ड्रामा का गुह्य रहस्य ..जानिए सृष्टि का निर्माण कैसे हुआ. ….पहले मुर्गी आई या अंडा .(ओ.पी.तिवारी)

ड्रामा का गुह्य रहस्य ..जानिए सृष्टि का निर्माण कैसे हुआ. ....पहले मुर्गी आई या अंडा .(ओ.पी.तिवारी)

ड्रामा का गुह्य रहस्य: जानिए सृष्टि का निर्माण कैसे हुआ… पहले मुर्गी आई या अंडा?

नमस्कार दोस्तों,

आज हम एक ऐसे रहस्य पर चर्चा करने जा रहे हैं जो सदियों से इंसानों को सोचने पर मजबूर करता रहा है: सृष्टि का निर्माण कैसे हुआ?

क्या पहले मुर्गी आई थी या अंडा?

यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर वैज्ञानिकों और धार्मिक विद्वानों द्वारा सदियों से दिया गया है।

इस ब्लॉग पोस्ट में, हम इस गुह्य रहस्य का पता लगाने का प्रयास करेंगे और देखेंगे कि विज्ञान और धर्म इस प्रश्न का क्या उत्तर देते हैं।

विज्ञान का दृष्टिकोण:

विज्ञान के अनुसार, ब्रह्मांड की उत्पत्ति एक महाविस्फोट (Big Bang) से हुई थी। लगभग 13.eight अरब साल पहले, ब्रह्मांड अत्यंत घना और गर्म था।

फिर, यह अचानक तेजी से फैलने लगा, जिसके परिणामस्वरूप आज हम जो ब्रह्मांड देखते हैं, उसका निर्माण हुआ।

इसके बाद, गुरुत्वाकर्षण ने ब्रह्मांडीय पदार्थ को एक साथ खींचना शुरू कर दिया, जिससे तारे और ग्रहों का निर्माण हुआ।

पृथ्वी का निर्माण लगभग 4.five अरब साल पहले हुआ था।

जीवन की उत्पत्ति एक जटिल प्रक्रिया थी जो वैज्ञानिकों को अभी भी पूरी तरह से समझ में नहीं आ रही है।

हालांकि, यह माना जाता है कि जीवन की शुरुआत सरल कार्बनिक अणुओं से हुई जो पृथ्वी के शुरुआती वातावरण में मौजूद थे। इन अणुओं ने धीरे-धीरे अधिक जटिल अणुओं का निर्माण किया, और अंततः पहले जीवों का निर्माण हुआ।

पहले मुर्गी या अंडा?

विज्ञान के अनुसार, पहले अंडा आया था।

पक्षियों के पूर्वज अंडे देने वाले सरीसृप थे।

इन सरीसृपों में से एक ने एक उत्परिवर्तन विकसित किया जिसके परिणामस्वरूप पहले अंडे का निर्माण हुआ जिसमें एक भ्रूण था जो एक पक्षी में विकसित हो सकता था। इस अंडे को पहली मुर्गी माना जा सकता है।

धर्म का दृष्टिकोण:

प्रासंगिक नहीं है क्योंकि भगवान या किसी अन्य दिव्य शक्ति ने सृष्टि का निर्माण किया था।

विभिन्न धर्मों में सृष्टि की उत्पत्ति के बारे में अलग-अलग मान्यताएं हैं।

हिंदू धर्म में, ब्रह्मांड भगवान विष्णु के नाभि कमल से उत्पन्न हुआ माना जाता है।

ईसाई धर्म में, भगवान ने छह दिनों में ब्रह्मांड का निर्माण किया।

इस्लाम में, अल्लाह ने ब्रह्मांड को अपनी इच्छा से बनाया।

इन धार्मिक मान्यताओं में, पहले मुर्गी या अंडे का प्रश्न प्रासंगिक नहीं है क्योंकि भगवान या किसी अन्य दिव्य शक्ति ने सृष्टि का निर्माण किया था।

निष्कर्ष:

ड्रामा का गुह्य रहस्य सदियों से इंसानों को मोहित करता रहा है। विज्ञान और धर्म दोनों ही इस प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करते हैं, लेकिन दोनों का दृष्टिकोण भिन्न है।

आप किस दृष्टिकोण पर विश्वास करते हैं? यह आपके विश्वास और व्यक्तिगत अनुभव पर निर्भर करता है। महत्वपूर्ण यह है कि हम इस रहस्य का पता लगाने और सृष्टि की सुंदरता की सराहना करने के लिए खुले विचारों वाले रहें।

यह भी याद रखें:

सृष्टि का निर्माण एक अद्भुत घटना है जिसे हम पूरी तरह से समझ नहीं सकते हैं। विज्ञान और धर्म दोनों ही हमें सृष्टि के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं, लेकिन दोनों की अपनी सीमाएं हैं।

सृष्टि के रहस्यों के बारे में सोचना और उन पर चर्चा करना एक रोमांचक और विचार-उत्तेजक प्रक्रिया है।

आध्यात्मिक दृष्टि से इस विषय पर और जानें हमारा यूट्यूब चैनल-> https://youtube.com/@samadhan_bkopt?si=QPwy3-vgJeuZri8G
जिन लोगों ने अभी तक सब्सक्राइब नहीं किया है, आप सभी से आग्रह है कि आप अपने यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें और अपने सहयोगियों से भी साझा करें ताकि एक मदद करके हम एक सकारात्मक सोच वाला समाज सेवा बना सकें।
https://youtu.be/pdDhjMeyH_Y?si=KHktIo2ljg1OKK7a


प्रतिलिपि

Transcript

0:10ड्रामा का गुर्जर

0:15सृष्टि की रचना कैसे हुई कब हुई उसके बारे में चर्चा करेंगे

0:03ओम शांति ओम शांति आज का हमारा विषय है

0:24तो ड्रामा अर्थात नाटक

0:30अर्थात हम जो अभिनय करते ओ ड्रामा होता है

0:38[संगीत] एक होता है

0:47बेहद का कम हद के गामा में छोटा सा स्टेज होता है

0:56समय भी उसका लिमिट होता है दो ढाई घंटे या 3 घंटे

1:03और कलाकार भी सीमित मात्रा में होते हैं

1:10तू नाटक होता है उसी को कैमरे में रिकॉर्ड कर लेते हैं कुछ सिनेमा बन जाता है

1:18अर्थात जब उसको प्ले करेंगे तो वही सीन आएगा वही कहानी आएगी वही सारी बातें आएंगे

1:27तो दूसरा है बेहद करना एवी बेहद के ब्राह्मण में बहुत बड़ा

1:34रंगमंच स्पीच अर्थात ये सारी पृथ्वी

1:40हो जाता है मंच हो जाता है और समय भी पूरा कल अर्थात 5000 वर्ष का

1:47होता है और कलाकार भी कारों की संख्या में होते हैं

1:54तो हर चीज यह बड़ा होता है इसलिए इसको बेहद का ड्रामा कहा जाता है

2:00तो हमारी चार अवस्था अनादि

2:06का आदि पूज्य पुजारी और ब्राह्मण

2:12यह अवस्था कैसे आती है हम उसका चिंतन करेंगे

2:19तो अनादि में वरुण धवन था जहां हमारे

2:27परमात्मा behajman रहते हैं

2:32और इसके अलावा यह स्टोरी चंद ग्रहण

2:47सृष्टि का निर्माण संकल्प आधारित

2:53इसीलिए कहते हैं जैसी हमारी प्रति अर्थात संकल्प वैसी

3:00दृष्टि और वैसी सृष्टि बनती अर्थात दृष्टि से ही सृष्टि बनती है और जैसे हमारे

3:07संकल्प हो जाते हैं वैसे ही सृष्टि का निर्माण होता है

3:13और यह सब परमात्मा को संकल्पया

3:19यहां परम धाम में कुछ मजा नहीं ए रहा है आनंद नहीं ए रहा है

3:24तो उनको संकल्प पाया की भाई हम क्यों नहीं खेल कृष्ण कर

3:32एक खेल हो तो खेल के लिए बेहद का स्टेज चाहिए

3:39[संगीत] खेल करने वाले चाहिए

3:45और समय तो ज्यादा लगेगा ही तब हमें जब यह मैन

3:54में तो उन्होंने देखा की पूरे ग्रह नक्षत्र में

3:59एक पृथ्वी ऐसा ग्रह जहां यह खेल के लिए उपयुक्त स्थान है

4:08पृथ्वी को चुना और पृथ्वी को चुना जो कलाकार चाहिए

4:13और कलाकार के लिए उसके लिए ऊर्जा चाहिए शक्ति चाहिए पावर चाहिए तब ना कलालो

4:19करेंगे तो उसके लिए उन्होंने पहले आत्माओं का

4:27निर्माण किया और आत्माओं का निर्माण होने लगा

4:36बनते-बनते यह भी खेल चला वह

4:41करोड़ में बन गई आत्माएं और मैं क्या करें

4:58तब उन्होंने उसके लिए प्रकृति का निर्माण किया

5:06क्योंकि आत्मा पुरुष और प्रकृति यह पुरुष और प्रकृति का ही खेल

5:11रचा गया है तब उन्होंने प्रकृति के लिए पृथ्वी पर

5:19जो कुछ भी वनस्पतियां हो जंगल की तरह थी किसी कम की नहीं थी क्योंकि कोई जरूरत ही

5:25नहीं था तब उन्होंने बहुत ही फुलवारी जहां विचित्र

5:32रंग रंग के फूल और तरह के फल के बीच हुए

5:39और चारों तरफ ऐसा विशाल प्रकृति का निर्माण हुआ

5:50तू कहते हैं की आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है अर्थात जैसी हमारी आवश्यकता होती

5:58है वैसा हम आविष्कार कर लेते हैं प्रयास करके अपने नीति के बाल से और

6:04परमात्मा की सहयोग से तो अब आत्माएं तो तैयार ही थी वहां

6:13और यहां प्रकृति भी तैयार हो गई तो आत्मा और प्रकृति के संजोग से शरीर का निर्माण

6:21होगा इसके लिए परमात्मा ने आत्माओं को पृथ्वी पर भेजना शुरू किया नंबर

6:30से आते गए और प्रकृति के सहयोग से

6:35उनको शरीर मिलना शुरू हो गया तो सबसे पहले तीन सैनिक का निर्माण हुआ

6:44इनको नाम मिला ब्रह्मा जी विष्णु जी और शंकर जी और उनको परमात्मा ने कम दे दिया

6:51मनोहर जी को कहा गया सृष्टि का निर्माण करेंगे विष्णु योगदान दिया की आप पालना

6:58करेंगे और शंकर जी को गंजा के अंत में

7:03जब परिवर्तन का समय आएगा

7:13[संगीत]

7:24तो उसी हिसाब से पहले जो प्रकृति को कंट्रोल करने वाली शक्ति थी पावर

7:33उनके लिए उन्होंने नाम दिया हवा को कंट्रोल करने वाले

7:40देवताओं का पवन देव हो गए वरुणदेव हो गए अग्नि देव हो गए

7:49कम था यह देने वाले द तभी तो सृष्टि चलेगी

7:58कंट्रोलिंग का मतलब की उसे समय वायु का कंट्रोल था की आंधी तूफान नहीं आते

8:06यह बाद में आने लगे कैसे आए इसकी चर्चा हम आगे करेंगे

8:13है तो इस तरह से निर्माण शुरू हुआ

8:24है

8:31उसे तरह के हैं वो तो ठीक है लेकिन कोई ऐसा एक चाहिए आहार

8:39की केवल उसको ही धारण करके उसको भी लेकर के पूरा जीवन सुखमय और स्वस्थ रह सके

8:48तो उसके लिए उन्होंने कामधेनु का निर्माण

8:57[संगीत] से निधन से प्रोटीन आदि जो शरीर को चलाने

9:06के लिए आवश्यक के सब उसमें भरपूर मात्रा में द और उसमें कामधेनु इसलिए नाम

9:14पड़ने की जरूरत नहीं पड़ती पत्र रखा जितना चाहिए

9:20अपना कम कीजिए

9:30और उसको इस्तेमाल करते हैं और पंछी में सबसे पहले निर्माण हुआ मोर

9:39पक्षी इसलिए हुआ की वह देवताओं की मनोरंजन के

9:44लिए द वो नाचते द उनका मनोरंजन होता था

9:50नहीं तो इसलिए खूब खाते पीते द माउस करते

9:56द और मूल पक्षी का नाश देखते द और उसमें चूंकि प्रकृति और आत्मा और द

10:05इसलिए घूमने उद गए

10:18अब प्रश्न था की भाई इतने देवता लोग हैं इनके लिए रहने चाहिए तो स्थान चाहिए

10:24प्रकृति की गोद में कब तक रहेंगे तो उसके उन्होंने विश्वकर्मा जी को इस संकेत दिया

10:36[संगीत] तो उनको निर्माण का कम दिया की आप देवताओं लोगों के भवन का निर्माण

10:44कीजिए तो भवन करिए निर्माण उन्होंने कहा करने के

10:50लिए तो वह भवन का निर्माण खूब

10:55जिसमें जवाहरलाल सोने आदि से मणि

11:01बिस्तर आदि जितनी आवश्यकता की चीज थी उन्होंने उसका निर्माण कर दिया

11:20आदेश पर विश्वकर्मा जी ने उनके गांव के सारे झोपड़ी को महान परिवर्तित कर दिया

11:28प्रमाण मिलता [संगीत] और यह खेल चलने लगा है

11:51तो इसका प्रमाण दो है पहला प्रमाण यह है

11:58की जब देवता लोगों को अति शक्ति अलग-अलग

12:20तो उन्होंने क्या किया की सारे देवता कठे हो गए और सारे देवताओं ने प्रबल संकल्प

12:27किया की हमको शक्ति चाहिए शक्ति चाहिए शक्ति चाहिए तो सारे देवताओं के संकल्पना

12:34से उनके शक्तियों द्वारा एक शक्तिपुंज उत्पत्ति हुई जिनको मैन दुर्गा का नाम

12:41मिला अब वो कोई का सकता है की भाई ऐसा हुआ इसका

12:47क्या प्रमाण है तो इसका प्रमाण यह है की मैन दुर्गा की ना

12:52तो कोई माता है और ना कोई पिता है अगर उनका जन्म गर्भ से हुआ होता तो उनके माता

13:00पिता नहीं है इसे सिद्ध होता है की सारी देवताओं के पावरफुल संकल्प द्वारा उनकी

13:08उत्पत्ति हुई और वह बहुत ही शक्तिशाली थी क्योंकि उनके अंदर सारी देवताओं की

13:15शक्तियां समाहित इसलिए उनको अष्टभुजा दिखाया गया अष्टभुजा उसे शक्ति का प्रतीक है उनकी

13:24अंदर उतनी आठ गुना शक्ति थी

13:30दूसरा प्रमाण यह है की

13:35गणेश जी का जन्म मैन पार्वती के घर से नहीं हुआ था

13:41कैसे हुआ तो शंकर जी तो अपने तपस्या में बदल समाधि में द तो माता

13:49पार्वती को संकल्प पाया की हमको एक पुत्र चाहिए क्योंकि अकेले पद गई तो अकेले में

13:56मैन नहीं लगता था उनको सोचा की पुत्र की उत्पत्ति हो तो उन्होंने एक मुट्ठी बनाया

14:04पावरफुल संकल्प से वह तैयार हो गए उनके

14:09उत्पत्ति हो गई जिनको गणेश नाम दिया गया और कोई कहे की इसका क्या प्रमाण है की ऐसा

14:16हुआ तो उसका प्रमाण यह है की अगर

14:23मैन पार्वती के गर्व से उनका जन्म हुआ होता तो शंकर जी को जरूर मालूम रहता है

14:30और शंकर जी को मालूम रहता तो अपने पुत्र से लड़ाई नहीं करते

14:36और नामी की हत्या करते इससे सिद्ध होता है की उनकी उत्पत्ति के समय शंकर जी समाधि

14:43में द और निर्माता पार्वती ने बच्चे का निर्माण कर दिया अब शंकर जी को पता नहीं

14:50था जब आए द अपने मैन के अनुसार

14:59सेंट सिद्ध होता है की संकल्प से सृष्टि की रचना होती है और ऐसा ही हुआ है

15:09अब यहां से आगे शुरू होता है वह आरवी था जहां कोई था नहीं परमधाम का परमात्मा चंद

15:19के सब द लेकिन जहां से पार्ट शुरू हुआ खेल शुरू हुआ इसको आदि कहा जाता है सृष्टि का

15:27आरंभ कहा जाता है और क्योंकि उसे समय सभी अति

15:36सातों प्रधान देश akikata थी और कोई कम क्या करेंगे सारी चीजों

15:48आरंभ हो गया चलने लगा आदि हो गई

16:00तो जाहिर है की नई से पुरानी होनी है

16:08कम होगी शक्ति कम होगी और धीरे-धीरे भारीपन आने लगा तो उद कर जाने में दिक्कत

16:17आने लगी तो अब आवश्यकता हुई किसी वहां की इस पर

16:22बैठकर के वो कई इधर-उधर आने जाने लगे तो उसके लिए कुछ तो विमान का निर्माण हुआ

16:29पुष्पक विमान की विशेषता थी उसमें जितने लोग बैठेंगे एक सिख खाली रहता था

16:38फिर कोई बैठ गया और वो संकल्प के आधार पर द उसमें इधर नहीं

16:45लगता था कोई डीजल पेट्रोल बैटरी होगा कुछ नहीं संकल्प घाट में उद गए जहां चाहता हूं

16:56जैसे जैसे ए सकता है होती गई वैसे वैसे निर्माण होता है

17:03और धीरे-धीरे चलते चलते दिन बिताने लगे

17:09अभी varnha में बहुत सारी आत्माएं थी जो पृथ्वी पर नहीं आएगी

17:17अब सवाल यह है की भाई प्रकृति

17:22[संगीत] होने लगी तो वह शक्ति अब समाप्त हो गया इस

17:30संकल्प से शरीर का निर्माण होता है तब उसके लिए देवी देवताओं ने

17:37यह खोजा की योग वैन से संतान टूटती हो

17:45अब योग वी से संतान उत्पत्ति कैसे होती है इसकी प्रक्रिया विस्तार में हम लोग

17:51पवित्रता विषय में जान चुके हैं इसलिए उसका चर्चा हम लोग अभी नहीं करेंगे सिर्फ

17:57यह जानने की योग तब योग से विधि द्वारा

18:03आवाहन होने लगा और आत्माएं एक-एक करके परमधाम से आने लगी और ये संख्या बढ़ती गई

18:11धीरे-धीरे बढ़ते बढ़ते तो संख्या बधाई है तो समय के हिसाब से कम हुई शक्ति पॉल

18:21भी कम हुई और यह चलता रहा समय एक-एक करके आगे बढ़ता

18:28रहा तो जो बाद में

18:36शक्ति कम थी तो धीरे-धीरे यह खेत चला चलने लगा

18:46अच्छा सुंदर मैं आनंद में लेकिन इस खेल में अगर खलनायक ना हो तो उसे

18:54खेल का मजा नहीं आता जैसे हद के खेल में भी खलनायक जरूर होते

19:01हैं क्योंकि खलनायक ना हो तो कहानी आगे ना बढ़े और उसका आनंद नोहर

19:15के रूप में रावण और माया इन दोनों ने इस खेल में प्रवेश किया

19:23और प्लस में की रावण माया कौन है राम आया तो रावण दास विकारों का

19:35देने वाली अपने हिसाब से कम करने वाली धोखेबाज है जिसको

19:42तरह-तरह के आकर्षण से लोगों को प्रभावित करती थी यह

19:48मायाराम का प्रवेश हुआ तो प्रवेश हुआ तो माया ने बुद्धि पर वॉर किया पहले क्योंकि

19:55यह शरीर का चने के लिए बुद्धि है आत्मा और प्रभाव किया बुद्धि पर

20:04थी अब उसमें विकार आने लगे

20:13अब जब प्रवेश करने लगे तो वह जो सुख में जीवन ठंड में जीवन था एकदम

20:21फिट द लोग कोई चिंता कोई बात नहीं अब धीरे-धीरे

20:34खलनायक उन्होंने अपना कम शुरू किया तो होने लगी तो जा ही रहे की जो ज्यादा

20:40ताकतवर है वो कम प्रभावित होगा और वो कम ताकतवर है

20:47वो ज्यादा प्रभावित होंगे तो जो कमजोर आत्माएं थी वह प्रभारी तो

20:53होने लगी तो धीरे-धीरे उनको दुख महसूस होने लगा अब dukhmas होने लगा वह क्या करें

21:03और धीरे-धीरे अपने आप को भूलने लगी परमात्मा को तो भूल ही थी पहले से ही समय

21:10का भी कोई हिसाब नहीं था कोई काउंटिंग नहीं था तो इस तरह से

21:16जब दुख हुआ तो वह पूजा पाठ करना शुरू की तो यहां से हमारा पुजारी पैन की अवस्था

21:23शुरू हो गया और उसे गांव हुए जो पहले के श्रेष्ठ द वरिष्ठ देव जिनके ऊपर मावा रावण

21:31का प्रभाव नहीं था उनकी पूजा

21:40करने लगी पात करने लगता है इस दुख से हमको राहत मिले तो एक पुजारी अवस्था हो गया कोई

21:48यानी स्वरूप में ए गया कम होनी थी कम होनी होती रहेगी क्योंकि

21:56गिरती कला थी ऊंचाई से कोई चीज अगर छोड़ेंगे तो धीरे-धीरे नीचे की तरफ ही

22:02जाएगी भर उसको रोकने की कोशिश करेंगे तो उसका स्पीड कम होगा लेकिन वो नीचे ही

22:09जाएगा तो धीरे-धीरे कहे हमारी कम होने लगी शक्ति कम होने लगी तो हम नीचे गिरती कला में

22:17जाने लगे और पूजा पाठ से थोड़ा सा स्पीड तो कम हुआ लेकिन एक गिनती कला कम नहीं

22:26जब ऐसी अवस्था आने लगी तो धीरे-धीरे हमारे मैन में जो माया रावण के प्रभाव द तो

22:34प्रकृति ज्ञान और प्रकृति

22:42कारण से अब कई तरह के जीव जंतुओं को उत्पत्ति होने लगी

22:47कोई बहुत आवश्यकता नहीं लेकिन बुद्धि के प्रभाव से जो विकृत होने लगी धीरे-धीरे

23:03कम होगी शक्ति कम होगी तो दुख होने लगेगा

23:09और यह चल रहा है ड्रामा पूजा पाठ भक्ति लोक कर रहे हैं

23:16अब परमात्मा ने देखा की भाई हमने तो बड़ा सुंदर खेल रचाया था

23:22कहते हैं

23:27और यह भी कहते हैं की कैसा खेल हुआ आपने ये खेल रचा ये

23:34शक्ति है जो ये सब खेल ऐसे हुए हैं

23:40है तो परमात्मा रेखा की भाई हमार तो खेले बिगड़ने वाला है क्योंकि मारा रावण की

23:45व्यवस्था हो गई हमारे बच्चों को दुश्मन है और बच्चे हैं उसके प्रभाव में ए गए अगर

23:52इनको नहीं रोका गया तो जाते-जाते तो खत्म हो जाएगा तो फिर से आकर नहीं पड़ेगी तो ये

23:59रचना करना इतना सहज तो नहीं है की बार-बार रचना किया जाए तो अब उन्होंने सोचा की भाई इसको रोकना

24:06चाहिए ये जो व्यक्ति का चल रही है और बुद्धि के अंदर विकृति ए रही है तो इसको

24:13रोकना चाहिए रोका जाएगा तब ना रिपब्लिकन नहीं होगी

24:19तो चढ़ती कला में आएंगे आते आपको लेंगे तो ये खेल

24:25रहा है ऐसे ऐसे चक्र चलता रहेगा तो रिपीट होता रहेगा तो इसलिए

24:31उन्होंने अब इसी मैन की भाई ये जो समय का कोई किसी को

24:38पता ही नहीं तो उसकी उम्र 5000 वर्ष का

24:43निर्धारित किया की 5000 वर्ष का एक कल्प होगा उसे कल्प में चार युग होंगे कलयुग

24:52यह तो हो गया अब प्रश्न था की भाई यह जो गिरती कला है यह चढ़ती कला कैसे होंगे

25:00क्योंकि जो खेल चल रहा था वह सूट हो रहा था संस्कार में

25:07और उसको परिवर्तित नहीं किया गया तो फिर तो वैसे ही चलता है

25:12[संगीत] सिनेमा तो एक बार जो पार्ट बच गया

25:24परिवर्तन कब होगा जब दूसरे कलाकार आएंगे दूसरी कहानी होगी दूसरी आएंगे करोड़ फिल्म

25:31का परिवर्तन होगा तो इसके लिए परमात्मा ने चार युग में कलयुग का अंत क्योंकि कलयुग

25:40लास्ट था जहां विकृति परम सीमा को होती थी प्रकृति और आत्मा दोनों प्रधान हो जाते द

25:48और वहां से चलती कला के लिए मिक्स संगम युग का 100 साल का समय निर्धारित किया

25:55है और उसको वरदान दिया इसलिए उनको वरदानी कल्याणकारी संगम कहा जाता है उसकी विशेषता

26:03यह है की उसे समय जो पोशाक करेंगे तो अपने पुरुषार्थ के बाल पर अपने पूर्व के

26:09निर्धारित संस्कारों को श्रेष्ठ और अति श्रेष्ठ बना सकते हैं वो उसे समय को ही

26:16वरदान मिला वहां ही उसको बना सकते हैं बाकी पूरे कल्प में इसका कोई प्रावधान

26:24नहीं है अब प्रश्न यह था की भाइयों स्वस्थ बनाएंगे कैसे

26:30क्योंकि तू स्मृति सब स्मृति में बदल गई है एन परमात्मा का ज्ञान है ना अपने स्वयं

26:36का ज्ञान है ना समय का ज्ञान है यह देने के लिए तो कोई चाहिए इसलिए परमात्मा को

26:43परमधाम छोड़ करके ब्रह्मा का कान जो सबसे श्रेष्ठ पहले ही

26:49कहा था उनके तन का आधार लेकर के उन्होंने rajasvamit अविनाश रुद्र ज्ञान जगत का

26:56स्थापना किया और अपना सब को आकर के पहले अपना परिचय दीजिए

27:02फिर बच्चों का सबका परिचय दिया की भाई आप दे नहीं हो आत्मा हो मैं तुम्हारा पिता

27:08परम पिता परमात्मा हूं मैं परम धर्म का रहने वाला हूं और समय ये जो चल रहा है यदि

27:15ग्लानि का समय अब तुमको यहां से अपना रास्ता बदलना पड़ेगा और तब तुम ला करके

27:22यहां से चले द वहां भी पहुंच सकोगे

27:34अब यहां दो प्रकार की आत्माएं हो गई

27:41आत्मा होती जो प्रभु प्रेमी थी जिनका पाठ शुरू से आरंभ हुआ था उनके अंदर कुछ ना कुछ

27:48ऐसा था समझ जिसे परमात्मा के प्रति उनका प्रेम था तो जब परमात्मा आए तो उनका झुका

27:58उधर हो गया उनके छत्रछाया में चले गए उनके बताए गए रास्तों पर

28:04उछलने लगे श्रीमद् पर चलने लगे तो वहां से उनकी गिनती कला लूथ गई और चढ़ती कला आरंभ

28:12हो गई अपने जीवन को सिस्ट बनाने में लग गए

28:18अब आप बेस में यह है की भाई हम इस जो प्रारब्ध को चेंज करने की बात

28:24करना है वह कैसे होता है क्योंकि आत्मा में पहली दा खेल वो बदलता

28:30कैसे है तो जड़ से पहले टेंपल गार्डन हुआ करता था और तो उसका

28:36चलन नहीं है तो उसमें कैसे होता था अब कैसे हम बाजार से खरीदते द

28:44गार्डन लगाते द तो जैसा कैसे हम लेट द वही

28:49वो कम करता था जैसे फिल्मी गानों को कैसे पिलाएंगे तो फिल्मी गाना गाएगा उसे कैसे को किसी भी

28:56गार्डन किस की है किसी भी कंपनी के वो फिल्म इधर आएगा भजन चलाएंगे प्रॉब्लम कल आएंगे प्रवचन

29:05करेंगे बिरहा शुरू कर देगा

29:13लेकिन अगर हमारी गाना सुनने के लिए लायक ऐसे मैन हो

29:18गया चाहते नहीं अब दूसरा कुछ सुने तो यार ये भी व्यवस्था है की उसी कैसे में अब हम

29:27भजन रिकॉर्ड कर दें है तो अब वह फिल्मी गाना डिलीट हो जाएगा

29:33खत्म हो जाएगा और वह भजन गाने लगेगा क्योंकि हमने रिकॉर्ड किया उसी

29:39जो डीआईजी चल रहा था उसमें रिकॉर्ड नहीं की व्यवस्था होती थी

29:45उसे अमेरिका करके अब हमें ठीक उसी तरह से

29:51आत्मा चाहे जिस भी शरीर में हो जो उसके संस्करण रिकॉर्ड है वैसा है एक्ट करेगी

29:58वैसा ही एक्ट करेगी और वही हुआ की संगम पर आकर जब हम प्रभु प्रेमियों ने परमात्मा के

30:05शरण में चले गए तो जो उन्होंने बताया बैसाखी के बाल पर हम

30:11अपने पूर्व के जो हमारे श्रेष्ठ संस्कार द वो और सिर्फ करने की व्यवस्था मिल गई और

30:19कृष्ण से उसको भी चेंज करके हमसे संस्कार कर लें ऐसी व्यवस्था

30:26अब दूसरी तरफ दूसरी तरफ जो कमजोर आत्माएं थी

30:33वह परमात्मा के समय नहीं आई जिन पर माया रावण का प्रभाव

30:51होती है उनके बुद्धि में और विकृति आती है

30:57और वो दुख उनको मिलता गया होगा

31:13[संगीत]

31:27ही है लेकिन अगर छतरी ले लिया तो पानी तो पड़ेगा वो अपना कम कर रहा है

31:34लेकिन वो छाते के प्रश्न से हमारा बचाव हो रहा है हम पर जा रहे हैं उसी तरह से माया और आऊं

31:42तो अपना कम करेंगे लेकिन परमात्मा की याद की छत्रछाया उनके श्रीमद् की छत्रछाया से

31:49हम उसे बचे रहेंगे की वो

31:54हमको मजे रहेंगे लेकिन इसी के पास कोई क्षत्रिय नहीं है तो भीगने की शिव कोई

32:00उपाय नहीं है तो bheegenge तो उसी तरह से जो आत्माएं परमात्मा के sanditi में नहीं

32:07आई उनकी बुद्धि प्रकृति होती गई और उसे पर विकृति से उत्तर तरह के दुख में चीजों का

32:14आविष्कार करने लगे निर्माण करने लगे जिसे इंसान जीव जंतु पैदा होता है

32:22है अब यहां एक प्रश्न आता है की भाई यह तो खेल चल रहा है और बड़ा

32:28रुचिकर खेल हो गया क्योंकि बहुत सारे करोड़ की संख्या में आत्माएं ए गई क्रम

32:33संख्या में संख्या हो गई परमात्मा का प्रारंभिक ही हो गया उन्होंने अपना दीप कर्तव्य शुरू कर दिया क्योंकि कुछ लोग जो

32:42भटके हुए द वो अपना विरासत कार्य शुरू कर दिए

32:48अब कुछ लोग ये प्रश्न करते हैं की भाई

32:54आप का रहे हैं की यह

32:59संकल्प के आधार पर ऐसा निर्माण होता है तो पहले दूसरों के प्रश्न करते द की पहले

33:07मुर्गी आई की पहले अंडा बताइए

33:18और कहेंगे अंडा ही नहीं

33:36[संगीत]

33:44कैसे आए की जैसे हमारे मैन के अंदर जो विकृति थी जैसे संकल्प चलते द

33:52प्रकृति के प्रभाव से वैसे जो उत्पत्ति होने लगी

33:58यह प्रक्रिया

34:04[संगीत]

34:17[संगीत]

34:27हो तो उसमें पद जाते हैं वह तो वाइरस

34:39मैन लेते हैं उनका ढक्कन बंद कर दीजिए कुछ दिनों के बाद

34:47उसमें भी किया जाता है ना और वो कहां से ए गया उनकी माता पिता कहां है भाई अच्छा

34:54इसको भी छोड़िए होते हैं

35:03अब फल के अंदर फल तो भाई साफ-सुथरा था उसमें के लिए कहां से ए गए

35:13हैं बगल में रहते हैं वो कीड़े कहां से ए जाते हैं

35:19की जैसे हमारी शनि कल प्रकृति के सहयोग से वैसे ही

35:26हो जाती है सही हो गया आप लोग कहेंगे की भाई

35:34पहले के समय में इतने मच्छर नहीं द अब बहुत सारे मच्छर हो गए और बड़े-बड़े हो गए

35:44तो उसके लिए भी कहते हैं

35:59जैसे पहले खटमल हुआ करते द तो खटमल चोरी चोरी

36:10ना की कम करते द अगर वो आदमी जरूर गया तो भाग्य

36:22है तो चोट

36:28अन हुआ जैसे पहले चोर द घर में चोरी करते द वह छिप

36:36करके होली करते द दीवाल में जिधर लगाते द धीरे से अंदर जाते द अगर घर का मलिक की

36:43जरूरत है यार वो भाग जाते द कमजोरी थी

36:49वो भाग जाते द ना अब क्या हुआ की समय जैसे बदला और डकैती हो रही है

36:56अब उनको डाकू आएगा

37:08की चोट पर के सारा धन लेकर के चले जाएंगे ठीक है ये परिवर्तन क्यों हुआ की पहले

37:15हमारे अंदर जो था तो था जिसे हमारे अंदर पाप कर्म करने में

37:23भाई लगता था क्योंकि ये कहा गया ऋषि मुनि द्वारा की जो

37:29भी हम कर्म करते हैं परमात्मा देख रहे हैं तो उसके अंदर भाई था तो भाई था

37:35छुपकर चोरी करते द चिप पर गलत कम करते द और धीरे-धीरे भर जब खत्म हुआ तो अब मिरर

37:43हो गए डकैती करने लगे उसी तरह से जैसे चोरी खत्म हो गया डकैत ए

37:50गए उसे तरह से खटमल खत्म हो गए और मच्छर ए गए

37:55अब मच्छर ए गए अब मच्छर में भी देखिए पहले छोटे-छोटे बच्चों होते द और बड़े-बड़े

38:01शहरों में ही होते द बड़े बड़े मच्छर ए गए और देहात गांव कोई

38:07स्थान नहीं बचा जहां नहीं है और वो डकैत हैं आकर ढंग के चौक पर कान के पास जाएंगे

38:13मैं आया हूं तुमको काटने के लिए जो मेरा बिगड़ा हो बिगाड़ हो

38:19कार्टून करते हैं

38:25तुमको सुनूंगा मेरा

38:34खून घुसते हैं बल्कि बीमारी भी और viruson का भी आधार प्रदान कर देते हैं जिसे देबू

38:42अगर आदि बीमारियां होती है ये क्या है हमारे चित्रा मानसिकता का प्रतीक है की

38:48जैसा हमने सोचा जैसा हमारा सोच हुआ sankirta हुई वैसे वैसे डिवीज़न तू

38:55उत्पत्ति होने लगी और वो हमको दुखी करने लगे हमको भी करेंगे ना हमारे उत्पत्ति हमको

39:03दुखी कर रहे हैं किसको कहेंगे कहां जाएंगे

39:11खेल बनाया हुआ चलता रहा चलता रहा

39:17और जैसे जैसे हमारी मांस की प्रति क्षतिग्रस्त होने लगी विकृत होने लगी वैसे

39:24वैसे हमको दुख मिलने लगा लेकिन जो पहले के चतुर सूजन क्यों बाबा की तरफ परमात्मा की

39:31तरह मुंह करके अपने को बचा लिया और बाकी लोग त्राहित्राहि करने लगे

39:37अब यहां एक प्रश्न यह होता है की भाई

39:43इसका क्या प्रमाण है की हमारे मैन के संकल्प से यह मच्छर वगैरा या विषैला वाइरस

39:52वगैरा भी वाइरस [संगीत]

39:59है राजा हिमाचल की पुत्री पार्वती जी से

40:08बारात चली

40:17पीछे थी और यह लोग थोड़ा जल्दी ए गए

40:27तो राजा की गांव से बाहर फुलवारी थी बहुत पुरानी थी

40:33तो राय हुआ किसी फुलवारी में आराम करें आखिर ससुराल

40:41तो उन्होंने वहां एक बहु बढ़िया चबूतरा था शंकर

40:52उसे समय के बाद राजा की माली मुनि के आगे भी मालिन थी

40:57उसको फूल की जरूरत पड़ी तो फूल डाली लेकर के फूल लेने के लिए राजा

41:03फुलवारी में आई तुमको रंग बिरंगी तरफ आकर बहुत सारे फूल द बगीचे द फल भी द सब बहुत

41:09विशाल में था जब नजदीक पहुंची तो देखते भाई यहां तो एक

41:15साधु बैठे हैं अच्छा ठीक है साधु से दर नहीं था लेकिन जो नाग बार-बार द

41:22और उसी को देख रहे द तो दर गई तेरे भाई ने विशाल नाग बाबा देख रहे हैं अगर मैं कहीं

41:30गई और उनको गुस्सा ए गया और फूल तोड़ना ही नहीं होगी कैसे पुल तोड़

41:38तो उन्होंने नाग बाबा

41:43[संगीत]

41:49[संगीत] शंकर जी से टच हुआ

41:56टच हुआ तो देखिए विडंबना बोलने की बन गई

42:04बात है [संगीत]

42:23लेकर बाहर निकली कोई देखेगा तो राजा को रिपोर्ट देने का

42:31राजा मंगवा लेंगे अपने पास तो इसलिए उसने आंचल में छुपा लिया

42:37[संगीत]

42:43ताकि चाची

42:56की जाती कुछ छुपा कर ले गई है अब उधर गई

43:03तो बात फलते-फलते गांव फैल जाएगी तो राजा के पास खबर पहुंच जाएगी

43:10[संगीत] मैं तुमको बता रही हूं किसे बताना

43:25जाता है उसे सोने का हो जाता है [संगीत]

43:31अब उन्होंने

43:39बिना गांव में कुछ कोई रहा नहीं पूरे गांव में सुर हो गया की राजा जी के पूवादी में

43:46साधु आए हुए हैं कुछ भी

43:51फैल होना चाहिए पूरे गांव के लोग जिसके हाथ जो लगा किसी

43:57घाट में डंडा मुसल कुछ भी लगा ले कर दो

44:04बनाना है दौड़ उधर

44:17हो जाएगा

44:27[संगीत] उत्पत्ति हुई होने लगी हर गए बिच्छू भी

44:37धीरे-धीरे नीचे उतरने लगा

44:47[संगीत]

44:59जहां मिला कर काट दिया

45:13वापस हो गए अब यहां एक प्रश्न उठाता है

45:19की भाई हटा बिरनी ही क्यों उत्पन्न हुई

45:26महादेव के बड़े-बड़े

45:33तो उसका ये समाधान है की क्योंकि गांव वालों के मैन में तीन विकार द

45:43एक लूप था

45:50के लिए तो मुंह ए गया मोहम्मद तो ए गया

45:55और हिंसा की मृत्यु ए रही है की साधु को मरेंगे तो सोना मिलेगा अरे भाई तू जानते

46:02नहीं द की देवता है साध्वी हैं बैठे हुए हैं आपको क्या पढ़ा दिया है मुझे

46:10कृति थी इसी के चलते

46:15[संगीत] और उसका आध्यात्मिक रहस्य क्या है इसका

46:23आध्यात्मिक यह है की जब हमारी मैन बुद्धि परमात्मा के संपर्क में आती है तब हम सोने

46:32जैसा बन जाते हैं हमारी बुद्धि सोने जैसे हो जाती है कंचन सुना हो जाती है

46:38और लेकिन अगर उसमें कोई विकार ए गया तो जैसे उन लोगों को काटा हमें भी वो दुखी

46:47करेंगे अशांत करेंगे तो इस तरह से यह घटना और इस सृष्टि की

46:53रचना अनादि से चलते चलते ब्राह्मण सो जब

46:58परमात्मा आए तो जो पुजारी हो गए द उनको उन्होंने ब्राह्मण बनाया और ब्राह्मण से

47:05कहा की तुम ही देवी देवता द

47:14[संगीत] है की मच्छर ने काटा उसका जुनून था

47:23मच्छर ने काटा यह उसका जुनून था और आपने खुदाया यह आपका सुकून था

47:31अब शाहकार भी उसको मार ना सके क्योंकि उसकी रगों में भी आपका ही कुना था उसकी

47:38रगों में भी आप ओम शांति

47:44[संगीत]

आपको क्या लगता है? क्या पहले मुर्गी आई या अंडा? इस रहस्य पर अपनी टिप्पणियां नीचे साझा करे

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Review Your Cart
0
Add Coupon Code
Subtotal
Total Installment Payments
Bundle Discount

 
Scroll to Top
Verified by MonsterInsights