स्व का यथार्थ परिचय … जानिए आप कौन ?
नमस्कार दोस्तों,
आज हम एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर बात करेंगे, “स्व का यथार्थ परिचय”।
यह जानना कि हम कौन हैं, जीवन में सबसे महत्वपूर्ण प्रश्नों में से एक है।
हमारे विचार, भावनाएं, मूल्य, और अनुभव हमें परिभाषित करते हैं।
लेकिन क्या हम वास्तव में इन सभी को पूरी तरह से समझते हैं?
आत्म-जागरूकता जीवन में सफलता और खुशी के लिए महत्वपूर्ण है।
जब हम खुद को बेहतर ढंग से समझते हैं, तो हम जीवन में सही निर्णय ले सकते हैं, अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं, और मजबूत संबंध बना सकते हैं।
तो, आइए जानते हैं कि हम स्वयं को कैसे जान सकते हैं:
1. आत्म-चिंतन करें:
- अपने विचारों, भावनाओं और व्यवहारों पर ध्यान दें।
- प्रश्न पूछें: “मैं ऐसा क्यों सोच रहा हूं?”, “मैं ऐसा क्यों महसूस कर रहा हूं?”, “मैं ऐसा क्यों कर रहा हूं?”
- अपने मूल्यों और विश्वासों को समझने का प्रयास करें।
2. अपनी ताकत और कमजोरियों को पहचानें:
- हर व्यक्ति में कुछ न कुछ खास होता है।
- अपनी प्रतिभा, कौशल और क्षमताओं को पहचानें।
- साथ ही, अपनी कमजोरियों को भी स्वीकार करें और उन पर सुधार करने का प्रयास करें।
- जीवन में आने वाले हर अनुभव से कुछ न कुछ सीखने को मिलता है।
- अपनी गलतियों से सीखें और भविष्य में उन्हें दोहराने से बचें।
- अपनी सफलताओं का भी विश्लेषण करें और उनसे प्रेरणा लें।
- अपने करीबी दोस्तों, परिवार और परिचितों से पूछें कि वे आपको कैसा देखते हैं।
- उनकी ईमानदार प्रतिक्रिया सुनें और उसे स्वीकार करें।
- यह आपको खुद को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा।
5. विभिन्न भूमिकाओं में खुद को देखें:
- आप विभिन्न भूमिकाओं में खुद को कैसे देखते हैं?
- एक बेटे/बेटी, भाई/बहन, दोस्त, सहकर्मी, या प्रेमी/प्रेमिका के रूप में आप कैसा व्यवहार करते हैं?
- इन विभिन्न भूमिकाओं में खुद को समझने से आपको अपनी संपूर्णता का अहसास होगा।
यह भी याद रखें:
- आत्म-जागरूकता एक सतत प्रक्रिया है।
- यह रातोंरात नहीं होती है।
- हमें लगातार खुद को समझने और बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए।
- आत्म-जागरूकता से हमें आत्म-स्वीकृति मिलती है।
- जब हम खुद को स्वीकार करते हैं, तो हम जीवन में अधिक खुश और संतुष्ट महसूस करते हैं।
आशा है कि यह ब्लॉग आपको स्वयं को बेहतर ढंग से समझने और जीवन में सफलता और खुशी प्राप्त करने में मदद करेगा।
शुभकामनाएं!
अतिरिक्त टिप्पणियाँ:
- आप ध्यान, योग और माइंडफुलनेस जैसी गतिविधियों का अभ्यास करके भी अपनी आत्म-जागरूकता बढ़ा सकते हैं।
- आप आत्मकथा या डायरी लिखकर भी अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं।
- आप स्वयं सहायता पुस्तकों या लेखों को पढ़कर भी आत्म-जागरूकता के बारे में अधिक जान सकते हैं।
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि आप अकेले नहीं हैं।
हर व्यक्ति अपने जीवन में स्वयं को जानने का प्रयास करता है।
अधिक जानकारी के लिए आप हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें और सुने यहां क्लिक करें
https://youtu.be/J0kBXnt8twE?si=vg6g1iyml3Qg8TJJ
प्रतिलेख नीचे दिया गया है
0:06ओम शांति [संगीत]
0:16ओम [संगीत] आज का
0:22हमारा विषय है
0:33[संगीत]
0:39प्रत्यक्ष दिखाई दे रहे हैं तो उसमें यथार्थ परिचय की क्या जरूरत
0:47तो जरूरत किस लिए है जो हम दिखाई दे रहे हैं तो हम नहीं
0:55और जो है वो दिखाई नहीं दे रहे हैं इसके रहस्य को जाएंगे
1:05अब जैसे कोई आदमी कहते हैं की हमारा घर
1:13है यह हमारी गाड़ी है ईद हमारी जमीन है
1:18यह हमारा हमारा कहने वाला वही है जिसका घर है जिसकी गाड़ी है और इसकी जमीन
1:25है अर्थात दुख हमारा कहता है की हमारा है वो उसका मलिक होता है
1:32की हमारा है उसी तरह से
1:39मुख कहता है की हमारा हाथ है
1:44यह हमारा पैर है यह हमारा आंख है यह हमारा मुख है
1:51स्वर्ग को भी का रहा है अर्थात नहीं है कहने वाला कोई और है जिसका ये पूरा शरीर
1:59है मुफ्त बीएमसी का है आंख भी उसी का है कान भी उसी का है और वो कौन है
2:07जो का रहा है की हमारा पूरा शरीर ये सब हाथ पैर हमारा ही है
2:13तो उसको कहते हैं आत्मा अब आत्मा
2:20रहते कहां है और विकृति कैसे हैं नाम तो हम लोग
2:30इन आंखों से दिखाई नहीं देती औरतें कहां है फैक्ट्री के मध्य में नासिक
2:38के अग्रभाग जहां माताएं बहाने बिंदी लगती हैं और भाई लोग भी का लगाते हैं
2:45जिसे atmadarshi टीका कहा जाता है
2:50और प्रश्न ये है की भाई आत्मा का निवासी यहां है
2:57तो कैसे कान है की हमारा शरीर मलिक बनकर कैसे मलिक बन गया
3:03तो इसलिए मलिक बन गए पूरे शरीर को ऊर्जा
3:09की सप्लाई वही करते हैं क्योंकि ऊर्जा के स्रोत वही है शक्ति के स्रोत वही है
3:17तो जो घर का खर्च चलाता है
3:23तो पूरे शरीर का जो पावर देते हैं पावर सप्लाई है सप्लायर है
3:30वही मलिक मेरे तो इस हिसाब से वो आत्मा मलिक हो गया
3:38अब इसका प्रमाण क्या है तो सप्लाई करते हैं हम कैसे जानेंगे भाई
3:43तो उसका प्रमाण यह है की जब आत्मा अपनी सीट पर इसे हर दल दिया था शरीर को छोड़
3:50देती है तो इस शरीर की सारी मशरीकी रहती है आदमी ठीक रहता है कान भी ठीक रहता है
3:57लेकिन इन सबका कम बंद हो जाता है बोल सकता है ना आंख देख सकते हैं ना हर
4:05कोई कम तो सकता है ना हम खड़े रह सकते ना बैठ सकते हैं जमीन पर लेटना पड़ता है
4:12अर्थात हमारा पावर सप्लाई कट हो गया और एक ही है तो कैसे कम करेगा
4:18जैसे मैन लीजिए की बाजार से हम खूब बढ़िया टीवी ले घर में केबल पड़ती है
4:27स्विच ऑन कर दिए रिमोट ढाबा रहे हो कुछ बोल ही नहीं रहा है
4:32को नहीं भाई इतना पैसा खर्च करके ले और यह बोल नहीं रहा है
4:38तो पता लगा इसका कनेक्शन तो पावर से किए ही नहीं है जब उसका प्लग कनेक्शन पावर लगाएंगे
4:48कम शुरू करेगा और वही होता है जब उसका पावर में से कनेक्शन कर देते हैं वो बोले
4:55लगता है गाड़ी लगता है नाचने लगता है प्रवचन करने लगता है भजन नाभि लगता है सारा फंक्शन
5:04हो जाती है की बंद हो जाता है वैसे का वैसा हो जाता है
5:15इंस्ट्रूमेंट्स ठीक है लेकिन पावर सप्लाई के बिना वो निष्क्रिय
5:22उसी तरह से ये सारी camariyan ठीक होते हुए भी अगर इसमें पावर सप्लाई
5:30हो जाता है लेकिन जब वही आत्मा अपने शिप और सेठ रहती
5:35है तो इसको जीव आत्मा कहा जाता है लेकिन आत्मा जब सीट से है जाती है
5:42की क्यों मैन शरीर तो ये जीव ही नहीं रहा था इसको निर्जीव कहते हैं अभी निर्जीव हो
5:49गया इसको और राखी भी कहते अर्थात रूपी शरीफ जो
5:56है शरीर की रक्त का अर्थ ही मलिक इसको चलाने वाला
6:01है फलानी की अनोखी है तो इस तरह से ये सिद्ध हो जाता है की शरीर
6:11को चलाने के लिए पावर शक्ति की ऊर्जा की जरूरत होती है जो आत्मा सप्लाई करते हैं
6:17इसलिए आत्मा इस शरीर के मलिक हैं और जो हमारा हमारा कर रहे हैं वो आत्मा है और
6:25वही हम हैं हम यह शरीर नहीं है अभी शरीर क्या है तो
6:31शरीर हमारा रथ है अर्थात यूं कहें की
6:36आत्मा के कम करने की एक मशीन है क्योंकि आंख का कम है केवल देखना
6:53ही व्यक्ति है सुनती है सब कम आत्मा ही करती है
6:59देखने वाले तो लगता है की यह मुंह बोल रहा है लेकिन वास्तव में मुक्त बोलता है लेकिन वो
7:07एक मशीन की तरह से जैसे हम बस बोलता है उसी तरह से बोलता है
7:15तो बोलेगा नहीं बोलेगा तो उसी तरह से ये
7:20आत्मा शरीर को चलाने वाली मलिक है अर्थात हम
7:27आत्मा ही है अब जैसे यह शरीर की कर्म इंद्रिय
7:37है ना उसी तरह से आत्मा की भी तीन सूक्ष्म कर मिलने
7:45और संस्करण
7:55आत्मविश्वास उसकी कर्म इंद्रियां भी सूक्ष्म है
8:01तो उसे तरह से अब इसे प्रश्न ये है की भाई मैन क्या है
8:08तो मैन को का सकते हैं की सोचने की प्रक्रिया को ही मैन कहा जाता है अर्थात बन का कम है
8:16सोच रहा हूं सोचता रहता है उसको कहेंगे मैन बुद्धि क्या है तो बुद्धि
8:22कहेंगे जो निर्णय करता है अर्थात जिसके पास निर्णय करें की शक्ति है क्षमता है
8:28उसको बुद्धि कहा जाता है और तीसरा है
8:35तो आत्मा बुद्धि के निर्णय द्वारा शरीर के कम
8:41इंद्रियों से जो कर्म करते हैं तो संस्कार नहीं जाता है और संस्कार रूपी झोली में
8:48जाकर के वही इकट्ठा होता है भाई इकट्ठा होता रहता है और वो संस्कार कभी मर्ज होता है
8:54जब उसका अगला जन्म होता है अगला अगला बहुत पूरे कर्ण का पूरे कर्ण का बायोडाटा उसमें
9:02फिक्स हो जाता है और इसी तरह से वो अपना कम करता रहता है तो दिखाई नहीं देता लेकिन
9:10वो अपना कम करता है और इसका प्रमाण क्या तो इसका प्रमाण यह
9:17सनम समय दो बच्चे जन्म लेते हैं एक करोड़पति के घर और एक भिखारी के घर
9:25अब करोड़पति के घर जन्म लेने वाला बच्चा तो जन्म लेते ही करोड़पति हो गया
9:31और भिखारी का बच्चा जन्म लेते ही बिखरी होते हैं और इन दोनों बच्चों ने जन्म देते
9:36ऐसा कोई कर्म को किया नहीं तो क्या है ये पूर्व जन्म के कर्मों का जो संस्कार है
9:43अर्थात जो प्रारंभ है उसी के हिसाब से इनका जन्म हुआ और उसी के हिसाब से उनको
9:50उसका फल मिला इससे सिद्ध होता है की पूर्व जन्म में या
9:56जन-जन्म तक जो भी हम कर्म कर्म पर आए हैं वो संस्कार बनता जाता है और वही संस्कार
10:04के हिसाब से हमारा जन्म होता है ऐसा मानने की दो जुड़वा बच्चे
10:10एक समय में पैदा हुई एक ही घर में एक ही माता पिता के पास जन्म हुआ लेकिन दोनों के
10:19भाग्य में और अंतर ए जाता है उसी में से कोई बच्चा अफसर बन जाता है और दूसरा
10:25चपरासी बन जाता है घर भी एक माता पिता लिए जन्म का समय भी एक
10:31फिर भी ये दोनों अलग-अलग क्यों हो गया क्योंकि
10:37उनकी ये गए कर्मों का जो संस्कार बना उसके हिसाब से उनको फल मिला यही चलता रहता है
10:46अब आत्मा और शरीर दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं
10:55अगर शरीर है और आत्मा या से निकल गई तो शरीर मिस भी हो गया कुछ नहीं करेगा
11:04पढ़ा रहे हो ऐसे और आत्मा है और शरीर ही नहीं है तो आत्मा
11:09क्या करेगी वो भी कुछ नहीं करेगी अधूरे लेकिन दोनों की आवश्यकताएं अलग-अलग
11:21गाड़ी है जैसे मोटर गाड़ी है अब मोटर गाड़ी खूब नया शोरूम से ले
11:31महंगी गाड़ी खड़ी हो गई वो खड़ी ही है
11:37जब तक की ड्राइवर अपने ड्राइविंग सीट पर सेट नहीं होता था गाड़ी में जो ड्राइविंग
11:42सीट है वहां जब तक ड्राइवर नहीं बैठेगा वो गाड़ी एक कदम आगे नहीं बढ़ेगी लेकिन वही
11:49गाड़ी जब ड्राइवर बैठ जाता है तोहरा के घर के दौड़ने लगती है दिवेर जहां चाहे उसको
11:55रोकता है जिधर चार उसको घुमा देता है वो हैंडलिंग करता है ड्राइवर
12:01अर्थात उसे गाड़ी को चलाने वाला ड्राइवर है
12:08यह दोनों एक दूसरे के लिए आवश्यक है खूब बढ़िया सपोर्ट ड्राइवर है उसे गाड़ियां
12:14नहीं है तो क्या चलाएगा और खूब बढ़िया गाड़ी है और ड्राइवर नहीं है तो एक कदम भी
12:19नहीं चलेगी अर्थात ये दोनों एक दूसरे के पूरा कहे एक दूसरे के बिना अधूरे है
12:26धीरज ही ये दोनों साथ-साथ रहते हैं
12:34और प्रश्न ये है की भाई जब दोनों साथ हैं तो दोनों की आवश्यकता ही भी एक होनी चाहिए
12:40लेकिन ऐसा नहीं है दोनों की आवश्यकता है अलग-अलग गाड़ी की
12:46आवश्यकता अपने और राजनीति और सत्ता अपनी अलग-अलग कैसे
12:52मैन लीजिए रास्ते में उनको प्यास लगती है
13:00और कोई कहे कैसा है की आपको दिवेर साहब है गाड़ी चलते हैं गाड़ी पर रखते हैं ये
13:05गिलास पेट्रोल ले लीजिए तो पियेंगे नहीं क्योंकि पेट्रोल उनकी
13:10आवश्यकता नहीं है उनके लिए क्या चाहिए पानी चाहिए क्यों क्योंकि उनका जो निर्माण
13:18हुआ है शरीर का ऊपर कीर्ति के पंच तत्वों से हुआ है तो उनको वही चाहिए
13:25अब गाड़ी जा रही है पेट्रोल खत्म हो गया
13:34है [संगीत]
13:40लोहे से फाइबर से तो उसको दूध और घी नहीं चाहिए
13:51और ड्राइवर साहब को चाहिए गाड़ी को डीजल पेट्रोल चाहिए दोनों
13:58एक दूसरे के पूरा ग्रहण करती हुई दोनों एक दूसरे के बिना अधूरा होते हुए भी इनकी
14:04आवश्यकता है अलग अलग ठीक उसी तरह से आत्मा और इस तरीके
14:11आत्मा शरीर दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं कुछ नहीं कर सकते और दूसरे दोनों
14:20की आवश्यकता है अलग-अलग है क्या इसे
14:26तो शरीर चूंकि प्रकृति के पंच तत्वों से बना तो शरीर को भोजन चाहिए पानी चाहिए हवा
14:32चाहिए शरीर को चाहिए लेकिन आत्मा को इससे क्या मतलब
14:38क्योंकि आत्मा swatul होती है उसके साथ गुण है
14:43सात गुण कौन-कौन से हैं सुख है सुख शांति अनंत प्रेम पवित्रता
14:52ज्ञान और शक्ति ये सात गुण हैं तो आत्मा को यही चाहिए
15:00और शरीर को चाहिए प्रकृति की चीज अलग-अलग है
15:05अब शरीर को भूख लग जाता है शरीर को प्यास लग जाता है
15:11तुमको महसूस हो जाता है अरे भाई
15:21[संगीत] भूख बहुत तेज लगे
15:30तो सभी को तो भूख लगा हमें सास होंगे क्या आत्मा रूप नहीं लगती
15:35आत्मा को भी भूख लगती है हमें उनका आइफा नहीं होता और होता है तो समझ नहीं पाते
15:43हैं की आत्मा को भूख लगी है कैसे मैन लीजिए की हम खूब
15:53और बड़ा बेचैनी है अंदर में बेचैन हैं हम
15:59इसका मतलब की बेचैन कौन कर रहा है
16:05क्योंकि उसको भूख लगी है उसको क्या चाहिए शांति चाहिए
16:14की भाई हम तो थोड़ा शांति मैडम जी थोड़ा आप लोग घाटी है हमको शांति रखना है
16:20आनंद में खुशी मिलती है किसको आत्मा को महसूस शरीर को भी होता है लेकिन महसूस
16:27होती है आत्मा को प्रेम कही मिले आत्मा गार्डन हो जाती है
16:34तो वहीं एन जाइए
16:41मोबाइल पर सन सकते हैं बता तो उसको क्या होता है उसका विस्तार है
16:47इसमें तो इस तरह से यह आत्मा की जरूरत भी हमें पुरी करनी है
16:56और शरीर की जरूरत भी हमें पुरी करनी है इसलिए हमें एहसास होना चाहिए महसूस होना
17:05चाहिए की भाई आत्मा भूखी है तो चाहती है उसको हम दे शांति दे आनंद दें प्रेम अब
17:13जैसे घर जाते हैं वो धनवान घर है सब कुछ उनके पास है वो
17:20क्या करेंगे खूब बढ़िया मिठाई नमकीन समोसा पकौड़ी लेकर रख देंगे लेकिन वहां कब्र में
17:29क्या हुआ है अशांति है तो वहां क्या हम बैठे रहेंगे
17:37वह मुंह में हमारे जाएगा जरूरी कम याद ए गया है हम फिर बाद में
17:44आएंगे क्यों क्योंकि वहां जो मिल रहा है आत्मा को नहीं चाहिए अशांति है आत्मा को
17:50प्रिया नहीं है तो वहां से उठ करके हम चले जा कहां गए किसी दूसरे घर गए वो घर के लोग
17:57गरीब हैं उनके पास बहुत व्यंजन नहीं है लेकिन उनके पास प्रेम है मुस्कुराहट स्वागत करते हैं लिए लिए बड़ा
18:04दिन के बाद आप आए ना ये बैठिए बैठिए उनके घर में शांति है कहीं कोई क्लास पेश
18:10नहीं एक गिलास पानी और मीठा भी देंगे आप खुशी खुशियां उसको ग्रहण कर लेंगे गए द 5 मिनट
18:19के लिए दो घंटे बैठे रह जाएंगे क्यों वहां जो मिला हुआ आत्मा की भूख शांत कर
18:26रहा है और आत्मा क्योंकि शरीर की मलिक है जहां
18:31चाहे एक बार बिठा जब आत्मा बेचैन हो जाएगी तो सही लेके जाएगी आत्मा को जहां अच्छा
18:39अनुभव होगा तो वहां दिखा देंगे तो इस तरह से
18:44आत्मा और शरीर यह दोनों की आवश्यकताओं को हमें पूरा करना
18:52हमें हमें माना हम दोनों [संगीत] हम दोनों मिलकर ना पूरा करेंगे आत्मा
18:59चाहेगी तो पूरा हो जाएगा इसमें भी rajmaran है तो जो शरीर को चाहिए
19:07या जो आत्मा को चाहिए हम दोनों को मिलकर उसको पूरा करना है
19:13अब शरीर के लिए तो हम लेते हैं भोजन पानी आत्मा के लिए
19:20रूहानी खुराक चाहिए
19:29तो अनुभव होता है जैसे गुलाब है
19:36गुलाब को दिखाई देता है उसका सुगंध दो निकल रहा है वह दिखाई नहीं देगा
19:45हम उसकी तरफ खींचे चले जाएंगे तो उसे सुगंध आत्मा को भी पसंद है क्योंकि द्वारा
19:52वो संदेश दे रहमत को ये सुगंध है ना कहीं करता है
19:58कान निर्णय करता है आवाज़ सुनेंगे उसे सप्लाई देगा आत्मा को समुद्र सुकुमार हो
20:04रहा है और कान तो एक मशीन है सुनने की दुकान
20:10सुनता रहेगा बस सुनेगा और कुछ नहीं करेगा तो क्या करता है जो सुनता है उसको मैन को
20:18ट्रांसफर कर देता है
20:25उसे रख लेता मैन के लायक कहते हैं ना भाई ये बात तो हमको मैन को बहुत अच्छा लगा कहा
20:31ना ये तो हमारे मैन को भाग गया और भाग वो बात मैन को प्री है तो कहा की हमको अच्छा
20:39लगा तो मैन उसको अपने पास रख लेना और बाकी भेज देगा वो को बुद्धि को ट्रांसफर कर
20:45देगा भाई ये तो निर्णय है और बुद्धि के पास जाएगा तो बुद्धि रंगरेज
20:51का निर्णायक करें क्या इसमें अच्छा है क्या इसमें खराब है तो अच्छे को ग्रहण कर
20:56लेगी खराब को विस्तृत में दल देंगे तो क्या करते हैं भाई ये बात तो हमारी बुद्धि
21:01में बैठ गया बैठ गया क्यों बैठ गया क्योंकि बुद्धि को अच्छा लगा तो बैठ गया
21:07और यही अच्छा लगा उसको उन्होंने वेस्टिज में दल दिया चला गया तो यह प्रक्रिया होती है अब मैन
21:16लीजिए की पैर में दर्द है दर्द तो कहे को है 18 शरीर को है फिर हमको
21:25कैसे महसूस होता है इसलिए महसूस होता है की पैर का दर्द होते
21:32होते शरीर में आत्मा तक पहुंचती है और आत्मा के लिए सूक्ष्म कर्म इंद्रिय मैन
21:38बुद्धि संस्कार हैं उनको महसूस होता है तो कहते हमारे पैर में बहुत ही कर रहे हैं करते हैं
21:49की बहुत बड़ा मैकेनिक है
21:55और कोई मशीन खराब हो गई [संगीत] पास कोई इंस्ट्रूमेंटल नहीं है
22:11[संगीत] और मैन लीजिए की सारा संसाधन बड़ा हुआ है वर्षा आपने सब चीज है हर मशीनरी है और
22:20वहां कोई मैकेनिक ही नहीं है तो गाड़ी ठीक हो पाएगी मछली ठीक हो पाएगी
22:27ये दोनों एकदम साथ रहेंगे तब वो मशीन ठीक हो पाएगी अर्थात आत्मा और शरीर ये दोनों
22:36एक अलग-अलग है लेकिन एक साथ है तो कोई भी जब महसूस का होगी तो दोनों के सहयोग से ही
22:45हो और उसमें काटा किया चाकू से मारिए
22:55तो उसी तरह मैन अपना निंदा स्तुति कितना होगा लीजिए
23:02कुछ प्रभाव पड़ेगा नहीं होगा
23:09सप्लाई कट हो गया तो पावर सप्लाई
23:17यहां प्रवेश हो जाती है हर चीजों में करती है
23:23जो हम बोलते हैं वह भी महसूस करती है जैसा हमारा बॉडी लैंग्वेज दूसरा का होता है
23:29मुंह से बोलते हैं और एक बॉडी लैंग्वेज होता है अर्थात
23:34कोई प्रवेश किया
23:44जाता है क्यों आंखों में देखा और नाखून देखकर
23:51आत्मा को बुद्धि को मैन को ट्रांसफर किया वो समझ गया की भाई आना ठीक नहीं है तो आपस
23:57में चला जाएगा है तो इस तरह से दोनों एक दूसरे के पूरक
24:04है और दूसरे के बिना अधूरे प्रश्न उठ जाता
24:11भाई आत्मा जब शरीर छोड़ देती है
24:28तो इसके लिए यह है की चूंकि हम लोग जीवन भर gyanidra में सोए
24:34रहते हैं तो उसके प्रति
24:40मीठा कर ले जया जाता है और जीवन में कोई ऐसा श्रेष्ठ कर्म नहीं
24:46करते ताकि दुनिया को अपना मुख दिखला सके इसलिए उनको धक दिया जाता है
24:52[संगीत] अब कोई कहे तो इसका क्या प्रमाण तो प्रमाण तो है प्रमाण ये है
24:59की जो पहुंची हुई संत होते हैं वो भी उनका शरीर छूटता है तुमको निगाह
25:06करके उनको विदा नहीं करती उसे समान इस अवस्था में बैठ कर ले ए जाता है
25:12और ऊपर कोई कफन कपड़ा नहीं डाला जाता ऐसे ही चेहरा रहता
25:21यंत्र के अंधकार में सोए नहीं तो बैठकर की तपस्वी रूप में जा रहे हैं और
25:29क्योंकि उन्हें इतना श्रेष्ठ कर्म किया जीवन में पूरे दुनिया को मुंह दिखाने के काबिल रहे
25:36तो उनको ढकना नहीं पड़ता अब जैसे
25:44गीता में अध्याय 2 का 22 वान श्लोक कहते हैं
26:15जैसे गीता कहते हैं की जैसे दुनिया भी सांसारिक लोगों
26:22जब पुराना कपड़ा फैट जाता है किसी कम का नहीं रहता है तो उसको बदल करके नया कपड़ा
26:31धारण कर लेते हैं पढ़ते हैं कोई पुराना फटा हुआ कपड़ा पहनता
26:37है कहीं बनता है लोगों किसी कम का नहीं है आत्मा भी जब ये शरीफ पुराना हो जाता है
26:47जर्जन हो जाता है इसी कम का नहीं रहता तो इस शरीर छोड़कर के दूसरा नया शरीर धारण
26:56करें ऐसा क्यों करते हैं इसलिए करते हैं की ऐसा नहीं करेंगे
27:06तो उनके कर्म इंडिया सीखी हो गई इसी कान में नहीं कान से सुनाई नहीं देगा उसे
27:12दिखाइए नहीं देगा तो अंदर क्या करेगी कौन सा कम करेगी इसलिए उसको बदल कर दिया गया
27:21इस बात को सब जानते हैं लेकिन मानते कोई नहीं
27:27कैसे नहीं मानते की अगर इस बात को मानते की भाई यह शरीर
27:35है आज है कल नहीं है तुमको दिन अभिमान
27:41नहीं आता दिल अभिमान आता है इतना देर ईमान आता है
27:46मैं इसको बना दूंगा उनको बिगाड़ दूंगा ये कर दूंगा वो कर दूंगा क्या कर देंगे भाई
27:52अपनी औकात को देखिए इस तरह की औकात क्या है
27:58जब तक आत्मा है तब तक इस शरीर की वैल्यू है आत्मा अगर निकल गई तो शरीर को जला दिया
28:06जाएगा रख बचेगा और उसे रात एक मुख मारी जाएगा यही शरीर क्या है
28:15जो इस बार को नहीं जानते उनको ही दे अभिमान आता है इसलिए बाबा बार-बार करते
28:21हैं की बच्चे ही अभिमानी बानो अगर हम देही माने आत्म और
28:26भिमानी है तो ऐसा हम नहीं कर सकते
28:33तो यह बात अगर हम जानते हैं अगर हमको मालूम है
28:41अगर नहीं जानते की यही हम हैं
28:48तब ना कहा की पटक को पैसे की क्या जरूरत है
28:54तो प्रत्यक्ष को याद रखें और अप्रत्यक्ष जुमा है उसको भूल गए
28:59भूल गए तो सारी गलतियां होने लगी इसे हम दुखी होने
29:04तो क्या स्पष्ट हुआ की हम यह देख नहीं है शरीर नहीं क्या है आत्मा है जो आत्मा अजान
29:13अमर अविनाशी है ये शरीर विनाशी है ये शरीर हमको कर्म करने के लिए मिला हुआ है जब तक
29:22ये कर्म कर रहे तब तक कर्म कर रहे हैं और बाकी इसके बाद इसको छोड़ कर के न्यायालय
29:28में जैसे एक जनवरी है हमको चार तरह का शरीर
29:34मिलता है बाल्यावस्था का कुछ और सही होता है किशोरावस्था का कुछ और शरीर होता है युवा
29:42अवस्था का कुछ और होता है वृद्धावस्था का कुछ और होता है
29:47[संगीत] अगर किसी के बचपन का फोटो होगा की वह अवस्था का होगा विला सकते हैं दोनों
29:55में महान अंतर आया लेकिन जब वृद्धावस्था खत्म होता है तो फिर बचपन ए जाता है
30:04तो ये शरीर परिवर्तनशील है परिवर्तन होता रहता है लेकिन आक्रमण
30:13का अभिमान करते हैं तो अभिमान तो बुरा
30:18होता है अहंकार उसने कहा की हम कल में तीनों गए
30:24गौरव और वंश लोक माने तो देखिए रावण गौरव
30:30तंत्र प्रमाण है तो हमें क्या करना है
30:37तो उसका भी अहंकार नहीं करना है क्योंकि अहंकार किसी भी चीज का अच्छा नहीं होता है
30:42क्या करना है शुभ संकल्प रखना है और श्रेष्ठ सोच रखना
30:50है की हम तो एक श्रेष्ठ आत्मा है हम महान आत्मा है हम दुनिया आत्मा है ये
30:58क्या हुआ श्रेष्ठ संकल्प हुआ है शुद्ध
31:04ये शुद्ध है ना तो इसको हम लोग अगर धारण करें तो हमसे कोई
31:10गलती नहीं होगी कोई ऐसा कर्म नहीं होगा जिसके लिए बार में हमें पछताना पड़ेगा
31:17इसमें कहा की भला किसी का कर ना सको तो बुरा किसी का
31:27ना करना फूलन नहीं बन सकते हो तो कांटे बनकर मत
31:36रखना ओम साइन