [संगीत]

12:37आग में लगाते हैं तो कुछ ही समय के बाद

12:45आपका हो जाता है वो भी आज की तरह से गर्म हो जाता है

12:50अर्थात थोड़ी ही देर के संस्कार उसे पर भी लग गया

12:57[संगीत]

13:03तो बारिश का पानी एकदम शुद्ध होता है [संगीत]

13:10लेकिन वही बात इसका पानी अगर समुद्र में गिरता है तो खड़ा हो जाता

13:16है santangat का पानी गंगा जल में गिरता है तो गंगा

13:23जन्म हो जाता है लेकिन वही समुद्र का पानी अगर नाली में

13:29गिरता है सोना नहीं का पानी बन जाता है वही बारिश का पानी मिट्टी में गिरता है

13:37मैला हो जाता है गंदा हो जाता है और वही बारिश का पानी के पड़ता है तो कपूर

13:44बन जाता है और वही बारिश का पानी शिव के मुंह में पड़ता है तो मूर्ति

13:52पर ये है सबका रंग कैसा संघ मिला उसका रंग चिन्ना हो गया

14:00उसी तरह से अगर हम सत्य संघ में हैं तो हमारा भी परिवर्तन ग्रहण होगा अर्थात

14:08परमात्मा के जो गुण हैं वो हमारी अंदर समाहित होती जाएंगे और हमारा श्रेष्ठ

14:15बन जाएगा मैन [संगीत]

14:25अर्थात भोजन का मैन पर बहुत ज्यादा प्रभाव

14:31पड़ता कैसे पड़ता है [संगीत]

14:39फिर उसका रस बनता फिर उसका खून बनता है और खून पूरे शरीर

14:46में प्रभावित होता है आत्मा के निवास स्थान यहां होता है

14:53आत्महत्या जाता है तो जब वहां तक जरूर है जो भोजन हम किए हैं

15:00उसका प्रभाव पड़ेगा ही पड़ेगा अब प्रश्न यह है

15:06की शुद्ध भोजन किसे कहते हैं तो भोजन का पूरा विस्तार हम लोग अगले दिन

15:12करेंगे अभी संक्षेप में थोड़ा सा चर्चा हम लोग करेंगे शुद्ध भोजन क्या है

15:19तो शुद्ध भोजन जो मेहनत और ईमानदार ही से कमाया गया है

15:26मेहनत और ईमानदारी उसमें पहला दूसरा उसको

15:31तैयार करके समय अर्थात बनाते समय शुद्धता का 100% ख्याल रखा जाए

15:38पानी से बढ़िया से धो करके अच्छा करके उसको शुद्धता से किया जाए

15:44तीसरा बनाने वाला भी तो नहा धोकर ठीक हो

15:49उसकी मानसिक वृत्ति सही हो और चौथा जब भोजन बनाया जाए

15:58तो मैन के अंदर संकल्प रहे की भोजन जो हम प्यार कर रहे हैं यह परमात्मा के भोग के

16:06लिए तैयार कर रहे हैं मैन में यही सब संकल्प हो की परमात्मा के वोट के लिए तैयार कर रहे हैं और जो

16:13परमात्मा उसकी स्वीकार करेंगे तो अगर यह संकल्प रहा

16:21प्रभारी तो होगा और शुद्ध हो जाएगा एक महीने अगर संकट में कोई गड़बड़ी ए गई

16:29जैसे मैन लीजिए किसी से लड़ाई हो गई सुबह-सुबह झगड़ा हो गया

16:38[संगीत] मैन tokhim है और कमजोर हैं हम उसका जवाब

16:44नहीं दे पाए या बाबा के बच्चे हैं तो बाबा को माना करते हैं की भाई लड़ाई तो करना है

16:50दूर किसी से कर होकर बोलना भी नहीं है तो नहीं बोलेंगे लेकिन मैन में

16:56मैन लेने की भिंडी का भुजिया घुस रहे हैं तुमको

17:13[संगीत] जो करेगा तो निश्चित उसको प्रभावित करेगा वह भी दूर करेगा लड़ाई झगड़ा होगा

17:20[संगीत] इसलिए ये प्रभावी होता

17:26और ये कैसे प्रभावित होता है इसको भी जानना जरूरी है अब शरीर में तीन ऐसी कर्म इंड

17:34रिया जिनके द्वारा शक्ति एक शक्ति और दे भी सकते हैं वो तीन karmindron में एम्पायर हैं ये हाथ

17:42है और ये आंख है इन तीन बिंदुओं के द्वारा हम शक्ति लेते हैं शक्ति

17:48दे दो शंकर हमारे अंदर होता है इसीलिए हम अपने से श्रेष्ठ

17:54दें तपस्वी का साधु संतों का पैर स्पर्श करते हैं हाथ से ताकि उनकी तपस्या जो

18:00शक्ति उनके अंदर है उनकी पैर से होते हुए हमारे हाथ द्वारा हमारे में ए जाए

18:08[संगीत]

18:22और तीसरा आंखों से मैन के अंदर जो संकल्प चलते हैं आंखों से निकलता है

18:29इसलिए कहते हैं की ही प्रभु कहां पर कृपा दृष्टि कर दीजिए

18:34या साधु संकोच ऋषि मुनियों से भी करते हैं की थोड़ा आदत कृपा दृष्टि दीजिए अर्थात अपनी जो शक्ति है वो दृष्टि के

18:42द्वारा हमारे अंदर कीजिए इसीलिए योग के समय दृष्टि लेने और लेने की एक परंपरा

18:49चलती है की जिसके पास शक्ति है अगर दृष्टि मिलती है तो वो शक्ति दृष्टि के द्वारा

18:56उसके अंदर समाहित हो जाती है इसी तरह से भोजन तैयार करते समय भी

19:05जैसा हम भोजन बनाते हैं जो संकल्प रहेगा उसको वो प्रभावित

19:10करेगा इसलिए हमको भोजन बनाते समय सिर्फ संकल्प हो सफाई

19:17हो सच्चाई हो भोजन जो ग्रहण करेगा उसका बुद्धि भी श्रेष्ठ हो जाएगा

19:26दो हो गया तीसरा

19:32तो पवित्रता के विषय में संक्षिप्त में अभी हम लोग चर्चा करेंगे तो इसका विस्तार

19:38विषय पर हम लोग सन चुके नहीं सुने सुनेंगे

19:45अब देखिए शुद्धि तो बहुत जरूरी है बौद्ध धर्म समझते हैं की पवित्र माना

19:52ब्रह्मचर्य हो गया गण खत्म प्रवचन तो है लेकिन वहीं संपूर्ण नहीं है

20:00उसके अलावा शुद्धि अच्छे दो तरह के शुद्धि एक बारी सिद्धि एक अंतरिक्ष में बारिश

20:07होगी को हम पानी से नहा करके धो करके बारी शुद्धि अपना करेंगे लेकिन मानसिक

20:14शुद्धि कैसे लड़की मानसिक शुद्धि भी नहीं हुई क्योंकि अगर मैन में सुनती नहीं है तो हम पवित्र

20:22नहीं और मैन का ही खेल है बाबा से मिलेंगे मैन और मैन ही मेरा है कैसे मिलेंगे

20:39चाहे चमड़े के बड़े हो हम तो आपके पैरों की रक्षा कांटों से कांकों से

20:47सर्दी से गर्मी से हमेशा रक्षा करते हैं सुरक्षा करते हैं आपकी सेवा में रहते हैं

20:52हम लेकिन जब आप मंदिर में जाते हैं तो हमको बाहर निकल लेते हैं अपने चले जाते हैं

21:00कब कहा की भाई तुम को इसलिए आता है बेटी जाता है

21:11तब जूते ने बड़ा अच्छा जवाब दिया क्यों ठीक है हमारी धूल मिट्टी तो आपको दिखाई दे रही

21:18लेकिन जो आप अपने मैन के अंदर की दीवार लेकर जा रहे हैं गंदगी नहीं तो जा रहे हैं

21:29इस तरह बहुत ही महत्वपूर्ण होता है मैन किसी

21:36का मोहित [संगीत]

21:50एन परमात्मा कहते हैं की जिसके अंदर सच्चाई सफाई करता हूं

21:56जिसके अंदर इससे आगे चल कपट आज भरा हुआ है मैं तो उसकी तरफ देखता भी नहीं हूं

22:04प्रेम की बात को अलग बात तो देखते ही नहीं इसलिए अगर हम शहर आदियोगी हैं परमात्मा से

22:11मिलन बनाना

22:19चाहती हो गए चौथा भाग है ना चौथा धरना

22:27यह पढ़ यहां प्रैक्टिकल है

22:32बाबा कहते हैं हम सुनते हैं वो सुने और अपने अंदर धारण करें तब उसका महत्व है ऐसा

22:41नहीं की सुने और उधर निकल दिए घड़े नहीं किया कोई मत नहीं जैसे

22:48मैन लेने की हमारे घर में तरह-तरह के मिठाई हैं रसगुल्ला है रसमलाई है

22:54शिव मोहन है लाल मोहन है मेरे पास नहीं है लेकिन जब तक उसको

23:00chhathenge नहीं इस बार मिलेगा नहीं मिलेगा

23:14[संगीत]

23:19देवता होते हैं मनुष्य बोलते हैं और असुर

23:25अब यह तीनों कोई अलग-अलग नहीं है मनुष्य ही अगर उनको धारण कर ले तो देवबंद

23:33को प्राप्ति कर लेते हैं और मनुष्य ही कर लें

23:42बात ए गई धरना इसलिए जो भी हम लोग विषय ले

23:47रहे हैं टॉपिक लिए रहे हैं वो धरना की सारी क्लासेस है उसको हम सुने और धारण करें तो हमारी विनती

23:55है अब यह जो है चार पैरों की बात हो रही है की राजयोगी

24:03जब कनेक्शन करने के बाबा से मिला नहीं मनाएंगे तो उनका आश्रम का आधार स्तंभ

24:11कौन-कौन से हैं और वो कितने मजबूत है ये चारों परे जितना मजबूत होंगे हमारा

24:19कनेक्शन योग या सहायता से हो जाएगी अगर कोई पाया हीनता बिता रहेगा कंप्यूटर रहेगा

24:26तो दिक्कत आएगी इसलिए बहुत सी बातें क्या करें हमारी योगी नहीं लग रहा है कैसे

24:32लगेगा पहले अपने पैर चेक कीजिए कौन सी है

24:40तो इस तरह से अब प्रश्न एक भाई क्या करें हम हमारा आसान तैयार हो गया चारों बाएं

24:48हमारे ठीक है और क्या क्या तुम बैठ जाओ कौन सी आशा स्थिति

24:56है और मैन बुद्धि को लेकर परम धाम

25:02परम धाम मिल जाए क्योंकि बाबा परमहंस रखते हैं तो जिससे भी

25:08मिलना होता है उसकी हजार पड़ता है

25:21किसी दूसरे हैं तो इसके लिए पहचान है पहचान यह है की बाबा

25:30परमहंस अर्थात brahmg में रहते हैं वहां का कलम लाल होता है

25:38ब्रह्म का परमधाम का कलर जो होता है वो लाल होता है और बाबा के करने का रंग सफेद

25:46होता है जब सफेद और लाल मिलता है

25:52तो बाबा की करने सन ली होती अगर ऐसा है तो

25:58हम सही पहुंचे हैं अपनी मंजिल पर अब इसमें एक बात आती है कभी लोगों को भ्रम

26:04हो जाता है और यह हमारा समाधान कार्यक्रम इसीलिए है की भ्रम का समर्थन करेंगे नहीं तो भ्रम रह

26:11जाएंगे

26:19[संगीत]

26:31अब कहेंगे की इसका क्या प्रमाण है कैसे हम आपकी बात मैन लें तो प्रमाण तो है और वो

26:38तीन प्रमाण है पहला प्रमाण ये है की जब भी सेंटर पर हम योग करने बैठते हैं

26:47तो लाल बत्ती जलाए जाती वो ग्रंथ लोक के लाल कलर का प्रतीक है ना

26:55ही देता है कई हरा नीला गिरता है लाल जलता है

27:01तो इससे सिद्ध होता है दूसरा

27:07प्रमाण क्या है की जहां भी हम परमात्मा के करने को चित्रों को द्वारा देखते हैं

27:14उसमें गोल्डन कलर ही दिखाई देता है बाकी

27:19नीला लल्ला नहीं दिखाई देता है और सपना देख लीजिए

27:31प्रमाण कहा जाता है और तीसरा प्रमाण ये है की जो आत्मा मैन मुक्ति के द्वारा परम

27:39धर्म जाती है वो अपने मन्मुख के द्वारा देखते हैं की वो

27:44कलर कैसा है वहां का वातावरण कैसा है तो यही दिखाई देता है इसी तरह ऐसे तो नहीं

27:51बना है ना यू गया है वो देख कर ही विचित्र बनाया हुआ तो वहां यही दिखा देता है की ब्रह्मा आप

27:59रंग बाबा के सफेद करने सुनहरी होकर के चारों तरफ फैल रही

28:05अब जो परमधाम गया ही नहीं

28:11दिखेगा और सात रंग आचरण की बात करेगा तो इस तरह से ये वहां का बाबा की करने का

28:19पहचान है तो अगर ऐसा है तो समझ लीजिए की हम परमधाम

28:25पहुंच चुके हैं और बाबा से मिलन मानना आरंभ कर दीजिए तो सारी जो एल बताई गई सारे

28:33लाभ उनकी मासूम होने लगेंगे तुरंत अधीन देशमुख मिलने लगेगा

28:39सहयोग तुम बाद में मिलेगा लेकिन प्रतीत होगा की संयुक्त व्यवस्था से तो सहयोग तो

28:44होना है और शक्ति का आसान

28:50त्रि थी ना और जब आत्मा परमात्मा का मिलन

28:55होगा दोनों करने आएंगे मीठे द्वारा आत्मा में तो

29:01अब यहां एक प्रश्न हो सकता है की भाई हमको कैसे पता चलेगा की हमारे पास वो है की

29:07नहीं हो रहे हैं तो उसके लिए पहचान ये है की जब हमारे बाप

29:12भस्म हुई है तुम धड़कन हो चुके हैं क्योंकि बाप जो है वो जो होता है तो हमें

29:20भारी की है तो हल्का बनाएगा और दूसरा पर जान हमारे

29:25अंदर बहुत खुशी आए सदा खुशी मतलब

29:36इस तरह से हमारा मिलन बाबा से होता रहेगा

29:41ये मिलन की बात है अब प्रश्न ये है

29:47की भाई बाबा से सहजता से हमारा मिलन हो जाए उसका

29:54आधार क्या है किस आधार पर हम समझता से मिलने

30:00तो मिलने के लिए देखिए किसी से मिलने के लिए उसका यथार्थ परिचय चाहिए ना

30:07कोई मध्यकाल कोई और दिया की जाइए बनारस हावड़ा से मिल लीजिए और उसका नाम पता है

30:13ना फोटो देखेंगे कैसे मिलेंगे तो पहले ही मिलन बड़ा कठिन था

30:21इसीलिए योग सब कठिन महसूस हो या कई लोग समझते हैं की परमात्मा से

30:26मिलना कार्य बड़ा करने की बात है कठिन था

30:32जब भी उनका यथार्थ परिचय ही नहीं था हम जानते ही नहीं द परमात्मा की विषय में

30:39जानती थी ना अपने विषय में जानती थी अपने भी भ्रम में द

30:45सिमिलर होगा

30:53पिछले चिंतन में ये हो गया है विस्तार से जुड़ चुके हैं और 16 का परिचय

30:59भी विस्तार से लोग सन चुके हैं जो नहीं सुनेंगे यूट्यूब पर सुनेंगे तो मिलन सहज हो गया

31:15परिचय के आधार दूसरा है संबंध के आधार पर

31:22तीसरा है प्रेम के आधार पर और चौथा है

31:27प्राप्ति के आधार पर जब परिचय होगा समुद्र बन जाएंगे और संबंध

31:36बनेंगे तो प्रेम होगा ही और प्रेम होगा तो बाराती तो नहीं है

31:55तुमसे हमारे संबंध जुड़ गया संबंध मुख्य

32:08हैं बाकी सारे संबंध उनसे

32:15वाला जानते हैं सारे संबंधों को भूल करके कुछ एक बात को

32:22याद करो अर्थात तुम्हारे मैन को जो संबंध खींच रहा है उसको तोड़ कर दीजिए

32:31रूप से उनका कनेक्शन हो जाएगा फिर चार आधार

32:38तो अब चार घाट तो हो गए अब चार अवस्था

32:44हमारी कैसी होगी जैसे परिचय के आधार पर किसी से परिचय है

32:52तो उसको हमको याद करना पड़ता है पहले बहुत सारे हैं

32:59वापस में दो रास्ते में वापस में हुआ कहां हुआ सोचना पड़ता है ना जैसे जब कोई धर्म

33:06फंक्शन बढ़ता है तो निमंत्रण लिखने बैठते हैं परिचित कनिष्क में सोते हैं भाई और क्या

33:15नाम था कहां मिले द याद करना पड़ता है क्या डालता है तो उसका नाम लिखते हैं कोई नई

33:22याद ए रहा है जाने दो यादें नहीं तो और दूसरा संबंधी ऐसे हमारे संबंधी है जो

33:30नाते jisdar हैं काका नाना मामा पापा

33:36उनको तैयार करना पड़ेगा तो सोता ही आग लगती और फटाफट उनका नाम हम

33:43लोग देखते हैं अर्थात संबंध के आधार पर हमको

33:49याद करने की मेहनत नहीं आती

33:54और तीसरा क्रेडिट क्या था

34:07निकलने पर ही नहीं निकलती है [संगीत]

34:14की भुला जाए जैसे माता का बच्चे के साथ प्रेम है वो

34:21बच्चा कहीं भी हो मुंबई हो कोलकाता हो ढीली हो क्या वहां उसको भूल जाती है

34:28कोई भी कम करते नहीं आते-आते हमेशा यही सोचती रहती है की बच्चा खाया होगा नहीं

34:34खाया होगा अच्छे से होगा नहीं होगा

34:43प्रेम और चौथा प्राप्ति के आधार प्राप्ति होगी

34:50प्यार करना पड़ेगा

35:08क्यों प्राप्ति मुझे लगाई थी झटपट नहा धोकर तैयार हो गए

35:17उसे दिन चाहिए मुझे ना दोगे लेकिन इतनी बेचैनी है इतना याद उसको सत

35:26रहा है मिलने के लिए अब घड़ी देखेंगे

35:53अगर इस बीच में किसी ने भी खटखटा दिया दरवाजा धूप में जाते हैं

36:00तो कुत्ता है वहां

36:12[संगीत] क्योंकि मामला 10 हजार

36:21होती है मिल गया क्या मिल गया

36:28तो उसी तरह से परमात्मा से हमारा परिचय हुआ

36:34संपन्न करें

36:39और प्रैंकिंग है भाई परमात्मा से प्राप्ति कर सकते हैं क्या

36:46खूब है अरे इतना बड़ा उन्होंने प्राक रीति पूरे जान दिया वायुमंडल दिया और दिया

36:53सब दिया खत्म ही नहीं होता

37:01हम कैसे भूल सकते हैं जैसे एक बार एक सीट थी

37:08सेठ जी बहुत गरीब के धनवान द और यह जो हमारी अभी आई हुई थी

37:17तो इसमें ज्यादातर लोगों को ऑक्सीजन की कमी हो जाती

37:22तो इसमें लगाकर के नाम में आर्टिफिशियल

37:27दिया जाता था [संगीत]

37:33उसी तरह से सेट भी गए हॉस्पिटल डॉक्टर लगा दिया ऑक्सीजन चलने लगा दावा

37:41होने लगा होते-होते एक हफ्ते के बाद उसे की स्वस्थ हो गए

37:48तो डॉक्टर ने उनको बिल दिया

37:54की भाई ये छेद लिए दावा का खर्चा

38:01ये भेद का खर्चा ये डॉक्टर की भी

38:06और यह ऑक्सीजन भी अब तो उन्होंने भिन्न का विवरण सुना है

38:14तो सेठ जी की आंखों से आंसू नहीं है डॉक्टर ने समझा की लग रहा है की पैसा इनके

38:20पास कम है क्योंकि दो राजा दिल है इसीलिए ये आंसू बहा रहे हैं लोग

38:27तो डॉक्टर ने कहा की सेठ जी आप चिंता मत कीजिए हम आपके दिल में डिस्काउंट कर देंगे

38:35तब सेठ जी ने कहा की डॉक्टर साहब हमारे पास पैसों की कमी

38:40नहीं है हम 2 लाख रुपया चुने देंगे ये आंसू पैसे मिल के वजह से नहीं ए रहे

38:46हैं ये आंसू ए रहे हैं की हमारा 55 वर्ष का

38:52उम्र हो गया और परमात्मा ने हमको जन्म लेते ही इतना ऑक्सीजन दिया

38:57की 55 वर्ष हम भरपूर सांस लेते हैं लेकिन कोई दिन उन्होंने नहीं किया

39:07और आप इस हफ्ते की आज इतने रुपया का बिल कम दिया

39:13खूब उनके प्रेम में आंसू ए गए भाई वो कितना हमसे प्रेम करते हैं इतना अकुर

39:19खजाना दे नहीं के बाद भी कोई चार्ज नहीं है तब दारू बड़ी शर्मिंदा है

39:33की जहां परिचय भी हो गया सर्व संबंध है प्रेम भी हो गया प्राप्ति

39:41अंग है तो वहां याद करने की मेहनत करनी पड़ेगी

39:53चला जाएगा परमधाम याद करके खुलेगा और अंतिम देश सुख मिलेगा ये आधार

40:00है अब अंतिम चरण की तरह

40:18महामंत्र है जिसके द्वारा

40:23तुम्हारा sadgatikaran

40:43जब तक हम जब तक 1100 या नहीं होगी हमारे पास में

40:49होने वाले हैं तो उसके पहले समझना पड़ेगा की मैन मानगो का वास्तविक अर्थ क्या है

40:58तो वास्तविक अर्थशास्त्र होता है देखिए जो अभी जैसा हमने किया याद माना जो योग माना

41:04योग अब जोड़ दो

41:15लेकिन दोनों में जितना गांठ वाला

41:21जो बिजली सप्लाई ए रही है तो इस पार करते-करते चलता है या रस्सी का है तो वो

41:26गण खुल सकता है लेकिन फोटो नहीं kharchute लगा के खुलेगा अर्थात

41:33ग्रीटिंग वाले तार में धारा प्रवाह चलता रहेगा उसमें कोई भिन्न

41:40नहीं है इसी तरह से मरना होगा अर्थ होता है अपने मैन को

41:48अपने मैन को बाबा की प्रेम में समाहित करके उसने विभिन्न कर दी

41:56ये है मैन बना होगा अर्थ जब तक उसमें समाहित नहीं करेगी अपने आप को

42:02भी अपने देश हो रही तुम बुद्धि विभिन्न नहीं करेंगे तब तक यथा अर्थ द्वारा स्वरूप

42:09याद होने से जैसे अपडेट

42:33[संगीत]

42:39उसका नाम ही बदल गया रूप भी बदल गया और उसके गुण भी बदल गए

42:46[संगीत]

42:56दूसरा पानी

43:02का पानी तो नारी का पानी होता है

43:09छूना तो दूर है क्या बना लिए खरीदना फिर चाहेगा लेकिन वही लड़का

43:19जब अपने आप को गंगाजल में समाहित कर देता है अपने आप को भीड़ कर देता है तो गठबंधन

43:28[संगीत] तो जिस गठन के पानी की नजदीक हम नहीं जाना

43:35चाहते द वही जब अपने आप को गंगा जल में समाहित कर दिया

43:41इनका जल बन गया पीते भी है

43:48क्योंकि वो गंगाजल हो गया उसी तरह से हमने हमने जो कम किए जाने अंजन

43:57के पानी की तरह

44:04परमात्मा के साथ

44:12और हम अब हम पुरी आत्मा बन जाएंगे श्रेष्ठ आगरा

44:18बन जाएंगे बाहर आकर मिल जाएंगे ये परिवर्तन हो जाएगा

44:31अंत में चर्चा करेंगे की देखिए परमात्मा से हमको सहयोग मिलता है

44:43लेकिन इसके लिए दो बार दो बार में क्या है

44:50की पहला तो अपने आप को समर्पित होना पड़ेगा समर्पण करना पड़ेगा

44:58जब तक समर्पण नहीं करेंगे पुरी प्राप्ति नहीं होगी

45:04एक समर्पित हो जाना पढ़े कैसे संबंध बनाना

45:11और दूसरा को प्रखंड पहचान जैसे

45:20परमात्मा की अपने हाथ का जो है नहीं तो आगरा करेगी किसी ने किसी ने माध्यम बनाकर की मदद

45:27करेंगे तो अगर कोई हमको मदद मिल रहा है तो

45:32गारंटी को परमात्मा के द्वारा मिल रहा है इस बार को समझने की जरूरत है ऐसा ना सोचे

45:39की फैलाने में हमारा मदद किया आपको क्या मदद करेंगे वो अपना मतलब तुम नहीं कर सकते तो हमारी वजह

45:46एक परमात्मा ही है योग्य सारी बच्चों की मदद करते हैं झूम के छात्र सहायक हैं

45:53जैसे अपनी उम्र अधिक विश्वास होना चाहिए बिल्कुल निश्चय होना चाहिए

45:59जैसे एक बार सूरदास सूखे कुए में गिर गए दिखाई नहीं देता

46:05अब लोगों ने देखा तो दौड़े निकलने के लिए अरे भाई लिए निकल गए उन्होंने कहा की ना

46:12हम आप लोगों के द्वारा नहीं निकलेगी

46:19वही आकर निकलेंगे तो हम निकलेंगे वर्ण हम नहीं हम इसी में रहेंगे लोगों ने समझाया का रहे हैं

46:25इधर कोई आता जाता ही नहीं है कितने दिन में रहेगी पूर्ण चिता मत कीजिए जल्दी आने वाले

46:33निकल लेंगे इस बात की जाएगी क्यों इनके अंदर भी निश्चय था अपनी भक्ति पर विश्वास

46:41था मेरे साथ चैलेंज किया अंत में श्रीकृष्ण जी

46:49लेकिन जब जाने लगे चैलेंज किया

46:55की हाथ छुड़ाए जाए लिप बाल के मूल हृदय से चले जाते मैन मैक

47:03हान हमको कमजोर समझकर के हाथ में ताकत है तो हमारी तस्वीरें को दिखाइए

47:12बाबा के बच्चे के चैलेंज है अपने ऊपर विश्वास हो भरोसा चैलेंज करेंगे

47:20उसी तरह

47:25समर्पण होना पड़ेगा समर्पित होना पड़ेगा ए हम कहते हैं की बाबा को सब जानते हैं भाई

47:30तू जाने जा लेकिन बताना तो पड़ेगा ना भाई जैसे बच्चा

47:36है स्कूल में पढ़ता है तो माता पिता जानते हैं हाई स्कूल में जा रहा है लगेगी तेल

47:43लगेगा कैसे लगेगा इस लगेगा पापा हम यही किताब चाहिए हमको फिल्म चाहिए

47:51हमको पेंसिल चाहिए हमको फीस जमा करने माता पिता देखते हैं उसी तरह से

47:59हम बाबा से अगर कोई हमारी जरूरत है तो उनसे बताना पड़ेगा हम जानते हैं लेकिन

48:06बताना बताना शेयर करना अब हम कोई दिल की बात इसे

48:14सबसे ज्यादा अपना जिसको संभालते उसी में बताएंगे किसी पदार्थ तो सबसे ज्यादा

48:21अपनाएंगे बाबा ही नहीं है तो उसे बताना पड़ेगा कोई भी बात जैसे

48:28द्रौपदी ने शिकायत किया श्री कृष्ण से

48:33की आपके भगवान हैं हमारे भाई भी हैं और यहां हुआ मैंने जुआ हुआ और पांडवों

48:42द्वारा हर गया आप देखते रहे एन है पृथ्वी किसने कहा

48:49की पहले अपने पतियों से पूछो की जुआ खेलने के पहले क्या उन्होंने हमसे कहा बताया

48:58समर्पित भी हमारे प्रति अरे जब अपनी बुद्धि कम नहीं की तो जब

49:04दुर्योधन में कहा की हमारी तरफ से पास हमारे मामा से भी तो क्या यह नहीं का सकते

49:10द की हमारी तरफ से पैसा दे देंगे

49:20कौन जीत रहा है तब व्यक्ति की समझ में ए गए हैं दूसरा

49:27घटना है जब उनका चीज खड़ा हो रहा था

49:33तब उन्होंने पहले तो दरबार में हाजी अपने बड़े बड़ों को जो महाबल सारी थी अपने

49:42पतियों की तरफ देखा इस पितामह की ओर देखा राजा जिसका की तरफ देखा कोई मदद करें

50:02की आप यहां बैठे हुए हैं वहां द्रोपती की लाश खतरे में पद गई या

50:07मर्द तो नहीं गए

50:18अपने आप पर है

50:28झटका दिया रात से सदी छूट गई और तब उसने सरेंडर हो गई हाथ ऊपर कर दी

50:37और तब कहा की आप ही हमारी रक्षा कर सकते हैं

50:50लेकिन समर्पित नहीं होती जब तक समर्पण भाव नहीं होगा मदर

50:58और दूसरी बात तो इसी तरह से एक बात एक बाबा का बच्चा था वहां पर था रियल

51:06फैमिली का उसको भी विश्वास था की हर पाल हर परिस्थिति में परमात्मा हमारी मदद

51:13करेंगे क्या हुआ की बढ़ ए गया

51:23तो कोई ऐसा की पानी बड़ा तीर से बढ़ रहा है अब चलिए हम लोग आसान

51:34है भगवान कर यहां तुम लोग तुम सब मिल जाएंगे

51:41इसके बाद गांव के लोग

51:47जाओ मैन रक्षक है ना उन्होंने रक्षा करेंगे

51:53वो भी चलेंगे क्या करें

52:04[संगीत]

52:13[संगीत] बचाइए

52:20हर पाल आया हेलीकॉप्टर के पाइप में रानी पकड़ करके

52:35[संगीत] तब उसने कहा

52:42अरे मैं आपका इतना परम भक्त

52:50हमको बचाने आप नहीं आए तब उन्होंने कहा की देखो

52:56हम पहले भी तुम्हारे साथ द उसे समय भी द हमने पहले तुमको परिवार वालों से कहा की

53:03इसको ले जाओ तुम नहीं माने फिर गांव के लोगों मोहल्ले के लोगों ने कहा की चलो कभी तुम नहीं माने

53:10हम ये दोनों इसके बाद नाम को भी हम नहीं लेते की भाई

53:16हमारा बच्चा है क्योंकि तुम नहीं आए

53:21छत पर चले गए तब भी तुम यहां बताओ मैं क्या करता

53:31वही है बड़ा की शक्ति परमात्मा जो भी हमारे दिमाग में टच करते हैं उसको समझना

53:38चाहिए की परमात्मा का है वैसा हमको करना चाहिए नहीं करेंगे तो यहां होगा

53:45इसलिए कहा अंत में इसलिए कहा की जो हंसते नहीं है

53:52समझिए वो गरीब है तो हंसते नहीं हैं समझिए वो गरीब हैं और जो हंसते हैं समझिए

54:01वही प्रभु के करीब है

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