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क्रोध ! जानिए क्रोध करना कितना खतरनाक हो सकता है, क्रोध से बचने के उपाय…(ओ.पी.तिवारी) - Samadhan-B.K. OP Tiwari

क्रोध ! जानिए क्रोध करना कितना खतरनाक हो सकता है, क्रोध से बचने के उपाय…(ओ.पी.तिवारी)

क्रोध ! जानिए क्रोध करना कितना खतरनाक हो सकता है, क्रोध से बचने के उपाय...(ओ.पी.तिवारी)

क्रोध ! जानिए क्रोध करना कितना खतरनाक हो सकता है, क्रोध से बचने के उपाय…

नमस्कार दोस्तों!

आज हम बात करेंगे क्रोध के बारे में, जो हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है।

कभी-कभी क्रोध करना स्वाभाविक है

लेकिन जब यह अनियंत्रित हो जाता है, तो यह हमारे लिए हानिकारक हो सकता है।

क्रोध हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

यह हमारे रिश्तों को भी खराब कर सकता है और जीवन में कई समस्याओं का कारण बन सकता है।

तो, आइए जानते हैं क्रोध कितना खतरनाक हो सकता है और क्रोध से बचने के उपाय क्या हैं:

क्रोध के खतरे:
शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: क्रोध से रक्तचाप, हृदय गति और कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है। यह सिरदर्द, अनिद्रा, और पाचन समस्याओं का कारण भी बन सकता है।

मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: क्रोध से चिंता, अवसाद और आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ सकती है। यह एकाग्रता और स्मरण शक्ति को भी कम कर सकता है।

रिश्तों पर प्रभाव: क्रोध से रिश्ते तनावपूर्ण और टूट सकते हैं। यह परिवार, दोस्तों और सहकर्मियों के साथ आपके संबंधों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।

जीवन में समस्याएं: क्रोध से काम पर गलतियां, दुर्घटनाएं और हिंसा हो सकती है। यह आपके जीवन में कई अन्य समस्याओं का कारण बन सकता है।

क्रोध से बचने के उपाय:
अपने क्रोध के ट्रिगर्स को पहचानें: ऐसी कौन सी चीजें हैं जो आपको गुस्सा दिलाती हैं? अपने ट्रिगर्स को पहचानने से आप उनसे बच सकते हैं या उनका सामना करने के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो सकते हैं।

गहरी सांस लें: जब आप गुस्सा महसूस करें तो धीमी और गहरी सांस लें। यह आपके शरीर और मन को शांत करने में मदद करेगा।

अपनी भावनाओं को व्यक्त करें: अपनी भावनाओं को दबाएं नहीं। अपने गुस्से को दोस्तों, परिवार या किसी मनोवैज्ञानिक से साझा करें।

सकारात्मक सोच रखें: नकारात्मक विचारों से दूर रहें। सकारात्मक सोच अपनाने का प्रयास करें।

क्षमा करें: अपने आप को और दूसरों को क्षमा करना सीखें। गुस्सा और नकारात्मकता को अपने अंदर न रखें।

मदद मांगने से न डरें: अगर आपको लगता है कि आप अकेले अपने क्रोध को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं, तो मदद मांगने से न डरें। आप किसी दोस्त, परिवार के सदस्य, मनोवैज्ञानिक या डॉक्टर से बात कर सकते हैं।

यह भी याद रखें:
क्रोध एक भावना है, इसे नियंत्रित किया जा सकता है। आप क्रोध को अपने ऊपर हावी नहीं होने दे सकते।
क्रोध से बचने के लिए धैर्य और अभ्यास की आवश्यकता होती है। हमें हार नहीं माननी चाहिए और लगातार प्रयास करते रहना चाहिए।

आशा है कि यह ब्लॉग आपको क्रोध से बचने और एक शांत और खुशहाल जीवन जीने में मदद करेगा।
शुभकामनाएं!

अतिरिक्त टिप्पणियाँ:
आप अपने आसपास प्रकृति से जुड़कर भी क्रोध को कम कर सकते हैं। प्रकृति में समय बिताने से मन शांत होता है और क्रोध कम होता है।

आप योग, ध्यान और व्यायाम जैसी गतिविधियों का अभ्यास करके भी क्रोध को कम कर सकते हैं।

“ईश्वरीय ज्ञान से पाएं समाधान”

ईश्वरीय विश्व विद्यालय में आपका स्वागत है।

ये केवल व्यख्यान ही नहीं बल्कि ये दिल से निकली आवाज है जो आप के दिल तक जाएगी, क्योंकि ये समरसता, सरलता और उदाहरण से परिपूर्ण हैI अगर आपने पूरा वीडियो एक- एक कर सभी सुन लिया तो आप के दैनिक जीवन और व्यवहार में क्रांतिकारी परिवर्तन जरूर आयेगा। आप सभी से नम्र निवेदन हैं कि ये दिल की आवाज सभी के दिल तक पहुंचने में सहयोग करे जिससे हमारा समाज एक जिम्मेदार और ब्यावहारिक बने और सभी का जीवन धन्य हो।हमारा पूर्ण विश्वास है कि इस दिल की आवाज को आप सभी के दिल तक पहुंचने में सहयोग करेंगे।

🙏आप सभी को सहयोग के लिए धन्यवाद🙏

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प्रतिलिपि

0:12ओम शांति

0:18ओ आज का हमारा विषय है

0:26क्रोध क्रोध 10 विकारों में से एक है

0:33इसलिए हम इसे भूत कहते हैं क्योंकि भूत दुख ही देते हैं तो आज हम लोग इसके विषय

0:42में चिंतन करेंगे तो सबसे पहले प्रश्न है कि क्रोध

0:49है क्या इससे क्रोध तो पहला

0:55है कि जब हम अपने कर्मेंद्रियों से नियंत्रण खो देते हैं हमारी कर्मेंद्रियां

1:03हमारे कंट्रोल से बाहर हो जाती है हमारे शरीर का तापमान बढ़ जाता है ब्लड

1:12प्रेशर बढ़ जाता है बुद्धि कुंठित हो जाती है और हम अस्वाभाविक हरकत करने लगते हैं

1:21ऐसी अवस्था को क्रोध कहा जाता है

1:27दूसरा एक बार राधा जी ने श्री कृष्ण से पूछा कान्हा क्रोध क्या

1:35है उन्होंने बड़ा अच्छा जवाब दिया कहा कि

1:40राधे जब हम दूसरे की गलतियों के लिए अपने आप को सजा देते हैं वही क्रोध

1:49है अब प्रश्न य है कि क्रोध उत्पन्न कैसे होता

1:54है तो इसके भी दो कारण पहला है

2:01जब हमारी कामनाएं पूरी नहीं होती तो क्रोध उत्पन्न

2:07हो जाता है और जब हमारी कामनाए पूरी हो जाती है तो लोभ उत्पन्न होता है यह सब एक

2:16दूसरे से जुड़े हुए कनेक्शन है सब

2:22दूसरा जब हमारी अपेक्षाएं उपेक्षित हो जाती है अहंकार ठेस लगता है हम अपमान महसूस

2:33करते हैं उस समय भी क्रोध की उत्पत्ति हो जाती है क्रोध आ जाता

2:41है यह क्रोध बड़ा घातक है क्योंकि क्रोध में हम

2:49ऐसे काम कर देते हैं जो उस समय तो महसूस नहीं होता लेकिन

2:56बाद में हमको पछताने के अलावा और कोई उपाय नहीं दिखता

3:04है जैसे अनूप जलोटा जी भजन गाते

3:11हैं कि जल से पतला ज्ञान है पाप भूमि से

3:18भारी क्रोध अगन से तेज है कलंक का जल से

3:25काली कहा कि क्रोध अग्नि से भी तेज है क्यों

3:30क्योंकि क्रोध तो हमको बाहर से जलाता है लेकिन अग्नि हमको

3:36आ क्रोध अंदर से जलाता है क्रोध की इसलिए

3:41उसको क्रोधा कहा जाता है अंदर जला देता क्रोधी पहले स्वयं को जलाते हैं फिर

3:50दूसरे को जलाते हैं या प्रभावित करते हैं जैसे माचिस की तिली पहले खुद जलती है को

4:00जलाती इसलिए क्रोध किसी भी तरह से हमारे लिए अहित कारी ही

4:08है और क्रोध जब क्रोध का भूत पकड़ लेता

4:16है तो उस समय हम जो भी निर्णय लेते गलत ही होता य गटे है क्रोध के समय लिया गया

4:25निर्णय गलत ही होगा व सही किसी भी हालत में नहीं हो स

4:32जैसे एक बार शाम का समय था और एक माता शाम के भोजन की

4:40तैयारी कर रही थी तो सब्जी काटने के लिए बैठी उनका एक हीता छोटा बच्चा

4:49था तो उन्होंने सोचा कि क्यों ना सब्जी काटने के साथ साथ बच्चे को कुछ पढ़ाया भी

4:55जाए दो काम हो जाएंगे तो बच्चे को बुलाया कहा कि बैठो

5:00गिनती सुनाओ बच्चे को द तक की गिनती

5:05याद लेकिन उस सात कहना भूल जाता था छ के

5:10बाद आ क देता माता ने कई बार समझाया की बेटा छ के

5:16बाद सात होता है फिर आ होता है बोलो

5:21सुना कई बार सुनाया बच्चे ने वही गलती की सात को भूल जाता था अचानक माता को

5:30क्रोध आ गया क्रोध का भूत पकड़ लिया जोर से डाटा

5:36तुमको मैं सैकड़ों बार बता चुकी हूं की छ के बाद सात आता है तुम क्यों भूलते और

5:43क्रोध में उसने ऐसा काम कर दिया वही चाकू जिससे सब्जी काट रही थी बच्चे के पेट में

5:51दिया बच्चा ललन हो गया और भूत उतर भाग गया

5:58त उनको अफसोस हुआ महसूस हुआ कि हमने क्या कर दिया अ भूल तो रहा था धीरे धीरे सी जाता

6:07लेकिन होनी हो चुकी थी क्रोध अपना काम करके चला

6:14गया हम कई बार ऐसे काम कर देते हैं क्रोध में जो अपने प्रिय को भी दुख पहुंचा

6:22देते क्योंकि क्रोध का भूत ऐसा ही होता है जो पकड़ लेता है उसके बाद हमारी भट हो

6:30जाती है बुधि कुंट हो जाती है तो वही दिखाई देता है बाकी हमको समझ बूझ तो रहता

6:37नहीं है क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए और हम कर देते इसी तरह से एक

6:44बार एक परिवार में पिता माता और उनका भी एक बच्चा था बच्चा थोड़ा बड़ा

6:52था तो उन्होने बड़े शौक से बहुत महंगी गाड़ी उन्होने

6:57खरीदा और भा नई न गाड़ी आई है तो क्यों हम पूरे

7:02परिवार चले पिकनिक मना प्रोग्राम बन गया सुब सारे तयार के

7:08साथ सब लोग चले गए पिकनिक मनाने व गए सब लोग अपना खाए पिए उत्सव मनाए खुशिया मनाए

7:15तब तक पिता ने देखा की बच्चा उनके उस गाड़ी पर नाखून से कुछ लिख रहा

7:22है बच्चों की आदत होती है जो नया लिखना जान जाते है व क क मि तेवा लिखेंगे कहीं

7:31पेड़ पर लिखेंगे क जमीन पर लिखेंगे वो गाड़ी पर लिख रहा था नाखून

7:36से बाप को बहुत क्रोध आया पकड़ लिया क्रोध का व आग बला हो गया बच्चे को

7:44डाटा इतनी महंगी गाड़ी हम लाए है तुमने नाखून से कच दिया क्रोध इतना तेज था उने बच्चों को

7:54उठाया उसके हाथ के नाखून को दीवाल में रगड़ दिया कस रगड़ दिया

8:00उसका हाथ लन हो ख बने बच्चा रोने

8:06लगा तो उस समय अब क्या करते गलती हो चुकी

8:12थी क्रोध अपना काम कर चुका था फर्स्ट ब से किसी तरह से ई म निल कर

8:20उसको लगाया गया तो खून बंद हुआ और तब उनकी नजर पड़ी

8:26की बच्चा लिख क्या रहा तब उन्होने देखा बच्चा लिखा था बापा आई लव

8:39यू जब उन्होने य देखा तो बहुत आत्म गनी

8:45हुई उनकी आखों से आंसू गिने ल मैंने क्या कर दिया मेरा

8:55बेटा मेरा ही ना बेटा है अरे गाड़ी को थोड़ा दिया तो कन सा प्रलय आ गया लेकिन यह

9:02समझ त आया काम बड़का य समझ उस समय आना चाहिए लेकिन नहीं क्यों क्योंकि क्र का भत

9:10सवा ऐसे ऐसे हम काम कर देते हैं या हो जाता है व करा लेता है ना चाहते हु भी व

9:18करा लेता है क्रोध नरक बनाता है और शांति दिव्यता

9:26लाती है क्रोध शांति को छीन लेता है शरीर उगन हो जाता

9:33है तो दुख होना जाहिर है इसलिए हम जीवन

9:40को दूध के समान या पानी के समान बनाए पेट्रोल के समान नहीं क्योंकि पानी आग

9:49नहीं पकड़ता और पेट्रोल आग तेजी से पकड़ता है जो क्रोध को आने में सहूलियत हो जाता

9:57है आसानी हो जाती है क्रोध हमें अकेला कर देता है हम अपने

10:04परिवार से समाज से भाई बंधु से अकेले हो

10:09जाते कारण क्योंकि क्रोधी मनुष्य का चेहरा विकृत हो जाता

10:17है और जो खुशी में रहते मुस्कुराहट में रहते हैं उनके चेहरे पर सौंदर्य रहता है

10:24सब लोग इसलिए डर जाते है कि क्रोधी है कब क्या क दे क्या कर देगा कोई ठिका नहीं है

10:32इसलिए इससे दूर ही रहना चाहिए अकेला जाता

10:37अरे आदमी तो आदमी परमात्मा भी ऐसे क्रियों से दूर रहते व न नहीं आते क्यों क्योंकि

10:46परमात्मा को य सारे विकर्म पसंद नहीं है चाहे अहंकार हो चाहे क्रोध हो चाहे लो हो

10:53परमात्मा उनसे दूर ही रहते इसलिए कवि दास ने कहा कि कामी क्रोधी

11:02लालची इनसे भक्ति न होए भक्ति करे कोई

11:09सूरमा जाति वन कुर खय अर्थात जिनके अंदर

11:15काम है कामनाए है क्रोध की आग है लोभ है

11:21ये भक्ति कर नहीं सकते क्योंकि भगवान उनसे दूरी बना लेते

11:27हैं नहीं कर सकते क्रोध हमें दुख देता

11:34है इसलिए हम सब चाहते हैं कि क्रोध हमसे दूर हो जाए क्रोध से छूटने के उपाय करते

11:41हैं लेकिन स्वभाव संस्कार बदलने में समय लगता

11:47है हम भले स्थान परिवर्तित कर ले या अपना

11:53वस्त्र परिवर्तित कर ले इससे स्वभाव संक बदल नहीं जाता समय लगता है उसके लिए

12:00अभ्यास चाहिए अगर एक ध निश्चय हो जाए तो

12:06थोड़ा जल्दी परिवर्तन हो सकता है लेकिन य इतना सहज नहीं इसी तरह से एक बार एक जज

12:16साहब द साहब को अचानक वैराग्य आ गया उने सोचा कि भाई मैं जज चे पोस्ट सब लोग हमारा

12:25मान सम्मान करते हैं लेकिन कब तक रिटायरमेंट बाद तो कोई पूछेगा नहीं तो

12:31उनको जब वैराग्य आ गया तो नौकरी से स्फ दिया और चले गए मथुरा साधु बन गए भगवा

12:42वस्त्र धारण कर लिया और भजनत में लग पूजा पाठ करने लगे उनको लगा की भाई मैं तो

12:51बैराग हो गया तो देखिए बैरागी होना इसमें कोई बुराई नहीं है लेकिन वैराग का अहंकार

13:00आना इसम बुराई है क्योंकि अहंकार और क्रोध ये दोनों बड़े सगे

13:09भाई तो दिन बीतने लगा उनको लगा की चलिए भाई

13:15मैं तो संत हो गया कोई बात नहीं लेकिन ये जो स्वभाव संस्कार पुराना दबा

13:23रहता है अगर दबा है जलकर भस्म हो गया तब तो खत्म होगा लेकिन दबा हुआ है तो फिर व

13:29जाता है जब परिस्थितियां आ जाती है वो जा रहे थे तो किसी आदमी से उनको धक्का लग

13:36गया फिर क्या था स्वभाव जागृत हुआ अ

13:41क्रोधित हो गए और डाटा के आए तो को धक्का दे जाए मैं जज हूं जज मैं परम भक्त हूं

13:50परमात्मा का भक्त हूं मैं संत हूं और तुमको धक्का दे रहे हो ये कैसी संत ये कैसा ब

14:01परिवर्तन नहीं हुआ दबा हुआ था इमज हो गया

14:08जैसे कहते हैं कि कुत्ते की पूछ कभी सीधी नहीं हो सब

14:16जानते यह बात एक छोटा बच्चा था उसने कहा कि भाई लोग कहते हैं की कते

14:23की कुछ सिद्धि नहीं होती है मैं सीधा करके दिखाऊ तो बच्चे ने कुते की पूछ को एक पाइप

14:32में प्लास्टिक के पाइप में लगा दिया छोड़ दिया उस समय तो सीधी हो गई पाइप सीधा था

14:41एक हफ्ते के बाद जब उसने पाइप निकाला तो पूछ सीधी हो गई बच्चा बड़ा खुश हुआ देखिए

14:48लो कहते सीधी नहीं हो मैंने सीध कर दिया देखि सीधा हो गया लेकिन तभी अगले नुकड़ पर एक कुत्ता इस

14:58कुते को देख तेजी से भका क्योंकि कुतो का स्वभाव होता है दूसरे से देखकर भकते हैं

15:05उसका भकना था कुते की पूछ पुन टेढ़ी हो गई परिस्थिति

15:13आई फिर अपने स्वभाव में आ गया इसलिए कहते हैं कि कुते की पूछ और

15:21आदमी की मछ कब टेढ़ी हो जाए कोई ठिकाना कभी हो सकता है परिस्थिति आएगी हो

15:28जाए तो प्रभु प्रेम रस में डूबना अलग बात

15:36है और बाह आडंबर करना अलग बात है एक बच्चा

15:43नहा रहा था पानी और चिला रहा डूब रहा हूं मैं डूब रहा हूं पानी जाना नहीं था अब जो

15:52प्रभु प्रेम रस में डूबेगा उसका तो कंठ अवरुद्ध हो जाता है व कहेगा नहीं

15:59अर्थात जो होता है वो कहता नहीं और जो कहता है वो होता नहीं इसलिए कहा जाता है

16:07कि अधजल गगरी छलकत जाए और भरी गगरिया चुके जाए जो प्रभु प्रेम रस में डूब जाएगा उसका

16:15वर्णन नहीं करेगा और जो वर्णन करता है वो डूबा नहीं है प्रभु प्रेम

16:21रस कहना कुछ और है बहुत से लोग अपने को

16:26चाहते हैं कि हमारे लोग प्रशंसा करें और प्रशंसा की इच्छा रखना ये भी एक अहंकार

16:34है और ये भी प्रभु से दूर रखता है और बहुत से लोग तीथ पर जाते

16:41हैं तो प्रसाद बांटते हैं ठीक है प्रसाद बाटना चाहिए उसम कोई दिक्कत नहीं है

16:48प्रसाद बाटना अच्छी बात है लेकिन वो प्रसाद इसलिए नहीं बांटते हैं कि मैं

16:54प्रसाद वहा से लाया हूं सबको मिल जाए बल्कि इसलिए बांटते हैं लोग हमारी प्रशंसा

16:59करे और कहते हैं गए थे चार प्रसाद लाए गए थे चार अरे वर्णन करने की क्या जरत है भाई

17:07वैसे भी प्रसाद बाट सकते हैं तो वर्णन करते हैं

17:12जैसे अगर मान लीजिए की किसी गूंगे व्यक्ति को राबड़ी खिला

17:19दीजिए गूंगा खाएगा राबड़ी के स्वाद को महसूस भी करेगा लेकिन पूछिए कि कैसा है

17:27स्वाद वो बताए नहीं बता सकता स्वाद महसूस कर रहा है

17:33लेकिन मुख से नहीं बोल सकता उसी तरह से प्रभु प्रेम रस का स्वाद जो चख लेते हैं

17:41वो अंदर में महसूस करते हैं अनुभव करते हैं लेकिन मुख से उसका वर्णन कर ही नहीं सकते लेकिन

17:50जो वर्णन करते हैं समझिए पूरा डूबे

17:56नहीं स्वभाव संस्कार की बात इसी तरह से एक बार बहुत ही धनी व्यक्ति थे उनके मन में

18:04संकल्प आया कि मैं कुछ साधु संतो को बड़ा प्रेम से भोजन करा तो था आश्रम संत जी का

18:13वहा गए निवेदन किए की महात्मा जी मैं चाहता हूं कि आप अपने शिष्य के साथ हमारे

18:18घर पधारे हम आप सबको भोजन करना चाहते हैं उने कहा ठीक है हम सु सब

18:26पहुच अब बहुत नुवान तो थे ही श्रद्धालु भी थे उनका श्रद्धा था कि बैसाखी संतों को

18:34चांदी के बर्तन में भोजन करा तो उन्होने चांदी की

18:42ली कटोरी चम्मच गिलास वगर सब व्यवस्था उन्होंने वो किए हुए थे सब व्यवस्था थ

18:51भोजन परोसा गया सभी संत लोग खाए उन्हीं में एक शिष्य था जो थोड़ा सा

18:57भी नया नया शिष्य था उसका पुराना स्वभाव संस्कार जागृत हुआ

19:03उसके मन में आया की चांदी कान कितना सुंदर है य हमारे पास होता कितना अच्छा होता अब

19:13वो करे क्या थाली बड़ी थी छपा नहीं सकता था लोटा कटोला गलास ब छुपा नहीं सकता था

19:19उस चांदी का चमच अपने जेब में लया और यह हरकत उसके गुरुजी ने देख लिया

19:27अब अब क्या करें क्योंकि अगर सबके सामने कहे तो उसका अपमान हो नया नया शिष्य

19:35हो और ना कहे तो चोरी का पाप उसके सर पर

19:41चढ़ेगा तो उनके सीर पर भी चढ़ेगा तो उन्होने एक युक्ति निकाला और

19:47कहा कि देखो मैं आप लोगों का जादू को खेल दिखाना चाहता

19:53हूं सब लोग उत्सुक हो गए गुरुजी जादू का खेल दिखाए चलिए अच्छा कहा कि देखिए ये

20:00चम्मच मैं इस थैले में डालूंगा और इस चम्मच को अपने किसी शिष्य

20:06के जेब से निकाल दूंगा सभी लोग खुश हो गए भाई देखि कैसे

20:12करिश्मा होता है उन्होंने कहा कि देखिए ये चम्मच रहा ये थैले मैंने डाल दिया अब मैं

20:18इस चम्मच को अपने एक शिष्य के जेब से निकालू शिश लो कतार से बैठे हुए थी

20:24महात्मा जी उठे धीरे चलते चलते उनको मालूम नहीं था किसके जेब में और उसके जेब सेने चमच निकाल सब लोग ताली

20:32बज खुश हो गए उसका अपमान भी नहीं हुआ और

20:37काम भी हो गया तो देखिए भूल अगर कोई होती

20:44है ये स्वाभाविक है भूल हो जाता है लेकिन भूल के लिए हम किसी को अपमानित करने तो

20:51जाहि है अपमान होगा अहंकार को ठेस लगेगा तो क्रोध आएगा और काम बिगड़ेगा क्रोध से

20:58काम बनता नहीं बिगड़ता ही है इसलिए अगर ऐसी कोई परिस्थिति आ जाती है तो

21:07हमें उसम बीच का रास्ता निकाल देना चाहिए ताकि हमारा काम भी हो और किसी का अपमान भी

21:14ना हो और क्रोध से हम लोग बचे रहे इस तरह

21:19से हमें सदैव इस बात का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि क्रोध घातक है इसलिए

21:29अब प्रश्न उठता है कि ऐसा क्या हम करें ऐसे कौन से उपाय

21:38है जिससे हम क्रोध से मुक्त हो सकते हैं क्रोध हमसे दूर चला जाए मुक्त होके सुख से

21:48रहे तो इसके लिए पहला

21:53उपाय क्षमाशील बने क्योंकि क्षमा क्रोध को भस्म कर देता

22:01है अगर किसी से गलती हो गई तो उसको क्षमा कर दे अगर स्वयं से गलती हो गई तो क्षमा

22:08मांग ले बात आई जा हो जा खत्म हो जाएगी क्षमा से अब देखिए जैसे श्री कृष्ण

22:18ने क्षमा किया शिशुपाल को शंकर जी ने क्षमा किया दक्ष को शंकर जी

22:26दक्ष जी के दामाद थे देव के देव महादेव इतने ताकतवर शक्तिशाली उनका उने अपमान कर

22:35दिया लेकिन क्षमा वही करता है जिनके अंदर ताकत होती है शक्ति होती है सामर्थ्य होती

22:42है सामर्थ्य वान ही क्षमा करने

22:47के काबिल होते हैं वही क्षमा कर सकते जो कमजोर होगा व क्या क्षमा करेगा र हो जाएगा

22:56इसलिए ताकतवर इसी तरह

23:01से एक बार एसपी साहब एस सा जानते पुलिस के

23:07अधिकारी वो अपने दलबल के साथ गस्त पर निकले हुए

23:13थे इंस्पेक्टर लोग थे कांस्टेबल लोग थे जा रहे थे कभी एक व्यक्ति ने उन पर थ

23:21दिया ने पकड़ लिया उस तु

23:29लेकिन एसपी साहब उनके पास लेकिन धरता ी समझ थी

23:37उन्होने धीरे से रुमाल निकाला सा कर दिया तो कहा स्पेक्टर स क्या कर रहे हैं

23:46आपके पास रिवाल्वर है निकालिए कर तनाता

23:51किया है आप एसपी साब मुस्कराते हु कहे देखो

23:58जो काम रुमाल से हो सकता है उसके लिए रिवाल्वर निकालने की क्या

24:04जरूरत यह समझ यह क्षमा शलता कि हम किसी भी

24:10परिस्थिति में अगर क्षमा कर देते हैं तो हमारा बहुत बड़ा काम हो जाता है और क्रोध

24:16से हम बच जाते हैं इसलिए क्षमाशील बने

24:22प दूसरा दूसरा उपाय य है

24:28कुराना स क्योंकि क्रोध और खुशी एक दूसरे के

24:34विपरीत है जहां खुशी है वहां क्रोध नहीं और जहां क्रोध है वहां खुशी नहीं हो सकती

24:43क्योंकि क्रोध में चेहरा विकृत हो जाता है और खुशी में मुस्करा में चेहरा खिल जाता

24:50है सुंदरता आ जाती है इसीलिए जब कभी हम फोटो खिंचवाने जाते हैं

24:57तो कन क्या कहते स्माइल प्लीज अर्थात मुस्कुराइए क्यों कहता है क्योंकि

25:05मुस्कुराते हुए जो फोट लिया जाएगा वो बड़ा सुंदर होगा अच्छा होगा दिव्य होगा इसलिए

25:12वो कहता है कि मुस्कुरा अब सोचा जाए कि एक मिनट के मुस्कुराहट से अगर हमारा फोटो

25:20अच्छा निकलता है सुंदर निकलता है अगर पूरा जीवन ही मुस्कुराहट से भर दे खुशियों से

25:27भर दे वो हमारा जीवन कितना दिव श्रेष्ठ और

25:32सुंदर बन जाएगा सो इस बात इस मुस्कराते रहना अच्छा

25:41है हम क्रोध से वंचित रहेंगे दूर रहे इसके लिए क्या करें इसके लिए किसी भी

25:52परिस्थिति में किसी की बातों को हलके मिले गंभीरता से ना किसीने कुछ मान कर दिया

25:59उसको हलके में जाने दीजिए कुछ क दिया

26:06जैसे क्रोध तो भाई कुछ भी बोलता है एक आदमी

26:11ने बच्चे पर क्रोध किया कर दिया सुआ

26:18किया पत्नी वही उसको भी क्रो आ सकता था

26:23लेकिन उसने क्रोध नहीं किया मुस्कुरा कर कहा की औलाद है तो आप कौन

26:31है यह बात पति के समझ में आई और अपने करनी पर बोल पर शर्मिंदा हुआ

26:38मुस्कराहट आई बात आई गई होगी खत्म तो इस तरह से अगर हम किसी के बातों

26:45को हल्के में लेंगे मजाक में लेंगे चलो भाई इसने हसी

26:50किया तो क्रोध से हम वंचित रहेंगे इसी तरह से एक बार

26:59क्रोध जब होता है तो उसका परिणाम क्या होता है लड़ाई झगड़ा

27:05विवाद आगे बढ़ा तो मारपीट भी हो जाता है उसके आगे बढ़ा तो मामला दूसरे के हाथ में

27:12चला जाता है और ज्यादातर यह विवाद पति पत्नी मेंही

27:18होता है ऐसा उसका कारण है कि ज्यादा साथ में पति

27:24पत्नी ही रहते हैं कुछ बोलेंगे कु ऐसी करेंगे कोई गलतिया होंगी क्रोध होगा लड़ाई

27:32हो जाएगी इसी तरह से एक पति पत्नी में विवाद

27:37हुआ पत्नी को क्रोध आ गया उसने कहा कि तुम जानवर

27:43हो बड़ा गलत शब्द था पति को भी क्रोध आ सकता था लेकिन वो भी

27:48हल्के में लिया और मुस्कुरा कर कहा कि तुमने ठीक कहा मैं जानवर हूं और पत्नी

27:56आश्चर्य चकित हो गई जानवर जानवर देख रही उकता की दृष्टि से

28:04ऐसी क्या बात है भाई तो कहा कि देखो तुम मेरी जान हो और मैं तुम्हारा र हू हो गया

28:14जानवर अब पत्नी भी मुस्कुराई और पति भी खुश क्रोध के भूत

28:22लड़ने से बच गए बात खत्म हो गई जीव खुल हो गया

28:28इसलिए ऐसी वैसी बात क भूतही है तो बोलेगा अच्छी बात तो बोलेगा नहीं तो व तो काम है

28:36उसका बोलना गलत बोलना हमारा क्या काम है हमारा काम है समझ के साथ उसको नजर अंदाज

28:44कर दे तो हमारा कल्याण तो हो ही

28:51जाएगा अब क्रोध भी बहुत चतुर होता है

28:58वो देखता है कि सामने वाला अगर ताकतवर है तो तुरंत भाग जाता

29:04है और देखता है कि सामने वाला कमजोर है तो हावी हो जाता

29:10है जैसे बच्चे कमजोर है तो बच्चों पर क्रोधा भी हो जाता है क लोग चाटा मार देते

29:17हैं बच्चों को या बड़ों को कभी भी चाटा नहीं मारना चाहिए क्योंकि चाटा मारने से

29:25बच्चे की बुद्धि कम हो जाती है घट जाती है उसका विकास रुक

29:31जाता है और बड़ों को मार देंगे उसका तो विकास रुक ही जाएगा बुद्धि

29:40भी प्रभावित होगी लेकिन उसके तकदीर में लकीर लग जाती

29:47है भाग्य उसका खराब हो जाता है इसलिए बच्चों पर क्रोध ना करें और बड़ों

29:55पर खीस ना करें कई लोग अपने से कमजोर पर तो क दिखा देते ले कोई बड़ा हो लिहाज करता

30:04हो तो मुख से तो कुछ नहीं कहेगा अंदर अंदर कुता रहेगा नाता

30:09रहेगा इससे क्या होता है क्रो तो है अंदर में है तो अंदर नुकसान करेगा

30:18इसलिए बच्चों पर क्रोध न करे और बड़ों पर

30:23ख इस बात का हमें ध्यान रखना चाहिए

30:29और तीसरा तीसरा है कि अगर युवा है नए है तो

30:39क्रोध को मंद करें और बूढ़े हैं बुजुर्ग है तो क्रोध को

30:45बंद करें कई लोग जब बुजुर्ग हो जाते हैं तो

30:51नाती पोते हो जाते हैं वो दादा कहलाने लगते हैं तो दादा क ते तो दादा गरी करते

30:59हैं क्यों क्य चाहते हैं कि मैं घर का बड़ा हूं भाई हमारे कहने से सब कुछ होना

31:06चाहिए जो हम कहे वही हो दादागिरी ना दिखाए

31:12क्यों क्योंकि आपके समय की कुछ परिस्थिति और थी सोच कुछ और था दिनचर्या कुछ और थी

31:21आज के समय की परिस्थिति कुछ दूसरा है दिनचर्या अलग है सोच अलग है आप थ

31:28क इसलिए बुजुर्गों को खास तौर से इस बात का ध्यान रखना

31:34चाहिए कि मन रहे जो कर रहे करने दीजिए हम उसको कोई

31:41पूछता है तो राय दे दीजिए सला दे दीजिए लेकिन उस पर अपना

31:47दादागिरी नहीं दिखाना चाहिए क्योंकि उसे हमारा ही नुकसान

31:53होगा चौथा यह प्रतिज्ञा करें हफ्ते में एक दिन

31:59मैं क्रोध का उपवास रखूंगा कुछ भी परिस्थिति आ जाए मैं क्रोध

32:07नहीं करूंगा क्रोध का उपवास धीरे धीरे आदत पड़ जाएगी तो क्रोध

32:14से हम वंचित हो जाएंगे क्रोध का

32:19उपवास और एक बार क्या हुआ कि गामा पहलवान छत पर प्रैक्टिस कर

32:27रहे थे कसरत कर रहे थे एक ईट था जिस पर हाथ रखकर चल रहे थे ईट

32:34स्लीप हुआ और नीचे गिरा संयोग से उसी समय दुबला पतला आदमी कमजोर आदमी आ रहा था उसके

32:40कंधे पर गिरा चोट तो लगी आज बला हो गया

32:46कौन है ट गरा दिया हम पर स फट जाता हमारा सर गिरता तो पूरा बनाता हुआ क्रोध अग्नि

32:54में जलता हुआ उसको इसी से उसको चे उसको मारेंगे उसको उसका सर तोड़ देंगे नाता हुआ

33:01आया छत पर आया देखा दमा पहवा अब क्रो तो उसका भाग

33:07गया ताकतवर ना पहलवान ये कहा तो पहलवान ने सुना कि अच्छा अच्छा

33:14तुमको मारने आए हो मारोगे अरे नहीं मारने नहीं आ ये आपका ईट नीचे गिर गया था मैं तो

33:21वापस करने आया ये लीज आपने और वहां से भागा इस तरह से

33:30क्रोध देखता है चतुर है और भागने में

33:35जितना तेज है पकड़ने भी उतना ही तेज पकड़ता जितना सता से भागता उतना सता से है

33:42हमको सतर्क रहना है कि कहीं भी ऐसा ना हो अब देखिए क्रोध में लोग क्या करते हैं

33:51क्रोध में जब आग बगुला हो जाते हैं तो गमला पटक देंगे फर्नीचर तोड़ेंगे

33:59कोई कोई मोबाइल पटक देते हैं टीवी फोड़ देते क्या विना कर्म है जो भूत कराता है

34:06और उसम हम समझ नहीं पाते कर देता है लेकिन

34:11जब भी कोई प्रिय वस्तु सामने आ जाती है उसको नहीं ड़ते जैसे एक बार क्या

34:21हुआ एक आदमी आए घर पर साम हो चुका था भोजन का समय

34:28था हाथ मु धो करके बैठे भोजन करने तो उनकी माता जी ने भोजन परोसा भोजन में चावल कढ़ी

34:38दाल पापड़ चटनी गगर था जब भोजन करने बैठे तो देखा की कढी

34:45बिल्कुल पतली बनी हुई है अब क्रोध पकड़ लिया आग बला हो ग लगे मां को डांटने यही

34:54खाना बनाती है एक कढ़ी ऐसी बनती है प क दुनिया भर का

34:59उसको तो माने धीरे से कहा देख बेटा कड़ी मैं नहीं बनाई भोजन तुम्हारी पत्नी बनाई

35:06बने बनाई अच्छा अच्छा उसने बनाया है मा कड़ी पतली तो है न बड़ा स्वादिष्ट ब सुंदर

35:18अच्छा भाग गया पनी नाम सामने आया तो इसी तरह से हमको बदलने में भी समय

35:26नहीं लगता है कई बार हम लोग बदल जाते इसलिए इस बात का अगर ध्यान रखेंगे

35:33अटेंशन रखेंगे तो ऐसा नहीं हो और परिवार में कुछ लोग ऐसे भी होते

35:40हैं जो क्रोध के स्वभाव से ग्रसित होते हैं बार बार क्रोध करना किसको अच्छा लगेगा

35:49बह है सास क्रोध करती है तो बहु यही करे जल्दी जाएग य घर जो है थोड़ा सा नर जो बना

35:58हुआ है थोड़ा सा राहत मि सास तो इसी तरह से एक बार संत जी प्रवचन

36:04कर रहे थे बड़ी भीड़ थी अचानक उन्होने पूछा कि

36:10भाई आप लोगों में से स्वर्ग में जाना कौन कन चाहते हैं सबने हाथ उठाए स्वर्ग जाना

36:16कौन नहीं चाहेगा भाई लेकिन एक महिला थी जिसने हाथ नहीं

36:21उठाया जब संत जी की नजर पड़ी तो पूछा की क्यों बहन आप स्वग जाना नहीं

36:29तो कहा की ऐसा है गुरुजी की हमारी सास बगल में बैठी हुई है और य हाथ उठाई अगर य

36:35स्वर्ग में चली गई तो हमारा घर तो ऐसे ही स्वर्ग बन जाएगा हमको अलग स् में जाने की

36:41क्या जरत तो ऐसा ना हो कि दूसरा हमसे इतना उ

36:47जाए चाहे की जल्द इनका टिकट कट जाए कि हम राहत का सास ऐसा वहार वहार में चेंज होना

36:54चाहिए ऐसा हमें नहीं करना चाहिए

37:00तो तीन हो गया होया

37:06होया हो गया अच्छ पाचवा क्या करना है तो

37:11पाचवा है की हमें कम से कम शब्दों में अपने भाव को व्यक्त करना चाहि कम से कम

37:18शबद में जैसे पहले के समय

37:24में टेलीग्राम होता था तो टेलीग्राम में कोशिश किया जाता था कि कम से कम सब में

37:31अपने अधिक से अधिक बातें हम कह दे क्यों

37:37क्योंकि शब्द के पैसे लगते थे इसलिए पैसे कम लगे हम कम से कम शब्द में भाव व्यक्त

37:44कर देते थे उसी तरह से हमें भी टेलीग्राम की तरह कम से कम शब्द का इस्तेमाल करना

37:52चाहिए कम से कम शब्द बोलेंगे तो ऐसा कोई बात नहीं निकलेगी तो

37:59उससे हम बच जाएंगे कम से कम मन तो और अच्छी बात

38:06है तो मन का त धारण करने सप्ताह में एक बार और कम से कम

38:14बोले चार हो गया पाचवा पाच हो गया छ छठ

38:21है अगर कोई समझते नहीं क्रोध कि बिना काम ही नहीं चले हमसे गा नहीं हमारा कोई काम

38:29ही नहीं होगा अगर ऐसा कोई समझते हैं क्रोध

38:35कीजिए लेकिन उसम सर्त है क्रोध कीजिए लेकिन प्यार से कीजिए और प्रश्न है भाई

38:43प्यार से क्रोध कैसे होता है तो इसके लिए तो हमारी माताए बहने माहिर

38:49है सब जानते हैं उनको अलग से बताने की जरूरत नहीं प्यार से क्रोध कैसे अंदर में

38:55प्यार हो बाहर से क्रोध का भंगिमा हो

39:01वास्तविक क्रोध ना हो भंगिमा हो दिखाने केलिए दिखाने के लिए ये प्यार भरा क्रोध

39:13जैसे एक बार एक आदमी की पत्नी बीमार हो

39:23गई अब बीमार हो गई दवा इलाज शुरू हुआ बीमारी गंभीर थी पत्नी को लगा कि मैं कहीं

39:31मर ना जाऊ शरीर छूट गया तो क्या होगा कोई भी पति पत्नी अगर एक दूसरे से

39:38प्रेम करते हैं तो नहीं चाहते कि हमारे जीते जीते कोई बात ही नहीं है मरने की बात

39:45बाद ही वो दूसरी शादी ना करे तो पत्नी ने एक दिन अपने पति से

39:52कहा कि मैं बीमार हूं अगर मर गई तो क नाम

39:57मत लो मरने का मैं तुमको अच्छे से अे डक्टर बड़े से बड़े डॉक्टर को दिखाऊंगा रा

40:03इलाज कराऊंगा अच्छे से हॉस्पिटल में जाऊंगा तुम मरो नहीं पति को कुछ सुकून

40:09मिला चलिए पति हमसे प्रेम करता है फिर कहा

40:14की फिर भी अगर मर गई तो कहा कि मैं जमरा से लड़

40:20जाऊगा जमरा से लड़ कर तुमको बचा

40:25लूगा पत्नी ने कहा कि फि भी अगर मर गई तो मैं तो पागल हो

40:32जाऊगा त पत्नी ने कहा की तब तो तुम दूसरी शादी नहीं करोगे त पति

40:39ने कहा कि पागल क्या भरोसा पागल कुछ भी कर सकता है तो ऐसा

40:47भी प्रेम न हो कि सामने कुछ और और पीछे कुछ और हो

40:54प्रेम अंदर से होता है प्रेम में सा ता होती है ये आडंबर वाला प्रेम नहीं होना

41:03चाहिए पाच पाच हो गया हो गया सातवा

41:10है कि अगर क्रोध आ

41:17जाए तो मालूम है कि क्रोध के बाद लड़ाई होगी झगड़ा होगा ये बात और आगे ना

41:24बढ़े इसलिए हमें जब ऐसी कोई परिस्थिति आए

41:30तो व स्थान छोड़ देना चाहिए वहां से हट जाए बाहर चले

41:37जाए आश्रम में चले जाए मंदिर में चले जाए बाजार में चले जाए पार्क में चले जाए या

41:45किसी दोस्त के घर चले जाए जब स्थान परिवर्तन होगा तो वायुमंडल

41:52परिवर्तित हो जाएगा और क्रोध से हम बच जाएंगे

41:58क्रोध इतना घातक है आए दिन पति पत्नी में

42:04लड़ाई होती रहती है अब देखिए विदेशों

42:09में शादी के चार पा साल के बाद ही अधिकतर तलाक हो जाता

42:15है और भारत में सात जन्मों की बात की जाती है एक जन्म

42:22सात जन्म जन्मों का हमाराय भाई बंदन है करते है इसका क्या कारण है तो इसका कारण

42:29यह है कि विदेशों में विवाह के बाद पति पत्नी 24 घंटे साथ रहते हैं घर में साथ

42:38रहेंगे दफ्तर में काम करने जाएंगे साथ में रहेंगे रास्ते में भी साथ ही रहेंगे गाड़ी

42:45पर घूमेंगे मार्केट में जाएंगे पिकनिक मनाने जाएंगे पार्क में जाएंगे कहीं भी

42:50जाएंगे साथ साथ रहेंगे तो उनको प्यार का समय ज्यादा मिलता है तो क्या होता है

42:57उनका प्यार का कोटा जल्दी खत्म हो जाता है और जो प्यार का कोटा खत्म हुआ तो मामला

43:03तलाक पर आ गया भारत में क्या होता है भारत में आए दिन पति पत्नी में रा

43:10झगड़े ही होते हैं बहुत कम ऐसे दंपति है जिनम लड़ाई झगड़ा कभी कभी होता है आए दिन

43:16किसी ना किसी बात पर लड़ जाते हैं मि जाते हैं तो उनका प्यार का कोटा खत्म नहीं होता

43:25जब खत्म नहीं होता तो उसके लिए अगला जन्म लेना पड़ता है अगला जन्म लेना पड़ता है जन्म जम त चलता ता

43:34है लेकिन यह बात केवल कहने से नहीं होता है वास्तव

43:42में हम वो ठीक है प्रेम हो अगर सच्चा प्रेम हो तो इसमें

43:49कोई बुराई नहीं है लेकिन अगर स्वार्थ बस प्रेम हो तो अच्छा नहीं है

43:58स्वार्थ बस ये घातक होता है

44:04जैसे कई कई बात ऐसे बोल देते हैं क्या बोल दिए यह स्वयं को पता नहीं

44:13बाद में पता चल क्या होगा पहले तो बोल देते हैं जैसे एक बार पति पत्नी थे उनका छ

44:20महीने का छोटा बच्चा था संडे का दिन था फ्री थे सोचे की क्या

44:29करें तो चलिए आज फिल्म देखने चलते हैं प्रोग्राम बन गया टाइम भी पास हो जाएगा

44:35मनोरंजन भी हो जाएगा चलिए छोटे बच्चे को लेकर गए सिनेमा हल में जब लाइट बंद हुआ

44:42लाइट बंद करने के बाद ही फिल्म आरंभ होता है क्य अच्छा से दिखाई देगा लाइट बंद हुआ

44:47तो बच्चा डर गया और रोने लगा और होने लगा

44:53तो भाई डिस्टरबेंस तो होगा पति ने कहा चुपका बच्चे को चुप

44:58कराओ कहा कि क्या करे चुप ही नहीं होता है आमतौर पर जब बच्चा रोता है तो माताए दूध

45:06पिलाती है बच्चा चुप हो जाता है दूध पिलाओ दूध पिलाओ जल्दी चुप हो

45:12जाएगा उसने कोशिश किया कहा क्या कर दूध भी नहीं पी रहा है कोशिश तो मैं करही रोते जा

45:19रहा है डर गया है अंधेरे का डर गया है अब उसको क्रोध आ

45:24गया क्रोध के ब इसको एक चाटा मार देखो ये

45:29क्या दूध इसका बाप भी पिएगा चाटा छोटा

45:36बच्चा ठीक नहीं क्रोध की बात होती है तो इस तरह से क्रोध जाहिर है कि हमारा

45:45नुकसान ही करता है आमतौर [संगीत] पर पति पत्नी जब लड़ पड़ते

45:54हैं तो पहला काम किचन बंद आज खाना नहीं

46:01बनेगा बोलचाल बंद कम्युनिकेशन बंद बातचीत ब ये नहीं सोचते हैं कि क्रोध

46:10अभी का है हम कितने दिन बोलचाल बंद रखेंगे भाई कितने दिन खाना पना

46:17रहेंगे अरे क्रोध हमने किया लड़ाई हमने हुई अनपूर्ण माता ने क्या गति किया कि हम

46:24उनका अपमान कर रहे हैं उनके बिना हम कितने दिन रहेंगे एक छत के नीचे कितने दिन बिना बोले रहेंगे

46:32मुला बोल ऐसा कभी भी नहीं करना चाहिए

46:37कम्युनिकेशन अर्थात बातचीत करना कभी भी किसी से ब नहीं करना चाहिए चाहे व घर के

46:44सदस्य हो चाहे बाहर के हो क भी क्यों क्योंकि हम नहीं जानते कि कब किससे कौन सी

46:50जरूरत पड़ जाएगी अगर बोलचाल रहेगा तो उसे हम स अपनी बात क सकते हैं और बोलचाल बंद

46:58हो गया कोई काम पड़ गया तो क्या कहेंगे कौन सा मु लेकर उसे कहे बा च

47:05नहीं बात आ गई समस्या सामने खड़ी हो गई इसलिए बोलचाल ब एक बार ल लड़ाई हो गई पति

47:14पत्नी खाना बंद हो गया पति सुबह क्या करता अपना नहाकर तैयार

47:22होक चले गए ऑफिस ऑफिस में गए तो वहा का धंधे में लग

47:27गए दोस्त मित्र मिले उनका तो क्रोध का भाग गया लेकिन पत्नी तो घर में

47:35थी उसका क्रोध तो सवार था सुबह से चाय नाश्ता नहीं मिला क्रोध और भ भूख में तो

47:43और क्रोध उबलता है ना शाम हुआ पति भूल गया

47:49था फोन किया कि आज खाने में क्या बना रहे

47:54हो यहां तो पूढ़े हुए थ क्रोध में भ रही थी ज

48:00बना पति ने कहा ऐसा करना कि तुम खाकर सो जाना मैं दोस्त के जाऊगा वहा से भोजन करके

48:08लेट से आ अब उसी की बात उस

48:14पर उसने क्रोध को भूल गयान क्रोध सवार हो इसके लिए उसने ऐसी ति

48:24लगा तो बोलचाल इसी तरह से लड़ाई हुई पति पत्नी में लड़ाई

48:31हुई बोलचाल ब हो गया सुबह ट्रेन पकड़ना था पति को बोले कैसे डर था अगर सोया र गया तो

48:38न चली जाएगी कते न छूट ग अब ट्रेन छूटती है की हम छूटते है अ न को जाना था चली गई

48:47छूटेंगे तो हम न छट छ तो तो उसने सोचा

48:53सुबह हम लेट से उठेंगे तो न चली जाएगी हम यही र जाएंगे और पत्नी से कहे कैसे सुबह

49:02जगाना उसने कागज पर लिख दिया सुबह पा बजे की ट्रेन है जगा

49:08देना रख दिया नि हो के सो गया पने पढ़ा

49:13लिखा था कागज पर सुबह पा बजे जाना ठीक सुबह हुआ 6 बजे नी खुली न चली गई अब क्रोध में

49:23और बला हो ग लेकिन मुसे कहे कैसे बोलचाल तो बंद है अब भुन भुना रहे जगा ही नहीं न

49:33चली गई हमारा य नुकसान हरा न दुनिया भर का अपने मु रहे उसे तो

49:38बोले तभी उनकी नजर पड़ी टेबल पर उस पर भी कागज रखा था लिखा था कि पा बज गए सुबह के

49:46उठो नहीं तो ट्रेन चली जाएगी जवाब मिला बोलचाल बंद करने का

49:54खामियाजा तो भुगतना पड़ेगा इसलिए कभी भी बोलचाल बंद नहीं करना चाहिए

50:03क्योंकि हमें भी नुकसान पहुंचाता है दूसरों का तो बाद में पहुंचाएगा क्योंकि

50:09क्रोध पहले हमें जलाता है फिर दूसरों को जलाता है

50:14अब कभी कभी उसके पहले हम यह जान ले की

50:23क्रोध 10 विकारों का समूह है इसका बहुत है

50:28लेकिन मुख्य रूप से इसके परिवार के चार

50:33सदस्य उसका बड़ा भाई है अहंकार बड़ी बहन है जिद पत्नी है हिंसा और

50:42बाप है भ इन चारों से अगर बचे

50:47रहेंगे बड़ा भाई अहंकार बड़ी बहन जिद पत्नी

50:54हिंसा और इन चारों से अगर कम से कम बचे रहेंगे तो

51:01सुखी रहेंगे इनको जानकर पहचान कर बचना चाहिए अब क्रोध में विवाद हो गया लड़ाई

51:09झगड़ा हो गया चलिए यहां तक सीमित लेकिन कभी कभी ऐसा विस्तार हो जाता

51:16हैय मामला कोट कचहरी तक पहुच जाता है एक बार यही

51:23हुआ पति पत्नी में किसी कारण विवाद हुआ लई हो गई क्रोध का भूत दोनों को

51:32पकड़ य और त हो गया अग किसी एक को पकड़े तो काम चल जाता है लेकिन जब दोनों को पकड़

51:39लेता है तो और घातक हो जाता है पत्नी ने सल निकाला फ कर

51:46मारा संयोग था चोट नहीं लगा उसकी हिल ची

51:53होती तो बाल को छूते हु निकल गई फिर भी उसको ला सेंटर से मारा हमको नेको से मारा

52:02क्रोध और आगला शोर हुआ कुछ अड़सी पड़ोसी आ गया सबने

52:09यहा स से मार दिया तुमको और उसको आग में ी डालने का काम करने लगे इसके

52:17पक्ष से भी आ गए हा ठीक कि तुमय लोग इस का इसका भी क्रोध का विस्तार हो गया पानी

52:25डालने के बदले लोग ने पेट्रोल डाला मामला बढ़ते बढ़ते तलाक पर आ गया कचहरी में

52:33मुकदमा दाखिल हो गया तारीख पढने कुछ उनके नाते के साथ जाते कुछ इनके

52:40साथ जाते मामला चलने लगा चलते चलते एक साल

52:45बीत गया बहुत से थक रह ग लेकिन कुछ

52:51रिश्तेदार जो आग में घी डालने का काम करते थे वो साथ जाते थे दोनों पक्ष के लोग

52:57एक साल के बाद दोनों जि पर थे हमको तलाक ही चाहिए तो फला कर दिया ला एक् स्कार हो

53:08सर्केट दोनों को मिल गया य आपका य बात खत्म हो एक साल से सुलगा हुआ

53:17आ अब

53:25बु पू चुका था अब दिन भर के भूखे थे शाम हो गया था

53:32काम भी हो गया था तो कुछ चाय नाश्ता करने के गरज से रिश्तेदार वगर भी वही

53:37रेस्टोरेंट था कचहरी में तो अपना अपना सीट पकड़ लिए पति भी बैठा हुआ था पत्नी ने देखा की

53:46चारों तरफ कहीं कोई कुर्सी खाली नहीं है वो पति के सामने वाला कुर्सी खाली था गई

53:52वही जाकर बैठ ग दोनों

53:58पहल कौन करे परेशानी तो इस बात का है झुके

54:03कौन क्योंकि झुकता वही है जिनके अंदर शक्ति होती है ताकत होती है वो झुकता है

54:10डाल आप झुकाएंगे जो मजबूत होगा वो झुकेगा कमजोर होगा वो टूट

54:15जाएगा तो समस्या य है कि झुके कौन पहल कौन करे किसी ना किसी को तो करना पड़ेगा भाई

54:22और करते भी है लेकि कब जब काम बिगड़ जाता

54:28दोनों तब पति ने कहा कि तुमको पा लाख रुप हमको देने है जने

54:36फैसला किया है मेरे पास तो इस लाख है सोच रहा हूं की व फ ज की मकान तुमको दे

54:44द त पत्नी ने कहा की भाई पाही लाख देने है ले उसकी कीमत

54:52लाख उसने कहा देखो तुम्हारा भी जीवन

54:57और उनकी बेटी थी बेटी बड़ी होगी पढ़ाई लिखाई करेगी तो

55:02खर्चा तो लगा यह सोच उस दिन कहा ी जो अब सोच रहे

55:11हैं यह सोच अगर उस दिन होता मामला य तक पचता नहीं प ने भी कहा कि तुम भी

55:22कितने दुबले हो गए तुम खाने पीने में लापरवाही करते हो खाया

55:30पिया करो ये बात उस दिन कहां था जब सडल फेंक कर

55:36मारा दोनों एक दूसरे के दुख सुख की बात करने

55:44लगे तब पति ने कहा कि मेरे मन में एक बात आ रही है लेकिन सोच रहा हूं कि कहू न कहू

55:52तुमको अच्छा लगे ना लगे पत् ने कहा कि कहा ही हो सकता है कोही बात हमारे मन में भी

56:00हो तब कहा पति ने कि मैं सोच रहा हूं क्यों ना हम लोग फिर से एक साथ

56:05रहे क्योंकि हमारे बिना तुम अधुरी हो तुम्हारे बिना हम

56:11अधूरी पत्नी ने कहा कि ठीक है यही बात मैं भी सोच रही फिर कहा पति ने कि ये सर्टिफिकेट जो

56:18मिला है इसका क्या होगा जज ने तो फैसला कर दिया कानून हम लोग अलग हो गए तो कहा कि

56:24इसको अभी फाड़ तक फेंक देते दोनों ने एकही साथ पेट फड़ा रिश्तेदार दूर

56:31से देख रहे हैं क्या हो रहा है ये तो हमारे ों का मेनत पानी फिरने वाला वो देख रहे हैं और

56:39दोनों पति पत्नी उठे हाथ में हाथ पकड़ा र की चल देखते

56:45र य यह समझ तो ठीक लेकिन समय बिता करके य

56:50समझ आया तो उसका क्या उचित इतने सालो में समय व्यर्थ गया धन

56:59व्यर्थ गया शक्ति संकल्प गया दिमाग में दुख गता हदय में दुख क्लेश हुआ क्रोध की

57:08अगनि में जलते रहे व तो वापस नहीं होगा बात वही थी वही पहुच गई लेकिन बीच में जो

57:16दिक्कत हुआ वो तो परेशानी हो गई इसलिए हमें सो समझ कर चलना चाहिए और ऐसी

57:25परिस्थिति न आए कि हमें बाद में पछताना पड़े इसलिए इन बातों का अगर हम ख्याल

57:33रखेंगे तो क्रोध से हम मुक्त हो सकते हैं यह कोई असंभव बात नहीं है बस सिर्फ हमारे

57:41द प्रतिज्ञा की है कि हम क्रोध नहीं करेंगे और कोई बोलता

57:49है तो मन में क्या सोचे मैं कुत्तो के मुह नहीं लगता मुख से मुख से बो तो हो जाएगी मन में

57:59संकल्प करे मन कुतो के मुख नहीं लगता क करते है

58:06मनता चुप हो जाएगा बात खम हो जाए इसलिए हमें इस बात से परहेज करना

58:14चाहिए जीवन सुखमय रहेगा इसलिए कहा कि ना मुझे पीने का शौक था ना मुझे

58:24पिलाने का शौक था ना मुझे पीने का शौक था ना पिलाने का शौक

58:31था मुझे तो सिर्फ नजर मिलाने का शौक था पर

58:36मैं नजरे उन्हीं से मिला बैठा जिनको नजरों से पिलाने का शौक ओम शांति

58:45[प्रशंसा]

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