भोजन……जानिए आप का आहार कैसा हो … जिससे हम निरोगी और शक्तिशाली बने…….(ओ.पी.तिवारी)
नमस्कार दोस्तों,
आज हम बात करेंगे भोजन के बारे में, जो हमारे जीवन का अभिन्न अंग है।
भोजन हमें जीवित रहने और ऊर्जा प्राप्त करने के लिए आवश्यक है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपका आहार आपके स्वास्थ्य और शक्ति को कैसे प्रभावित करता है?
सही आहार चुनना हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है।
यह हमें स्वस्थ और रोगमुक्त रहने में मदद करता है, साथ ही हमें ऊर्जावान और शक्तिशाली बनाता है।
कैसा होना चाहिए हमारा आहार?
एक स्वस्थ और संतुलित आहार में निम्नलिखित शामिल होना चाहिए:
फल और सब्जियां:
फल और सब्जियां विटामिन, खनिज, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं।
हमें प्रतिदिन कम से कम five सर्विंग फल और सब्जियां खानी चाहिए।
साबुत अनाज:
साबुत अनाज फाइबर का एक अच्छा स्रोत है, जो पाचन क्रिया को स्वस्थ रखने और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
हमें प्रतिदिन साबुत अनाज जैसे कि ज्वार, बाजरा, ओट्स और ब्राउन राइस का सेवन करना चाहिए।
दालें और फलियां:
दालें और फलियां प्रोटीन, फाइबर और आयरन का एक अच्छा स्रोत हैं।
हमें प्रतिदिन दालें, मटर, छोले और राजमा जैसी फलियों का सेवन करना चाहिए।
कम वसा वाला डेयरी उत्पाद:
कम वसा वाला दूध, दही और पनीर कैल्शियम और विटामिन डी का एक अच्छा स्रोत हैं, जो हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।
स्वस्थ वसा:
स्वस्थ वसा जैसे कि नट्स, बीज, एवोकैडो और जैतून का तेल हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं।
हमें प्रतिदिन थोड़ी मात्रा में स्वस्थ वसा का सेवन करना चाहिए।
पानी:
पानी हमारे शरीर के लिए आवश्यक है।
हमें प्रतिदिन कम से कम eight गिलास पानी पीना चाहिए।
इनके अलावा, हमें निम्नलिखित बातों का भी ध्यान रखना चाहिए:
जंक फूड और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से बचें: जंक फूड और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में कैलोरी, वसा, चीनी और सोडियम की मात्रा अधिक होती है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
घर का बना भोजन खाएं: घर का बना भोजन ताजा और स्वस्थ होता है। जितना हो सके, घर पर ही खाना बनाएं और बाहर का खाना कम खाएं।
नियमित रूप से भोजन करें: नियमित रूप से भोजन करने से हमें ऊर्जा मिलती है और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। हमें दिन में three मुख्य भोजन और 2-three हल्के नाश्ते करने चाहिए।
धीरे-धीरे खाएं: धीरे-धीरे खाने से हमें भोजन का स्वाद लेने में मदद मिलती है और हमें अधिक खाने से बचाता है।
पर्याप्त नींद लें: पर्याप्त नींद लेने से हमें स्वस्थ रहने में मदद मिलती है और भोजन की इच्छा को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
निष्कर्ष:
भोजन हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
सही आहार चुनकर हम स्वस्थ, रोगमुक्त और शक्तिशाली रह सकते हैं।
इसलिए, आज से ही अपने आहार में सुधार करना शुरू करें और एक स्वस्थ जीवन जीने का आनंद लें!
अधिक जानकारी के लिए आप हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें और सुने यहां क्लिक करें
0:03हान ओम शांति [संगीत]
0:09आज का हमारा विषय है भोजन
0:14अर्थात हमारा आहार कैसा होना चाहिए
0:21तो प्रश्न उठाता है की हम भोजन
0:28क्यों करते तो इसका सामान्य सा जवाब
0:35की हमको भूख लगती है इसलिए भोजन करते हैं
0:41की भूख क्यों लगती है क्योंकि बहुत सारे ऐसे लोग होते हैं
0:49दुनिया कहते हैं की भाई अगर भूख नहीं लगता तो हमको कुछ करना ही नहीं पड़ता है
0:57इस पेट के लिए हमको बड़ी मेहनत करनी पड़ती
1:02प्रकृति हमें एक पेड़ दिया और दो हाथ दिए
1:08इन दोनों हाथों से कम करके कम करके हम एक भी भर सकते हैं
1:15और देखा जाए तो पेट की आकृति भी इंदौर हाथों से ज्यादा नहीं है
1:22लेकिन [संगीत] कई लोग पेट भरने के अलावा पेटी भरने के चक्कर में
1:30आते हैं तो प्रकृति ने हमें ये दो हाथ दिया
1:37इसे हम पेट तो शहजादा से भर सकते हैं पेटी भी भर सकते हैं
1:43लेकिन क्या नहीं घटता की दुनिया में दो कभी नहीं भरता दो का पेट
1:53कभी नहीं करता
1:59और दूसरा आकांक्षाओं का पेट अर्थात इच्छाओं का पेट
2:05कभी नहीं करते [संगीत]
2:12बाकी तो यह पेट तो भारी जाएगा अब प्रश्न यह है की भाई भूख क्यों लगती है
2:22है तो उसका कारण यह शरीर तो हमें मिला है
2:29तो शरीर को दो तरह की शक्ति की जरूरत पड़ती है
2:37और भोजन हम इसलिए करते हैं की शरीर को ताकत मिले शरीर स्वस्थ रहे
2:44निरोगी रहे इसलिए हम भोजन करते हैं तो शरीर की शक्ति दो तरह की होती है एक
2:53आंतरिक होती है [संगीत] अब आंतरिक शक्ति तो आत्मा द्वारा सप्लाई
3:02की जाती क्योंकि आत्मा ही ऊर्जा का स्रोत है तो
3:08अपनी ऊर्जा सप्लाई करता है
3:17की जैसा की हम जानते हैं की शरीर लाखों कोशिकाओं के द्वारा बना हुआ
3:24है और वो कोशिकाएं बिगड़ी रहती हैं फिर बनती
3:29हैं अब बनने के लिए उनको शक्ति चाहिए
3:35तो बिगड़ने के लिए तो बिगड़ेंगे लेकिन अगर उनको भोजन द्वारा शक्ति नहीं दिया जाएगा
3:42वह बन नहीं पाएंगे
3:48बीमार युक्त हो जाएगा बीमार हो जाएगा इसलिए हमें भोजन करने की आवश्यकता पड़ती
3:57है और यह भूख
4:02[संगीत] तो सबको लगती है जो भी क्रियाशील है जहां क्रिया हो रही है
4:09उन सबको भूख लगती जैसे पेड़ पौधों
4:14पशु पक्षियों को यहां तक की जो मशीन हैं इंडियन हैं जो
4:21कैसी है उनको भी लगती है अब भूख किसको नहीं लगती
4:27जो निष्क्रिय है बस एक जगह पर आता है जैसे पत्थर है चाहे छोटा पत्थर वो बड़ा पत्थर
4:34हो वैसे ही पढ़ा है उसको किसी चीज की जरूरत नहीं पड़ती है लेकिन जो क्या असील है
4:42उनको भी खर्च चाहिए पानी चाहिए कोई मशीन है
4:49तो उनको आंतरिक ऊर्जा मिलती है बिजली से पावर सप्लाई से
4:55और बहिए पूजा मिलती है जैसे ग्रीस हुआ
5:00मोबाइल हुआ आधी आधी से उनको मेंटेनेंस जिसको कहा जाता है
5:06तो उसी तरह से शरीर को शक्ति के लिए भोजन की आवश्यकता पड़ती है
5:13अब प्रश्न यह है की भाई ठीक है की हमें भूख लगती है शरीर की आवश्यकता है
5:21तो हम भोजन करते हैं अब भोजन कैसा होना चाहिए
5:27[संगीत]
5:37क्यों क्योंकि भोजन करने का जो हमारा उद्देश्य है
5:46शरीर निरोगी हो कोई बीमारी ना हो इसके लिए जानना होगा की
5:53हमारा आहार कैसा हो यह जानना जरूरी है क्योंकि यह नहीं जानेंगे
6:01तो किसी भी प्रकार का भोजन ले लेंगे आहार लाल ले लेंगे तो हमारा उद्देश्य तो पूरा
6:07होगा नहीं और बिगड़ जाएगा हम बीमार हो जाएंगे कमजोर हो जाएंगे
6:13इसलिए जानना जरूरी है की हमारा आहट कैसा होना चाहिए
6:19जैसे बहुत सारे ऐसे पदार्थ हैं जो भोजन करते हैं [संगीत]
6:31[संगीत]
6:42नुकसान कर देते हैं जिससे हम बीमार हो जाते हैं और हमें दावों का सेवन करना
6:49पड़ता है इसलिए यह जानना बहुत ही महत्वपूर्ण है की हमारा
6:57आहार हमारा भोजन कैसा होना चाहिए
7:02तो मनुष्य के भोजन के लिए आहार के लिए
7:10शाकाहारी सर्वश्रेष्ठ भोजन शाकाहारी भोजन या योग हैं
7:18किस शरीर के लिए शाकाहारी भोजन ही है
7:24तो अभी ठीक रहेगा
7:35[संगीत]
7:51[संगीत]
7:56वह है प्याज और लहसुन आयुर्वेद कहते हैं की प्याज लहसुन में
8:03बड़ा औषधि यह गुण होता है लेकिन उसको देवताओं को अर्पित नहीं किया
8:11जटाओ को भूख नहीं लगाया जाता अथवा किसी भी धार्मिक कार्यक्रम
8:20नवरात्रि हो पूजा हो व्रत उपवास हो यज्ञ हो हवन हो किसी भी ऐसे अनुष्ठान में लहसुन
8:30प्याज वर्ती क्योंकि उसमें जो भी गुण है
8:37उन सारे गुना को समाप्त करने के लिए एक ही अवगुण काफी है और वो है दुर्गंध
8:46ह होता है और प्रकृति में हमें
8:51मुख्य [संगीत]
8:58अनुमति के अनुसार [संगीत]
9:03इसको दुर्गादास नहीं लगेगा फिर भी हमने
9:09कई ऐसे ही चीज हैं जिसमें दुर्गंध है नाक अलाउ नहीं करती की भी होने लगती है
9:17यह समझ में नहीं आता की यह मुख को हम पूछना का डब्बा बना देते हैं डस्टबिन बना
9:24दिया जो भी मिला दल दिया जो भी अरे भाई ये मुकुल है [संगीत]
9:30उसका परिणाम क्या होता है उसका दुष्परिणाम हमको भोगना पड़ता है
9:35है की हमें हॉस्पिटल जाना होता है डॉक्टर के पास जाना
9:41होता है दवाई खाने पड़ती है परेशानी होती है कमजोर हो जाते हैं
9:46इसलिए प्रकृति ने हमें सर्वश्रेष्ठ आहार दिया शाकाहार
9:53है की भाई उसमें जो लहसुन प्याज में यह दुरूद है
10:02और देवताओं के लिए त्याग हैं उसका कारण क्या है
10:09तो उसका कारण है की सब जानते हैं की समुद्र मंथन हुआ
10:15जिसमें असुर और देवता दोनों के सहयोग से हुआ वह बहुत सारी चीज प्राप्त हुए
10:23इसमें 20 और अमृत भी निकाला
10:28अब 20 को कौन पूछेगा जिसको छोड़ दिया लेकिन चुपकी असुर देवताओं पर भारी पड़ती
10:35थी ताकतवर द तो अमृत को लेकर चले गए अपने यहां अमित कश्यप में यहां चले गए
10:45[संगीत]
10:55की असुरों के गुरु शुक्राचार्य के पास ऐसे ही मृत sanyojani विदा है
11:02उसको जिंदा कर देते [संगीत] अमर हो जाएंगे तो हम लोगों की क्या होगी
11:10क्योंकि वसूल है तब विष्णु जी ने मोहिनी रूप का धारण किया
11:17और उनके दरबार में गए तो चुकी वह तामसिक द असुर द तो उनके रूप पर मुक्त हो गए
11:26उनकी वास्तविकता गाने की कोशिश नहीं की और अमृत वितरण करने के कम उनको दे दिया चलिए
11:33आप ही अमृत रन कीजिए तो दो कतर लग गई एक देवताओं की और एक
11:40पशुओं की तो उन्होंने अमृत का कस लिया साथ में 20
11:45का भी कलश लेगी तो क्योंकि असुर उनके मुखी तरफ ही देखते द
11:51उनका ध्यान उधर ही आकर्षित था तो वह चालाकी से 20 उनके प्याले में दल देते द
11:58और देवताओं की प्याली में अमृत डालते द
12:04[संगीत]
12:14तो राहुल ने माया से देवताओं का रूप धारण करके जाके उनकी कतर में बैठ गया
12:21और इधर वितरण हो रहा था हमने यह चला की चंद्रमा ने देख लिया
12:28की भाई यह तो धोखा हो जाएगा [संगीत]
12:45इशारा कर दिया भाई यहां गड़बड़ी है तब तुरंत होने सुदर्शन चक्र से उसका गला
12:52काट दिया अब वो अमृत उसके मुख में तो गया था
12:58और जब गला काटा तो उसे दो-तीन मुंह नीचे जमीन पर गिर गया
13:03और उसी से लहसुन और प्याज की उत्पत्ति चूंकि
13:08वह असुर के मुख से जूठा गिरा था
13:14तो उसमें दुर्गा ए गया और क्योंकि उसकी उत्पत्ति अमृत से हुई थी
13:20तो उसमें [संगीत] देवताओं को अर्पित नहीं किया जाता और
13:28इसलिए उससे हम मनुष्य भी पड़े हैं यह करते हैं लेकिन विशेष अवसर पर धार्मिक अनुष्ठान
13:36होगा जबकि उसे हमेशा परहेज करना चाहिए अरे भाई ठीक है अच्छा है गंदगी
13:45[संगीत]
13:54अब प्रश्न उठाता है की भाई ठीक है
13:59तो हमारा आहार कैसा हो तो भोजन तीन तरह का होता
14:09है सात्विक दूसरा होता है राजसिक और तीसरा होता है
14:17तामसिक और राजनीतिक भोजन के बारे में हम लोग
14:22सुनेंगे
14:28क्यों नहीं है इसका विस्तार अभी हम लोग थोड़ी देर के बाद करेंगे
14:36[संगीत]
14:43[संगीत] अर्थात
14:48जो भोजन हम ले रहे हैं वो ओरिजिनल में स्त्री रूप में हो उसमें
14:56ज्यादा बनावट पर ना हो जैसे सबसे श्रेष्ठ सात्विक
15:04पदार्थ है गे का दूध अब गे का दूध क्या बनावट है
15:11कुछ लोग तो दूध निकलती ही पी लेते हैं कुछ लोग गर्म करके पीते हैं
15:18कुछ लोग दही जमा कर खाते हैं कुछ लोग मक्खन पनीर
15:24आदि लेते हैं तो सबसे तेज सबसे तेज क्यों हुआ
15:32तो दुनिया में कोई भी ऐसा भोज्य पदार्थ नहीं है एक का सेवन करके हम जीवन पर यंत्र
15:41स्वस्थ और निरोगी राज सके शक्तिशाली हो सके लेकिन
15:47एक गे का दूध नहीं ऐसा प्रिया पदार्थ है जिसको उसी को पीकर के पूरा जीवन
15:54हम सब ishaali और निरोगी रह सकते हैं की इसमें
16:00बाकी किसी और में नहीं इसलिए उसको अमृत
16:05भूल गया है गे के दूध दूसरी बात अन्य है जैसे आता है चावल है
16:13डाल है और कोई आता तो नहीं खा सकता परिवर्तन
16:21[संगीत]
16:42रायता है [संगीत]
16:47तो इस तरह से सात्विक आहार में दूध दही घी पनीर
16:57आते सब्जी [संगीत]
17:04सलाद रायता चटनी
17:09आते हैं जो वास्तविक रूप में रहते हैं हल्का फुल्का उसको स्वादिष्ट बनाने के लिए
17:16हम लोग परिवर्तित करते हैं अब दूसरा [संगीत]
17:24भोजन क्या है [संगीत]
17:32वह हम शरीर की आवश्यकता के हिसाब से नहीं करते वह हम जीव के प्रभाव से प्रभावित होकर
17:40करते हैं यह 2 इंच का गीत [संगीत]
17:48है [संगीत] भोजन करते हैं
17:56रोटी आम तो हम लोग खाते हैं सात्विक जो भी लिखते हैं कितना हूं दिन खाएंगे मैन नहीं
18:02उगेगा बहुत होगा तो चावल के बदले रोटी खा लेंगे
18:07लिट्टी चोखा खा लेंगे इतना चेंज कर सकते हैं लेकिन राजनीतिक भोजन में जीव कहता है
18:15की रोटी [संगीत]
18:27और ठीक है भाई उससे बात करना होती
18:34[संगीत]
18:43रास्ते [संगीत]
18:56खट्टा चटनी तो खाने का कुछ मजा ही और होता है
19:10पकौड़ी होती तो खाने का आनंद ए जाता है
19:18कब तक जब तक वह भोजन जीव के संपर्क
19:24[संगीत]
19:38हो गया तो इससे क्या होता है
19:45[संगीत] [प्रशंसा] हम भोजन ग्रहण करते हैं तो उसमें कई तरह
19:51की बीमारियां पैदा हो जाते हैं कई लोग हो जाते हैं
19:58इसीलिए पहले के समय उत्सव बनाए गए
20:04क्योंकि पहले इतना लोग समृद्ध नहीं द भगवान नहीं द
20:09तो जो उत्सव आते द उसे दिन विशेष प्रकार के भोज्य पदार्थ हम लोग लेते हैं
20:16लेकिन कभी-कभी
20:24और टाउनशिप की बात अभी हम आगे करेंगे वह मनुष्य मात्रा के लिए नहीं है
20:29अब प्रश्न है की तो भोजन हमारा कैसा हो
20:34तो सात्विक भोजन सर्वश्रेष्ठ इसके बाद शुद्ध
20:40इसके बाद पौष्टिक और उसके बाद स्वादिष्ट यह चार क्वालिटी
20:54तो शास्त्री के बारे में हम लोग जान चुके द अब शुद्धता क्या है तो शुद्धता के लिए
21:01[संगीत] चार वर्ग है 4 में क्या है
21:08की उगाना पकाना चलाना और पचना
21:16से भोजन गुजरती है
21:21[संगीत] सच्चाई और ईमानदारी से जो अन्य खाद्य
21:30पदार्थ उगते हैं सब्जियां हो चाहे फल हो
21:36उसमें अगर मेहनत है ईमानदारी है
21:41उसे शुद्ध होगा ऐसा नहीं किसी घर में सब्जी कोई खेत में
21:46सब्जी लगाया हुआ हो हम जाकर लौकी तोड़ना है
21:53गाना इसके बाद पकाना भोजन पकाने का बड़ा महत्व
22:03जानते भी ये जानना जरूरी है की
22:09शरीर से ऊर्जा लेने और लेने के तीन करहिया
22:14हैं पायल है हाथ है और यह आंख
22:21इन तीनों के द्वारा हम ऊर्जा शक्ति ले भी सकते हैं और दे भी सकते हैं
22:27तो भोजन पकाने में दो canelliyan हाथ और आंख का प्रयोग होता है
22:34अब हाथ तो इसके लिए देखिए
22:42[संगीत]
22:59[संगीत] पावर ऊर्जा शक्तियों आंखों के द्वारा
23:05हमारे आंखों में प्रवेश करके हमारे अंदर समाहित
23:11इसीलिए हम लोग कहते हैं की भोजन सार्वजनिक तौर पर नहीं करना
23:18चाहिए
23:27ग्रहण करते हैं तो कई लोग आते हैं की
23:33उनको ईर्ष्या होती है जो ईर्ष्या होगी
23:46[संगीत]
23:58[संगीत]
24:07स्पष्ट करते हैं तो उसका प्रभाव हो जाता है इसलिए कई लोग अपने बच्चों को किसी को
24:12छूने नहीं देते
24:18कुछ नहीं होता है जो हाथियों के द्वारा आंखों
24:25चेंज करके उसको प्रभावित कर देते हैं तो भोजन में इन दोनों का बड़ा प्रभाव
24:34पड़ता है इसलिए शुद्धता का मतलब ये हुआ की पहले
24:41हम भोजन बना रहे हैं उसकी तैयारी करते हैं तो तैयारी में है की उसको अच्छी तरह से धो
24:50लिया जाए साफ कर लिया जाए तब उसको
24:56मैन में संकल्प रहे की भाई यह जो भोजन बनाने जा रहे हैं
25:02वो परमात्मा के लिए बुला रहे हैं उनको
25:08भूख लगाएंगे इस स्वीकार करेंगे तो हम प्रसाद पाएंगे
25:13यह भावना है तो हमारी आंखों के द्वारा यह श्रेष्ठ भाव उसे अन्य को उसे भोजन को
25:19प्रभावित करेगा तो बनाने वाला भी स्वच्छ होना चाहिए नहा धोकर के अच्छे कपड़े पहन ले
25:28और एक बात का विशेष ध्यान हम लोग आगे चर्चा करेंगे
25:36और kauliya से बंद लें क्योंकि किसी भी हालत में भोजन में बाल ना जाना चाहिए
25:43क्योंकि ग्रह ही नहीं होता इसके चर्चा हम लोग आगे करेंगे
25:48तो इस तरह से स्वच्छता से बाबा की स्मृति में अच्छी सी सफाई करके
25:56और कीचड़ भाई मस्त है बहुत जरूरी है
26:04अब किचन की सफाई कम करें तो सबसे अच्छा होता है की रात को सोने से पहले पूरे किचन
26:12की सफाई कर लें सारे बर्तनों की सफाई कर लें क्योंकि
26:18अगर रात में झूठा बर्तन रह गया विशेष तौर से बेडरूम जहां हम सोते हैं
26:26चम्मच भी उठाना गया तो गंदे स्वप्न आते हैं वह प्रभावित करते
26:33हैं की जहां किचन में गंदगी होती है वहां लक्ष्मी कमस नहीं होता
26:40इसलिए सोने से पहले शाम को ही हम पूरे बर्तन की सफाई कर ली किचन को सफाई कर लें क्योंकि
26:48किचन भोजन का कंट्रोल रूम होता है भोजन की क्वालिटी वहीं से कंट्रोल होती है
26:54सफाई करें इसके बाद जो भी हम
27:00भोजन पकाए इस स्मृति रहे परमात्मा की याद की और
27:07हमारा मैन शांत रहे खुश रहे यही रहे की
27:13भोजन जो हम बना रहे हैं परमात्मा को भोग लगाने के बजाय हम भी प्रसाद में भी हमारे परिवार के लोग भी
27:20प्रसाद लेंगे ये स्मृति अगर है तो भोजन शुद्ध भी होगा
27:27और स्वादिष्ट भी होगा अब स्वादिष्ट की बात आई थी स्वादिष्ट
27:33लास्ट में है और स्वादिष्ट भोजन क्यों क्योंकि हम जो भी भोजन करते हैं तो उसे
27:41समय हमको शांत स्वरूप में रहकर की प्रसन्नता पूर्वक
27:48और बाबा की स्मृति में रहता है परमात्मा की स्मृति में ना करके अगर हम भोजन करें
28:00और प्रश्न की भोजन बनाने में स्वादिष्ट क्या होता है
28:10तेल मसाला मिर्च दल देंगे उसे स्वादिष्ट हो जाएगा ऐसा कुछ नहीं है
28:16[संगीत]
28:22तेल दल दिया गया तो कहते हैं की भोजन का स्वाद तो उतर गया है
28:28उतर गया है माना अपने क्वालिटी से नीचे डाउन हो गया है क्वालिटी उसकी खराब हो गई
28:35है और प्रश्न एक स्वादिष्ट भोजन कैसे बनेगा
28:41तो सब लोग जानते हैं मैंने जो भोजन बनाते हैं की भोजन बनाते समय जो हल्दी नामक तेल
28:49मिर्च मसाला डालते हैं इसका कोई पैमाना नहीं होता है नाम तो नहीं होता है भाई आधा
28:56किलो डाल है तो उसमें कितना ग्राम नामक पड़ेगा कितना ग्राम कोई पैमाना है वो लाल
29:03से डाला जाए और अंदाज़ से डालते हैं तो सही तभी होगा जब हमारा विधि एकांत होगा
29:12अगर बुद्धि के कार्य नहीं है बिजली तरह पता चलेगा की नामक या तो डेल ही नहीं या
29:19तो दो बार दल दिए दोनों ही स्थिति में वह भोजन का स्वास्थ्य समाप्त हो जाएगा
29:30कोई लड़ाई झगड़ा ना हो किसी से नहीं तो होता क्या है की मैन लीजिए की सुबह का समय
29:37है खाना बनाने का वक्त है तब तक कोई ए गया कुछ बोल दिया उल्टा सीधा लड़ाई शुरू हो गई
29:44लड़ाई शुरू हो गई तो क्रोध का विषय है हम लोग बाद में चर्चा करेंगे कभी तो क्रोध
29:51में आदमी कुछ भी बोल देता है उससे क्या होता है
29:56आसान तो हो जाता है बेचैन हो जाता है क्रोध में तो क्या करते हैं मानने की कोई
30:04माता पुरी ताल रही है पुरी कही में ही में पुरी ताल रही है
30:14आओ तुमको इसी में ताल देंगे आप [संगीत]
30:20अब वो शाकाहारी भोजन तो हो गया मांसाहारी मुख से बोला आंखों में क्रोध है और कही
30:29में घी इसमें कुटिया कला रही है और उसको भी तलने की बात
30:37ए गई इसलिए कभी भी लड़ाई झगड़ा की स्थिति में भोजन बनाना ही नहीं चाहिए
30:44थोड़ी देर आराम कर लें यमन शांत हो जाए तब हम भोजन
30:52बनाएं ऐसी इसमें क्या भोजन को बिगाड़ दें भोजन में भी स्वाद खत्म हो जाएगा हल्दी
31:00डालना चाहिए द ना दल दिया इतना होगी खराब हो गया नामक दो बार दल दिया करो यहां
31:08है भटकी हुई है तो इस तरह से वो भोजन
31:13स्वाधीन हो जाता है और खाने वाले
31:18खाने वाले देखिए भोजन बनाते समय भी मैन संत prasannchitt
31:26हो लगता है बहुत से लोग खाते हैं बहुत और दुबे
31:36उनके अंदर dignata रहती है भोजन करते समय भी भोजन बनाते
31:45इसलिए अब देखिए मदे कितनी मेहनत से भोजन बनाती है पहले तैयारी करती है
31:54क्योंकि वह प्रसाद भगवान को लेने के बाद परिवार के लोगों उसको लेना है
32:00यह भाव है और हम उसकी कमी निकलने लगे हैं कैसा भोजन है
32:07जैसा भी है अगर उसकी प्रशंसा नहीं कर सकती तो शिकायत
32:13भी ना करें क्या होता है
32:31राम रूथ हुई या पद से कभी-कभी
32:37एक बनता है और जिनको प्रेक्टिस होता है वो हमेशा बनाते हैं तो मरने की नामक कम हो
32:43गया
32:54लेकिन थोड़ा सा लो रहता है बात हमने वही कहा लेकिन थोड़ा उसको चेंज
33:02करके कहा तो बनाने वाले के मैन में भी दुख नहीं होगा और आगे से ध्यान रहेगा की थोड़ा
33:08सा ध्यान से हम नामक का प्रयोग करें अब इसी तरह
33:17कई बाबा पैदा हो गए हैं जो लोगों की समस्याओं का निराकरण करना है
33:24समाधान करना है बाबा ने एक आदमी पहुंच गए बाबा के दरबार
33:31में वहां कई लोगों की समस्याओं का समाधान हो रहा था
33:38तो कहा की बाबा हमारी भी समस्या है वही बाबा बोलो
33:46कृपा की वर्षा नहीं हुई
33:53यह बताओ तुम भोजन करते हो तो कभी पत्नी की प्रशंसा
33:58किए हो तो ना बाबा बस कृपा की वर्षा वहीं अटकी हुई है
34:08भोजन का प्रशंसा करो प्रभु कृपा की बरसात जरूर होगी ताकि ठीक है तो बड़ा अच्छा सर
34:14बाबा ने बता दिया मुबारक भाई वो गया घर पत्नी ने एक भोजन करो साथ
34:21आलू के पराठे द
34:30[संगीत] कितना स्वादिष्ट इतना अच्छा लगा
34:39यह प्रशंसा कर रहा है और पत्नी गई किचन
34:54और उसके बाद लेकर बड़ी रुद्र रूप
35:01धारण क्यों क्या बात है ना क्या बात है पूछ रहे हो अरे 15 वर्षों से हम तुमको
35:08तरह-तरह के व्यंजन खिला रहे हैं एक बार ही प्रशंसा नहीं किया और आज पड़ोसन
35:14ने आलू के पराठे दे गए इतने प्रशंसा
35:21[संगीत] की प्रभु का प्रेम वर्ष का बरसात हो रहा
35:26है हो गया
35:36है तो इसलिए स्वादिष्ट भोजन यह बात है
35:44तो सुविधा की बात वो घर में ही हो सकती है आज कल का फैशन जला हुआ है
35:52बाहर खाने का पहले के लोग सोच करने के लिए बाहर जाते द
35:59भोजन घर में खाते हैं और भोजन बाहर खाने जाते हैं कहां होटल
36:07में रेस्टोरेंट तो जो स्वर घर के गिरने द्वारा बनाए भोजन में
36:15है वह गारंटीड है की फाइव स्टार होटल में भी उसे बात नहीं है कारण क्या है
36:22की वो जो भोजन बनाते हैं उनका जो बावर्ची हो जाम बनाता है वो कमर्शियल होता है
36:28कमर्शियल माने व्यवसाय उनको अधिक धन कमाने का संकल्प बढ़ता है
36:36की नहीं सर्टिफिकेट भी नहीं है पोस्टिक है कोई मतलब नहीं है भोजन
36:43होटल से अधिक से अधिक इनकम आए ये उनका उद्देश्य होता है
36:50तो कभी-कभी आना ये भोजन करने से आता हुआ चावल हुआ
36:59कभी-कभी उसमें कीड़े पद जाते हैं सब्जियां भी जैसे कभी कोई गोभी हुई भिंडी
37:06हुई उसने भी की है जब उसको काटती हैं तो देख करके काटती है
37:17उसको साफ कर देती है लेकिन होटल का जो भोजन बनता है
37:26और उसकी प्रैक्टिस है खटाखट काट रहा है भिंडी उसमें कई कीड़े करते हैं उससे उसको
37:31ही मतलब नहीं चावल अच्छी तरह से धोया नहीं उसमें भी कई
37:39कीड़े जलने पाक गए अब वो शाकाहारी भोजन भी मांसाहारी हो गया
37:46तो उसमें कहां [संगीत]
37:55रेस्टोरेंट का भोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि जो खाते हैं होटल में मरते
38:01हॉस्पिटल [संगीत]
38:13क्या कहते हैं अरे भाई हम एक महीना होटल में पेट ही खराब हो गया
38:19हमको यह भी मैन होगी हमको यह बीमारी हो गई तो बीमारी तो नहीं भाई क्योंकि बीमारी हम
38:26पैसे से खरीद रहे हैं वह भोजन किसी भी दृष्टिकोण से ना तो सात्विक है नहीं सकता
38:32है नहीं पहुंचती है और स्वाद भी जो है टेंपरेरी है बनाया गया स्वाद है
38:38जैक उसको बहुत देर तक अच्छा अब बाहर की बात फैशन तो ठीक है बाहर
38:46खाई कितना बड़ा अधीन से अधिक कमरे से निकल कर के पराठे
38:52उठा दीजिए यह बाहर तो ठीक है अब घर से बाहर जाकर के
38:58होटल में स्टूडेंट में खाएंगे तो बीमारी ही खरीद कर खाएंगे स्वास्थ्य नहीं मिलेगा
39:06और शुद्धता इसीलिए कहते हैं की जैसा खाएंगे वैसा
39:12बनेगा मैन और इसका क्या रहस्य
39:18भोजन तुमसे करते हैं पेट में जाता है अब मैन को यहां आत्मा की कमी है ऊंट कैसे
39:23प्रभावित हो जाती है तो जो भोजन करते हैं
39:30वह पलक पछता है और बचने के बाद रस बनता है और रस की बात
39:36खून बनता है [संगीत]
39:43उसमें ए जाता है खून बनता है उसमें अलता है और सब जानते
39:49हैं की खून नसों के द्वारा पुलिस शरीर में प्रवाहित होता है अब आत्मा यहां है तो रस के द्वारा कुल
39:57वहां भी आता है वो आत्मा की इंद्रिय मैन को प्रभावित कर देता है तो
40:03क्या होता है अगर दुष्ट भोजन है [संगीत]
40:10उथल-पुथल हो जाता है और उसी धुन में उल्टा सुलता कम कर देते हैं उल्टा सीधा बोल देते हैं तो दुख ही होगा
40:17जब सही कम नहीं करेंगे तो उसको कैसे होगा तो इस तरह से
40:24शुद्धता हमारे लिए अत्यंत आवश्यक है और शुद्ध भोजन
40:31ही करें होटल के भोजन से बचे
40:36तो सात्विक हो गया सूक्त हो गया पौष्टिक और पौष्टिक भोजन का मतलब क्या
40:45मतलब है की जो हमारे शरीर को पुष्ट करें तो हमारे शरीर को खुश क्या करेगा
40:54उसके लिए हम ताजा ताजा भोजन करेंगे [संगीत]
41:05तो ताजा भोजन हम करें बंसी भोजन कठिन है
41:12क्योंकि कहा जाता है पहले की खाना चाहिए गाना
41:17पीना चाहिए ठंडा अर्थात भोजन गरम करें और पानी ठंडा
41:24आजकल क्या है आजकल
41:31[संगीत]
41:44प्रभावित हो गए अब देखिए
41:51घर में होती [संगीत]
42:01जिनके तकदीर में अच्छा भोजन नहीं है तो रहते हुए भी ग्रहण नहीं कर पाते क्यों
42:09क्योंकि रात में कुछ भोजन बच गया [संगीत]
42:16था ही देखते हैं अब भोजन खाली उसने भी ताजा भोजन बचा वो भी
42:23बच गया [संगीत]
42:29फिर बच गया [संगीत]
42:37भोजन स्वस्थ के लिए बहुत ही
42:42इसलिए कभी भी हमें ताजा भोजन करें अच्छा ठंडा स्वच्छ पानी पिए तो हमारा
42:50स्वास्थ्य ठीक रहेगा अब तीसरी बार तीन वर्ग है
42:58कैसा भोजन कर इसमें सिम पर भोजन
43:03[संगीत]
43:10और तीसरा [संगीत] मतलब होता है
43:18[संगीत]
43:29अलग-अलग प्रकार के फल दिए तो रितु अनुसार क्यों भोजन होते हैं
43:34[संगीत] सात्विक होते हैं पौष्टिक और स्वादिष्ट
43:39होते हैं आजकल हाई टेक्नोलॉजी के
43:45अनुसार हर तरह के [संगीत]
43:54लेकिन उसे होता क्या है [संगीत]
44:02तो उसमें ना तो स्वाद होता है [संगीत]
44:08और मंगा भी मिलता है [संगीत]
44:23फायदा क्या इसलिए कोशिश करने चाहिए की हम सदा रितु के अनुसार जो उपस्थित हमें दिया
44:30वैसा ही अन सब्जी और फल का उपयोग करें दूसरा
44:37[संगीत]
44:47स्वास्थ्य रहे शक्ति दे
44:52पौष्टिकता रहे वही भोजन है और रन भी गम
44:58खर्च जैसे समय में गोभी खंत ने जाएंगे जो 50
45:05रुपए का मिलता है सीजन में वो ₹5 से कम ही मिल जाता है
45:15क्योंकि अपने रितु के [संगीत]
45:22मीत भोजन मैंने मित्र बेरी माने कम संतुलित भोजन होना चाहिए
45:31कभी भी देखिए तो कोई भी भूख से नहीं मार्ता लेकिन खाकर मरने वालों
45:38की संख्या [संगीत]
45:56खाने वाला गणित व्यक्ति भिखारी फुटपाथ में
46:01खूब आराम से सोता है तो इसलिए मिथ अर्थात सीमित मात्रा में
46:09हमारा भोजन होना चाहिए [संगीत]
46:16आर्य में कहते हैं की भोजन दो बार पकता है [संगीत]
46:23और दूसरा जन्म आहार लेते हैं तो अंदर एक जठर ग्रंथि होती है
46:30जिसका आकर ऐसे होता है ऐसे अर्थात हमारा भोजन इतना ही होना चाहिए
46:36जितना ही ये अंजलि में ए जाए उसे सीमित मात्रा होता है अब जगह से जब
46:44भोजन करते हैं तो जिस रागिनी प्रज्वलित होती है की उसे भोजन को पूरा दुबारा पड़ती
46:49है और तब वो भोजन आराम से बच जाता है
46:54अब purchasega तभी रस बनेगा
47:00और तो भी वो शरीर को लगेगा खूब भोजन कर रहे हैं
47:06तो क्या लगेगा शरीर इसलिए भोजन ही भोजन और विधि भोजन ये हमारे
47:15लिए लाभदायक होता है अब देखिए
47:20कुछ टिप्स यह है
47:25की भोजन जैसे चार लोग वर्गीकरण हमने किया
47:36[संगीत]
47:44अपने जिन करके चलाया नहीं उसने चलाता ही रह जाएगा
47:49है तो उसके लिए यह देखिए की भोजन जो डिलीवरी के समान हो जाए
48:02[संगीत]
48:12कम से कम एक डेढ़ घंटे के बाद ही अगर पानी पीते हैं तो वो भोजन को पचाने में सहयोगी
48:19होता है खूब सेवाएं पानी पिए और कोशिश करें की जो
48:28भोजन हम ले रहे हैं कनिष्ठ भोजन से बचें
48:35गणित भोजन पेट में पसीने में दिक्कत करता है तो पेट की कई बीमारियां पैदा हो जाते
48:41हैं ये और चार प्रकार के भोजन
48:48ये त्यागी
48:53तो पहला भोजन मैन लीजिए की थाली में पहुंचा गया किसी के
48:59पैर से ठोकर लगते हैं वह भोजन ग्राही नहीं है
49:04दूसरा भोजन दिया [संगीत]
49:10ही नहीं और तीसरा अगर भोजन में बाल पद गया है
49:16इसलिए हमने पहले चर्चा किया की भोजन बनाते समय बाल को अच्छी तरह से जुड़ा बनाकर के
49:23tauriya से बंद लें ताकि बाल जानने की कोई संभावना ना हो अगर पद गया वो भोजन गीत कर
49:30दिया है और चौथा आई
49:38[संगीत]
49:48प्रकृति ने हमको इतना guchiplas दिया
49:53[संगीत] तो इसीलिए कहा
49:59की संस्कृति है और mansahat विकृति है
50:07जो हमने छोड़ दिया
50:15[संगीत] पदार्थ दिया जिसमें हर तरह के विटामिन
50:21mitransh आदि जो आवश्यकता है स्वाद है कोशिका है अगर हमारा अब भक्त की ओर बुद्धि
50:30जाता है तो ये बुद्धि के विकृत होने का प्रमाण
50:36[संगीत] ड्राई फ्रूट सूखा से मेवा कहते
50:43अब उसमें एक होता है बादाम होता है
50:52[संगीत]
51:08दूसरा है अखरोट अखरोट अखरोट की आकृति देखी तो दिमाग की
51:14तरह उसकी बनावट रहता है अर्थात अखरोट का सेवन करेंगे
51:19तो उसे बुद्धि विकसित होगी दिमाग मजबूत होगा और शक्तिशाली होगा तो आजकल
51:31भूल जाता है
51:37तीसरा कार्य काजू अगर दो कार्यों को जोड़ते हैं तो कान
51:42की आकृति बन जाती है बन जाती है
52:05सेवन करेंगे तो हमारे होंठ रसीले हो जाएंगे उसमें खूबसूरती ए जाएगी और
52:14सॉल्वेंट ही हमारा बढ़ जाएगा इस तरह से प्रकृति ने हमें
52:20तरह-तरह के भोज्य पदार्थ दिए हैं भाई हमारा बुद्धि अनंत क्यों जाता है यह
52:27बुद्धि की विकृति अब जैसे
52:32लोग कहते हैं मनसा mansahat को मनुष्य के लिए है ही नहीं
52:39इसका प्रमाण इसका प्रमाण है की जो मांसाहार जीव होते हैं मांसाहारी
52:47उनके मुंह के आगे भी जो दो दांत होते हैं उनको नीचे के ऊपर एक नुकीले होते हैं जबकि
52:55मनुष्य क्यों नहीं होती [संगीत]
53:06है
53:17अंधेरे में चमकते हैं जबकि क्योंकि आंखें लेकिन इससे सिद्ध होता है
53:24की मनुष्य शाकाहारी है और शाकाहारी उसे के लिए
53:31shreshtata है वो मांसाहारी नहीं है उसकी अंदर की आंख पचाने वाले की जो बड़ा है वो
53:39शाखा हर के लिए ही बना है जब हमारा पदार्थ सरकार है तो जो भी हमारे पचाने वाले या
53:47क्रिमिनल है वो उसी हिसाब से बनेगी अब कुछ लोग कहते हैं
53:53भाई मांसाहारी ताकत ना है अब देखिए ताकत है जब हम बीमार होते हैं
54:01हमारा पेट खराब हो जाता है तो डॉक्टर को क्या कहते हैं
54:07दलिया खाई
54:13मत्था पीछे छाछ पीजिए दूध पीजिए
54:23तो डॉक्टर कहते हैं दूसरी बात
54:31तो सभी शक्तिशाली जीवन में सबसे शक्तिशाली कौन है हाथी विशाल हाथी
54:39[संगीत]
54:57जो है वो हमसे ताकतवर है पहली बार
55:03दूसरी बात की जो बोझ बैल होते हैं बड़े के पीठ पर रख दीजिए
55:13या गाड़ी में रख दीजिए
55:22उठा पाएगा कुत्ते
55:31कहां है शक्ति भाई
55:45आदमी को 60 किलो 70 किलो मीठा करके खूब तेज होता है
55:55जहां शक्ति की बात आती है
56:02एक इंजन कितने की है तो पंच हॉर्स की ये इंजन 10 हॉर्स पावर
56:10[संगीत] शक्ति की बात आती है और घोड़े की बात कर
56:18लो करते हैं [संगीत]
56:27इसलिए कहा अंडा
56:34तो ज्यादा हो रहा है
56:55मनुष्य के लिए हाई ही नहीं तो अंडा उत्पादक उन्हें देखा की भाई टीवी
57:02पर ऐड के मौजूद भी हमारा जो प्रोडक्शन है पागल है वह खपत कम है तो क्या का दिया अरे
57:10अंडा तो शाकाहारी है भाई अब बताइए शाकाहार वनस्पतियों से पैदा होता है
57:18मुर्गी के पेट से नहीं होता ऐसा कभी कोई कहे की किसी पेड़ पर हमें अंडा
57:23लगा सकते हुए देखा किसी बृहस्पति को हमने देखा कहीं नहीं देखा फिर भी कर दिया
57:31भ्रम पैदा करने के लिए अपने धन के उपार्जन के लिए लोगों को विविध कर दिया
57:37था और जिनकी बुद्धि विकृत है
57:45इसके अलावा कई लोग कहते हैं [संगीत]
57:52अच्छा ठीक है स्वाद है तो कच्चे खाओ या उबाल कर खाओ कोई खाता है नहीं काटते
58:00हैं इसका मतलब ये है और स्वादिष्ट बनाने में क्या करते हैं उसमें मसाले डालते हैं
58:07मिर्चा डालते हैं नामक डालते हैं तो सब सका है जाएगा
58:20स्वाद रहता है सतारा का और कहते हैं की मनसा कहां है भाई स्वाद तो शाकाहार में है
58:27मिर्च मसाला swadhari यानी बल्कि में औषधि गुण भी है
58:32जैसे गरम मसाला उसमें जितने मसाले हैं हल्दी
58:38आदि जो चीज हैं उसमें औषधि गुण हैं जो हमारे शरीर को पुष्ट करते हैं
58:45तो मांसाहार में एन तो शक्ति है नहीं स्वाद है
58:51और तीसरी बात नुकसान क्या है
58:59तो सबसे बड़ा नुकसान [संगीत]
59:10आपका वो ही चढ़ गया दूसरा हमने अपना पेट खराब कर दिया
59:16जैसे कोई शरीर छोड़ता है तो asamashan में भी डालते हैं
59:21कोई 100 को छूट कोई नहीं भी छुट्टी हैं अगर साथ ही जाते हैं तो कर दें तो शुद्ध
59:28हो गए भाई तो स्नान करते हैं
59:41[संगीत]
59:50और कहते हैं भाई
59:57हम बड़ा बीमार रहते हैं जाकर हॉस्पिटल में अगर देखा जाए तो 90%
1:00:0410%
1:00:18तो क्या हुआ
1:00:25विकृत हो जाएगी उससे प्रमाणित हो जाएंगे तो हॉस्पिटल में तो जाना ही है इसलिए कहा
1:00:31की जो खाते हैं होटल में वो मरते हैं हॉस्पिटल तो इस तरह से
1:00:37हमने देखा की हमारा आहार
1:00:42सात्विक हो शुद्ध हॉस्टी हो और स्वादिष्ट
1:00:48हो और यह सारा आहार हमेशा का हाथ से ही प्राप्त होते हैं
1:00:54और कहीं जाने की जरूरत नहीं है कितना खाएंगे भाई खाएंगे
1:01:00कैसा स्वाद चाहिए हर तरह के फल सब्जियों का अलग-अलग स्वर
1:01:07अर्थ ये सारी चीज हम लेते हैं
1:01:12तो फिर हम दूसरी तरह हमें बुद्धि जानने की हेमंत जी नहीं
1:01:18इसलिए अपने भोजन पर हम जरूर
1:01:23विशेष ध्यान दें और यह कोशिश करें
1:01:30[संगीत]
1:01:35नहीं तो त्याग जी इसी कहने पे प्रभाव में आकर के किसी से बड़ा मित्रता है का रहा है
1:01:42का रहा है तो हम अपना देखेंगे ना भाई उसका हमें तो अपनों में देखना है हमारा हिट
1:01:49कहां है अब अंत में हम लोग जानेंगे
1:01:58जैसा जैसे पहले चर्चा हुआ की किचन
1:02:04भोजन को हरित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है घर
1:02:10यहां 2005 10 सदस्य रहते हैं वहां आपस में
1:02:15श्वेत प्रेम नहीं है लड़ाई झगड़ा है सो रहे सन्नाटा है वहां जो भी भोजन करेंगे वह
1:02:23तो भाई फायदेमंद नहीं होगा
1:02:31कैसे होगा इसलिए कोशिश करें की घर में कम
1:02:37से कम खाते समय करवा रहा हूं खाते समय कम से कम कई माता की आदत होती है
1:02:44जब आदमी बाहर से आते भोजन परस्ती हैं तो अपना सारा का शुरू कर देते हैं ये हुआ
1:02:51साथ ऐसा भोजन के साथ-साथ
1:03:01तुम क्यों करती हो
1:03:15यह तो उन्होंने कहा दिया सुनते हैं लेकिन उसका क्या कुछ प्रभाव पड़ता है इसका उनको
1:03:22कोई मतलब नहीं इसलिए भोजन करते समय अगर हो सके तो कोई बहुत
1:03:29बाबा से जुड़ा हुआ कितना कोई भक्ति का भजन ही लगा दें ताकि मैन परमात्मा से जुड़ा
1:03:37हुआ हो और प्रेम का माहौल हो तो वो भोजन
1:03:42करें कुल लगेगा और मैन भी हमारा उद्धार नहीं होगा
1:03:47इसी तरह से एक बार एक परिवार में
1:03:53अंतिम स्टेज पर हम लोग हैं एक परिवार में एक माता पिता के साथ लड़के द
1:04:007 लड़कों में छह लोगों की शादी हो चुकी थी
1:04:07अभी छोटा कुमार करेंगे
1:04:16[संगीत]
1:04:47भोजन बनाने के लिए जगह अधिक होता था
1:04:53बहुवचन है सतवादी किसी बहु ने एक कहा की चलिए माताजी
1:04:59होम करने चाहते ही नहीं
1:05:05कोई बात नहीं हम ही संभल लेंगे अरे छोटे किसान भी हो जाएगी तो सातवां दिन उसको
1:05:12सुकून करके हमने तृप्त हो जाएंगे कुछ ही दिनों के बाद छोटे बेटे की शादी हो
1:05:19गई अब जिससे शादी होनी थी उसको पता चल गया
1:05:26उसके पिता को ही पता चल गया माता [संगीत]
1:05:47और लड़का भी हो रहा था पसंद था लेकिन एक बार घटक रही थी की हमारे लड़की का ऐसे
1:05:55गर्मी बुझाना कैसे होगा तब लड़की ने कहा चिंता मत कीजिए एडजस्ट
1:06:01हमको एन करना है हम कर लेंगे शादी हो गई बहु ए गई
1:06:09तो दिन भर तो समय लग जाता है तमाम तरह के औपचारिकता होती है वो दिखाई होती है तो ये
1:06:16होता है ना संकेत मणि होता है सब होता है शाम हो गया
1:06:22सब सब लोग अपने-अपने घर चलेंगे शाम को सो गई सब कुछ हो गए
1:06:28अब उसे घर की परंपरा थी की लोग खूब सोते द रात में जगाना सुबह देर से
1:06:36उठाना आजकल का तो फैशन बन गया और जल्दी उठ जाए यह तो अच्छी बात है इसलिए
1:06:46कहा की जो रात को जल्दी जागे उसे बच्चों से दूर-दूर दुनिया के
1:06:52दुर्भाग्य लेकिन आज के फैशन रात तक सीरियल रखेंगे सुबह 8:00 बजे उठेंगे
1:07:03तो 4:00 बजे उठ गई छोटी बहु
1:07:12थी
1:07:25तो सब तोड़फोड़ कर देगी छोटी बहु अपना कम में लगी हुई है
1:07:32कहा तेरी बहु
1:07:37और अभी से उठ गई इसी समय
1:07:49कहां की माताजी लोग दुनिया में भंडारा करते हैं
1:07:56करते हैं
1:08:02खिलाते हैं अपना खर्चा भी करते हैं मेहनत भी करते हैं क्योंकि पुणे कमाए गए
1:08:08हैं तो हम भी बनाए द खिलाएंगे सबको परिवार को तो क्या हमको तूने नहीं मिलेगा
1:08:15अब तो पुरी हम ही कमाएंगे हम ही बोले मनाएंगे
1:08:26[संगीत] सबको खिलाएंगे और पुण्य कमाएंगे
1:08:33क्या करेंगे सुबह हुआ तो उन्होंने के उठने से पहले ही
1:08:39चाय नाश्ता तैयार किचन
1:08:48घटना है अभी हम लोग पढ़े द चार रास्ता तैयार अब सांस में बजाएंगे भाई मेरी बहु
1:08:55पुण्य कम रही है उसका खाना है की हम सबको बना कर खिलाएंगे किसी को भी कुछ भोजन
1:09:00बनाएंगे जरूरत नहीं है हमको पुण्य कमाएंगे तब तुम बहुत आंखें
1:09:18[संगीत]
1:09:24[संगीत] दूसरे दिन वह तो सुबह 4:00 बजे उठ जाती थी
1:09:31छोटी बहु आंगन में झाड़ू पोछा सफाई
1:09:37[संगीत]
1:09:49पागल हो क्या और तुम घर में झाड़ू पोछा कर रही हो
1:09:58आराम करो कहीं की माता जी मंदिर में जाते हैं तो बड़े-बड़े लोग सफाई
1:10:06कर देंगे झाड़ू पोछा करते हैं की नहीं क्यों करते हैं
1:10:28अब पुरी हमको बनाएंगे [संगीत]
1:10:48पुरी कम एंगे
1:10:58घर में ना है बिक था
1:11:04वहां से कुएं से पानी भरकर ए गया था तो तीसरे दिन भी साथ में देखा की अरे भाई
1:11:13यह तो सारे बर्तन पानी के भरे हुए एक और भरते हैं
1:11:20पार्टी भर के पीला दे भाई
1:11:25दो दिन की तुम्हारा और ये बाहर के लोग देखेंगे मोहल्ले के लोग
1:11:32कितनी शिकायत करेंगे की कैसी सास है अपने बहु को लगा दिया कम पर पानी भरने पर तू ना
1:11:38करवाओ क्या हमारा मानते क्यों नहीं कहा की ये माता जी आप नहीं समझ रही
1:11:52हमारे घर में इतनी लोग हैं अगर हम पानी पीला दे और पानी मिलेगा
1:12:16तो हम लोग क्या करेंगे तो अगले दिन से वह भी कम शुरू हो गया
1:12:28एक बहु के कारण शांत हो गया परिवार आपस में भूल गया की
1:12:35होम जहां कोई
1:12:42कम करेंगे तो हम करेंगे शांतिप्रिय घर हो गया और माहौल वहां का
1:12:48अच्छा हो गया कुछ मिजाज हो गया और वो परिवार चाहिए लगा
1:12:55है इसीलिए लक्ष्मी कहा जाता है
1:13:07की हम भी लक्ष्मी ही है भाई बस
1:13:14जो करके दिखाएंगे इसलिए कहा की किसी को उजड़ कर बेस तो क्या
1:13:24किसी को रुला कर हंस तो क्या हंस अरे मजा तो तब है जब किसी को बसाकर बेस तो
1:13:33कुछ और बात है किसी को हंसा कर हंस तो कुछ और बात है ओम शांति
1:13:40[प्रशंसा] बहुत अच्छी
1:13:47है सत्संग
जिन लोगों ने अभी तक सब्सक्राइब नहीं किया है, आप सभी से आग्रह है कि आप अपने यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें और अपने सहयोगियों से भी साझा करें ताकि एक मदद करके हम एक सकारात्मक सोच वाला समाज सेवा बना सकें।