क्या मनुष्य आत्माएं लाखों योनि में भटकते हैं..जानिए सच क्या?

क्या मनुष्य आत्माएं लाखों योनि में भटकते हैं.. जानिए सच क्या हैं।

क्या मनुष्य आत्माएं लाखों योनि में भटकते हैं.. जानिए सच क्या हैं।

नमस्कार दोस्तों!

आज हम एक ऐसे विषय पर बात करेंगे जो सदियों से लोगों को मोहित करता रहा है: आत्मा का पुनर्जन्म।

हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म सहित कई धर्मों में यह मान्यता है कि मृत्यु के बाद आत्मा एक नए शरीर में जन्म लेती है।

यह जन्म योनि (जीवन) के प्रकार पर निर्भर करता है, जो पिछले जन्मों के कर्मों से तय होता है।

कई लोग मानते हैं कि मनुष्य आत्माएं eighty four लाख योनि में भटकती हैं,

जिसमें विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु, पौधे और यहां तक कि निर्जीव वस्तुएं भी शामिल हैं।

लेकिन क्या यह सच है?

आइए इस ब्लॉग में हम इस रहस्य का
आत्मा का पुनर्जन्म: क्या यह सच है?

आत्मा के पुनर्जन्म का सिद्धांत वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं हुआ है।
इसके अस्तित्व का समर्थन करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है।

हालांकि, कई लोग ऐसे अनुभवों का दावा करते हैं जो पुनर्जन्म के सिद्धांत का समर्थन करते हैं।

इनमें पिछले जन्मों की यादें, अजीबोगरीब आकर्षण और डर, और अपरिचित भाषाओं या संस्कृतियों का ज्ञान शामिल हो सकता है।

eighty four लाख योनि: एक मिथक या सच्चाई?
eighty four लाख योनि का विचार हिंदू धर्म के ग्रंथों,
जैसे कि गरुड़ पुराण और भागवत पुराण में मिलता है।

इन ग्रंथों के अनुसार,
एक आत्मा को eighty four लाख विभिन्न प्रकार के जीवन में जन्म लेना पड़ता है

जब तक वह मोक्ष (मुक्ति) प्राप्त नहीं कर लेता।
यह संख्या प्रतीकात्मक भी हो सकती है
और इसका मतलब अनंत संभावनाओं की विविधता हो सकता है।

आत्मा का उद्देश्य क्या है?

हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म के अनुसार,
आत्मा का उद्देश्य मोक्ष प्राप्त करना है।

मोक्ष वह अवस्था है जहां आत्मा जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाती है
और अनंत आनंद और शांति का अनुभव करती है।

यह कर्म, ज्ञान और भक्ति के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।

निष्कर्ष:

आत्मा का पुनर्जन्म और eighty four लाख योनि का सिद्धांत
एक जटिल और बहुआयामी विषय है।

इसके अस्तित्व का समर्थन करने के लिए वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं,
लेकिन कई लोग ऐसे अनुभवों का दावा करते हैं जो इन विचारों का समर्थन करते हैं।

आत्मा का उद्देश्य मोक्ष प्राप्त करना है,
जो कर्म, ज्ञान और भक्ति के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।

यह आप पर निर्भर करता है कि आप इन विचारों पर विश्वास करते हैं या नहीं।

अतिरिक्त टिप्पणियाँ:

आत्मा का पुनर्जन्म और कर्म का सिद्धांत नैतिक जीवन जीने के लिए प्रेरणा प्रदान कर सकता है।

यह हमें अपने कार्यों के परिणामों के बारे में जागरूक बनाता है और हमें दूसरों के प्रति दयालु और करुणामय बनने के लिए प्रोत्साहित करता है।

आत्मा का पुनर्जन्म का विचार मृत्यु के भय को कम करने में भी मदद कर सकता है, क्योंकि यह हमें आश्वस्त करता है कि हमारी आत्मा हमेशा के लिए जीवित रहेगी।

यह ब्लॉग आपको आत्मा के पुनर्जन्म और eighty four लाख योनि के बारे में सोचने का एक नया दृष्टिकोण प्रदान करता है।


शुभकामनाएं! *************************************************************************************************

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प्रतिलिपि

0:01[संगीत] होता है

0:08[संगीत] ब्राह्मण

0:13[संगीत]

0:34फिर से पानी नागिन अपनी हिम्मत ना तुम

0:39सुनो [संगीत]

1:05ये सब देवताओं की पूजा [संगीत]

1:28[संगीत]

1:35हमारा विषय है की क्या मनुष्य आत्माएं

1:43लाखों योनि घटती हैं तो

1:49अधिकांश लोगों

1:55वह मान्यता देते हैं की मनुष्य अपने

2:01जीवन कल में जो भी पाप कर्म करते हैं [संगीत]

2:08उसके सजा के रूप में उसके भुगतान के रूप में

2:13वो 84 लाख योनियों में भटकते हैं [संगीत]

2:19अब भटकते भटकते जब उनके पाप कर्म का भुगतान हो जाता है अर्थात सजा पुरी हो

2:26जाती है तो वो उनको पुनः मनुष्य

2:38[संगीत] पक्षियों में जाते हैं भोगना के लिए उसकी

2:45सजा पाने के लिए है लेकिन यह नहीं पता है

2:51की जो भूमिया कर्ण करते हैं उसका भुगतान कब और कैसे होता है

2:58क्योंकि पाप कर्म किया चले गए 84 लाख योनि को भड़काने लगे और उसका को क्या क्या होगा

3:05क्योंकि ऐसा कोई भी मनुष्य नहीं है जो अपने जीवन कल में केवल पाप ही करें

3:15या कोई ऐसा मनुष्य भी नहीं है जो अपने जीवन कल में क्यों नहीं करें

3:23हान मात्रा का अंतर हो सकता है कोई ज्यादा उपकरण करते हैं कोई ज्यादा पूरे कर्म करते

3:30हैं लेकिन पाप और पुण्य दोनों

3:36कान मात्रा कम अधिक हो सकती है तो जब पाप कर्म किया पुरी कर्म किया

3:42तो पाप कर्म के लिए सजा पाए तो पुरी कर्म के लिए भी तो फल मिलना चाहिए

3:48[संगीत] अब प्रश्न ये उठाता है यह 84 लाख

3:56योनियों की बात कहां से ए गई तो उसके लिए कहते हैं की अबकी पास ना पड़े

4:13जो युद्ध कीड़ा में उपयोग किया जाता है उसे पर नंबर लिखे हुए होते हैं

4:20और उसको फेंकते अगर सही नंबर पद गया

4:25तो जीत हो गई और अगर गलत नंबर पद गया तो

4:31हर हो जाती अर्थात जीत और हर का खेल

4:36है उसी तरह से मनुष्य का जीवन भी यह हर और जीत का खेल है

4:45इसलिए कहा की मायावती

4:52कर लेते हैं उनकी विजय होती है और जो माया रावण से हर जाते हैं की हर हो

5:00जाती है [संगीत] तो कहा की अबकी पासना पड़े अर्थात इस बार

5:07इस बार गमन का भी होता है की पूरे कल्प में एक संगम का ही ऐसा समय है

5:14जिसमें हम अपने पुरुषार्थ के बनकर अपने भविष्य के pravakdo को श्रेष्ठ बना सकते

5:20हैं तो अब की माने इस समय जो होगा मिला है दिया है परमात्मा ने अगर इस बार हमारा पास

5:28सही नहीं पड़ा तो फिर मत बन होता है देखना 84 जन्मों को देखना पड़ेगा अर्थात 84 जन्म

5:37में आना पड़ेगा अर्थात पूरे कल्प का इंतजार करना पड़ेगा

5:43अब बात ए गई की भाई तू लाख मुंडला कैसे का

5:50अंग्रेजी में अगर लिखेंगे तो स्पेलिंग होगा

6:05[संगीत]

6:20हमें सिर्फ इतना

6:25कम लाख की बात ए गई

6:37मनुष्य जो भितरवार था पाप कर्म करते हैं

6:43उसको खत्म करने के लिए सजा के रूप में 84 लाख योनियों में भटकते भटकते जब उनका

6:51सारा पाप खत्म हो जाता है सजा भोग लेते हैं तब उनको मनुष्य का जन्म मिलता है

7:00[संगीत] अब प्रश्न यह है की जो भी हमने पाप कर्म

7:06किया उसका तो 84 लाख में भटक करके हमने उसका भुगतान कर दिया सजा समाप्त हो गई अब

7:15जो मनुष्य का जीवन मिलेगा वो तो सुगन होना चाहिए 1800 श्री

7:22साली होना चाहिए लेकिन ऐसा होता नहीं है क्यों

7:29क्योंकि अधिकतर देखा जाता है बहुत सारे बच्चे

7:35जन्म लेते ही कोई कम कोई रुला कोई लंगड़ा

7:41कोई बीमार कोई अंधा कोई गंगा कोई बड़ा

7:49यूट्यूब पैदा हो जाते हैं उसे बच्चे ने गर्भ में ऐसा कौन सा पाप

7:55कर्म कर दिया [संगीत] सजाई ना है कोई पागल हो जाता है पागल ही

8:03जन्म मिलता है इसका जवाब किसी के पास नहीं

8:10कोई नहीं जवाब दे सकता की जब एक बार पाप कर्मों का सजा का लिया है फिर ये सजा

8:17क्यों जैसे लोग की दुकान में कोई अगर कोई पाप कर्म करते हैं कोई अपराध करते हैं

8:24है तो जज उनको फैसला सुनते हैं की भाई आपको इतने दिन का सजा दिया जाता है

8:31अब उसे सजा जब काट कर की जेल से बाहर आते हैं तो फ्री होते हैं अब उनको कोई सदा नहीं

8:39भोगनी पड़ती है उसी तरह से जब सजा प्राप्त कर लिया की सजा क्यों

8:44इसका जवाब नहीं है इसलिए की ऐसा होता ही नहीं

8:50क्योंकि अगर ऐसा होता तो ऐसा नहीं होता बच्चा जन्म लेते कोई भोगना की स्थिति में

8:57नहीं आता [संगीत]

9:05गलत है तो फिर क्या होता है तो फिर यह होता है की मनुष्य आत्मा जब शरीर छोड़ती

9:13है मनुष्य का उसे मनुष्य का शरीर ही प्राप्त होता है

9:22जैसे आम की गुठली जमीन rupenge तो उसमें श्याम का पौधा निकलेगा उसमें आम के फल लगेंगे

9:30अमरूद का बी boyenge तो उसमें अमरूद का पेड़ निकलेगा अमरूद का फल मिलेगा केले का

9:38लगाएंगे तो केले का मिलेगा तो जाऊंगा ऐसा नहीं होता है की

9:43[संगीत] और उसमें अमरूद निकल जाए ऐसा तो नहीं होता

9:49उसी तरह जब मनुष्य की आत्मा सर्वश्रेष्ठ होती है

9:55तो मनुष्य का ही शरीर धारण करती है

10:01अब प्रश्न ये है की भाई हम

10:07पशु पक्षी योनियों को भोगना की योनि कैसे कर सकते

10:16[संगीत]

10:32[संगीत]

10:38कैसे कर सकते तो किसी भी पशु पक्षी को अगर देखा जाए

10:45तो कोई दुखी वही है क्योंकि जो ही जीव जिस योनि में है उसको

10:53वह योनि ही प्रिया है उसी ने कुछ

10:58है जैसे बैल है तो बैल का कम है

11:06वो दौड़ेगा सवाल को बिठा करके वो अपना कम करते हो

11:13किसी भी पशु पक्षी को तो यह एहसास नहीं होता की भाई हमने कोई पाप गर्म किया होगा

11:18तो यह हमको योनि मिली ऐसा मनुष्य के साथ होता है

11:25तभी मनुष्य को जब कोई दुख होता है तो कहते हैं की भाई की होंगे किसी जन्म के

11:32पाप करोगे अब भोग रहे हैं या जब सुख होता है तो कहते हैं की किए

11:39होंगे किसी जन्म में वैसा पुनिया करू की आज हम सुख का जीवन जी रहे हैं इन महसूस

11:45महसूस के लिए और एहसास होता है वो मनुष्य कोई होता है पशु पक्षियों को नहीं होता

11:54मैन लीजिए की अनाज में कीड़े मकोड़े पद जाते हैं इसको

12:00घूमता जाता है पद गए तो क्या करते हैं उसे अनाज को धूप में फैला देते हैं

12:11धूप पड़ेगी तो मार जाएंगे अलग हो जाएंगे लेकिन ऐसा देखने में आता है

12:18की वो क्रीड़ा होती है गर्मी बढ़ती है तो अपने जीव की

12:27रक्षा के लिए उच्चारण होता है अगर उसको लगता की भाई हमारा जीवन तो बड़ा

12:33निर्दिष्ट है हम मार जाएंगे इस शरीर छूट जाएगा दूसरी

12:40अच्छी लेकिन वो ऐसा नहीं सोच सकते क्योंकि उसी में खुश है तभी तो अपने जिम को बचाने के लिए भाग रहा

12:46है उसी तरह से [संगीत]

12:52हर जीव अपने जीवन की रक्षा करता है नाली का किया सबसे लेटेस्ट जी उसको अगर

13:00बाहर निकल देंगे तो छठ पाना नहीं लगेगा पूरा नाली में ही जाएगा

13:07इससे यहीं से होता है की यह पशु पक्षियों का जीवन

13:14भोगना का जीवन नहीं है भोगना का जीवन तो मानव जीवन ही है जैसे

13:22सुबह होता है तो आकाश में लालिमा ए जाती है

13:29और शाम होता है तब भी आकाश में लालिमा ए जाती

13:34लेकिन दोनों लालिमा में फर्क होता है सुबह चिड़िया

13:44आकाश में उठाती हैं यानी खुशियां मानती क्योंकि सुबह की लालिमा यह बताता है की

13:52अभी उठने का समय है तो खुशी मानती है

13:58और शाम के लालिमा यह संदेश देती है की दिनभर हमने खूब खुशी मेंस किया खाया पिया

14:06अब यह विश्राम का समय है तो भी चिड़िया चाह चाहती है इस संदेश देती है की चलो

14:13घोसले की तरफ जाते यह जहां

14:21इस बात को दर्शाता है की उनकी जीवन में कोई दुख है नहीं

14:36इसे गे है [संगीत]

14:41अपने बछड़े को दूध पिलाती है जंगली करती है उसको चाटती है

14:49वो भी तो पूछ रहा है फिर भोजन करता है फिर विश्राम करता है

14:58घोड़ा दौड़ता है वो भी उसका स्वभाव है मछली पानी में तैरती है वह भी उसमें खूब

15:04है मस्त है किलर करते हैं जब बदल लगता है तो मोर अपना पंख फैला करके

15:10नाच करता है डांस करता है ये भी खुशी का प्रतीक है यहां कहीं भी देखें तो ऐसा नहीं लगता की

15:19ये पशु पक्षियों के लिए मजबूर की यूनिक भोगना की होनी

15:24अब इसका प्रमाण क्या इसका प्रमाण यह [संगीत]

15:31है की किसी ने भी ऐसा नहीं सुना की कोई भी पशु कोई भी पक्षी कोई भी कीड़ा

15:40मकोड़ा अपने जीवन से अभ करके सुसाइड करता हो सुसाइड बाल कहते हैं की आत्महत्या

15:47आत्मा हत्या नहीं होती है क्योंकि आत्मा तो अजर अमर अविनाशी है जीव हत्या कहा जाता

15:53है है तो स्वयं से अपने जीव की हत्या ऐसा कोई नहीं करता कोई पशु पक्षी

16:00वो कौन करते हैं मनुष्य करते हैं मनुष्य जो अपने जीवन से दुखी हो जाते हैं

16:06आसान तो हो जाते हैं इतने थक जाते हैं की उसे शरीर को त्यागना

16:11चाहते हैं और स्वयं अपनी हत्या स्वयं कर लेते हैं इससे क्या शुद्ध होता

16:17है की भोगना का जीवन मनुष्य का है पशु पक्षी की पदों का नहीं है

16:27अब प्रश्न यह उठाता है की भाई

16:34अब पशु पक्षियों में जाना [संगीत]

16:44अगर पिछले जन्म में पुण्य कर्म किया हुआ है तो उसका फल भी भोक्ता है

16:50और एहसास भी करता है और पाप कर्म किया है उसका भी दंड भोक्ता

16:57है उसको भी एहसास करता है वे एहसास करना माना की स्थिति

17:04अब प्रश्न यह होता है की भाई तो क्या हम जो पाप कर्म करते हैं

17:13उसका दंड नहीं मिलता मिलता है

17:19उसका भी फल मिलता है पाप कर्म करते उसका भी फल मिलता है लेकिन मनुष्य योनि में ही

17:26मिलता है [संगीत] अब प्रश्न उठाता है की भाई ये बात कहां से ए गई

17:31[संगीत] की मनुष्य अपने पापों का सजा

17:36पशु पक्षियों के रूप में करता है

17:42[संगीत] की जैसे मनुष्य

17:49भोज होता है [संगीत]

17:55तो यह तो जानवर की तरह

18:04से कम कर रहा हूं तुम लोगों के लिए अपने परमात्मा को कहते हैं मजबूरी में बाल की

18:09तरह से फैट रहा हूं कम कर रहा हूं तुम लोगों के लिए

18:15और गधे की तरह से मैं बोझ हो रहा हूं [संगीत]

18:20इतना कम है की मुझे घोड़े की तरह से दौड़ना पड़ा है इस वजह से का दिया की मनुष्य

18:28पशु पक्षियों की योनि में जाकर की सजा पाते हैं पाते हैं मनुष्य योनि में लेकिन

18:34मैन पशुओं की तरह से कम करने की वजह से रिपोर्ट्स में भेज दिया को गए उसमें सजा भोगने की

18:43पशु पक्षियों की जोड़ी

18:52जिनकी वाणी बड़ी कड़वी होती करबा होता है किसी को अच्छा नहीं लगता

18:57[संगीत] है तो

19:03यह अब कोई सांप तो है नहीं मनुष्य ही है लेकिन उसकी वाणी इतनी कड़वी है कौन जहर की

19:10तरह से महसूस होता है और ऐसे भी लोग हैं जो ऐसे बोल बोल देते हैं जो बिच्छू के डंक

19:18की तरह से कष्ट देता है दुख देता है

19:23की दर की तरफ अगर कुछ चढ़ता हृदय में चोट लगता है

19:34सांप की तरह [संगीत] अपने वाणी की वजह से इसलिए का दिया की

19:41मनुष्य भोक्ता है पशु पक्षी की पतंग में योनो में घटित हुए जबकि ऐसा होता नहीं

19:51मनुष्य जो भी कर्म करें

19:58एक दृष्टांत आता है यह दृष्टांत उन लोगों का है

20:06की मनुष्य दुख के लिए पशु पक्षी बनते हैं

20:12तो कहते हैं की एक पंडित जी द जो बहुत ही बड़े jyotsa आचार्य

20:20होता है जिसके आधार पर वो किसी के भूत तो भविष्य वर्तमान की बातें बता सकते हैं

20:26बताते भी द क्योंकि बहुत बड़े विद्वान एक बार उन्होंने अपने ऊपर गणना किया

20:35की हमारी स्थिति क्या होगी [संगीत] तो उन्होंने देखा की जो हमारा शरीर छूटेगा

20:43तो हमारा जन्म से होगा बड़ा दुखी हो गया

20:52[संगीत] तो उन्होंने कहा अपने बेटे को बुलाकर की

20:59देखो जब हमारा शरीर छूटेगा तो मैं फैला के घर में सूअर की गर्भ से जन्म लूंगा

21:07तो तुम ऐसा करना की हमको मार देना ताकि मुझे उसने किस्त योनि से मुक्ति मिल जाएगी

21:16बेटे ने कहा की ठीक

21:25वो पता करता आदमी के घर सूअर कब बच्चा देने वाली

21:32एक दिन उसको पता लगा की भाई उसके घर सूअर में बच्चों को जन्म दिया

21:39वो गया हत्यार लेकर के काटने के लिए

21:44तो पूछ लिया था अपने पिता से पहले ही की भाई सूअर के तो गई बच्चे होते हम

21:49पहचानेंगे कैसे की आप कौन हैं तो हमें पहचान बताया था की उसके सर पर

21:56सफेद टीका का चिन्ह होगा समझ लेना की वही मैं

22:02तो देखा की हर बच्चों में तो नहीं एक बच्चा ऐसा है जिसके सर पर टिप्पणी का

22:08निशान है वो हथियार लेकर उनको काटने के लिए गया जब

22:13उसे बच्चे ने देखा की भाई ये तो हथियार लेकर करने के लिए ए रहे हैं तो उसने कहा

22:18की बेटा मैंने तुमसे कहा जरूर था की मुझे काट देना था की

22:27मुझे मिल जाए लेकिन मत काटो क्योंकि हमें अब यह जीवन ही प्रिया है हमको बड़ा अच्छा

22:34लग रहा है इसलिए मत कार्टून मुझे छोड़ दो

22:39भाग देना इससे भी सिद्ध होता है की जो

22:45जोड़ी में जन्म लिया उसको वो जॉनी ही प्रिया है

22:53इसलिए उसको भोगना की योनि हम

22:58भोगना की सब अपने मस्त है पक्षी उद रहे हैं

23:06हिरन दौड़ रहे हैं अपना मस्ती में घूम रहे हैं सारे

23:24अब प्रश्न यह उठाता है की भाई

23:30हम ऐसा क्या करें हम को ऐसा क्या करना चाहिए

23:36की हमारे पाप कर्म जो अनजाने में भी हो गए हैं वो खत्म हो

23:47जाए ताकि हम पुण्य कर्म का श्रेष्ठतम होगी

23:57पापों का प्रायश्चित करना ही होता है

24:03[संगीत] जब तक करते हैं यज्ञ करते हैं हवन करते

24:11हैं आधी आधी करते हैं की हमारे बाप काटें कम हो

24:17इसका ये उपक्रम करते हैं [संगीत] तो

24:23ऐसे भी कुछ मनुष्य हैं [संगीत] जो इसकी परवाह नहीं करती

24:29चलो कर लो जो करना है देखेंगे जब होगा

24:34और देखने की बात आती है जब बढ़ता है परिस्थितियों आती है दुख होता है तब

24:40चिल्लाते हैं रोते हैं जो अपने परिवार में समाज में

24:49नौ मिटाने दुबे हुए हैं की उसके अलावा कोई उनको चिंता ही नहीं है

24:56उसकी बात सोचते भी नहीं है की जो जीवन हमको [संगीत]

25:02मिला चाहे श्रेष्ठ मिला कहने कृष्ण मिला पूर्व जन्म के कर्मों के फल के आधार पर

25:07मिला और अगला जीवन होगा वो भी जो हम इस समय कर्म उसी का रथ मिलना

25:13[संगीत]

25:21के माध्यम से समझेंगे की एक गांव में [संगीत]

25:28एक पंडित जी का परिवार था पंडित

25:37[संगीत] पंडित जी ने नौकरी किया रिटायर हुए बहुत

25:43सारा धन मिला उन्होंने [संगीत]

25:50अबू घर पर ही रहते द कहीं जाते जाते नहीं द पूजा पाठ भी नहीं करते द तो पढ़ रही है

25:55लेकिन पूजा पाठ में कोई उनकी उचित थी नहीं उनकी अपने मकान में इतना मोह था महमूद तो

26:02था दरवाजे पर बैठ जाती कोई भी आता जाता है या इसने देखिए ये

26:08[संगीत]

26:15मकान बस इसी में मस्त इन अपने बहू में बेटों में इतनी व्यस्त थी

26:24की उनके अलावा कोई फुर्सत ही नहीं था की भाई मुझे और भी कुछ करना चाहिए वो भी कोई

26:30पूजा पाठ नहीं करती तो कहा की कलयुग में एक नाम आधा

26:36अर्थात कलयुग ऐसा दामों प्रधान समय होगा

26:41जिसमें किसी का मैन अच्छे कर्मों की तरफ जाएगा ही नहीं

26:48उसमें इसलिए कहा की केवल एक बार भगवान का नाम भी दे लिया प्रेम से

26:55तो कुछ फल मिल जाता लेकिन पंडिताई एक बार भी भूल कर भी भगवान का नाम नहीं

27:05समय बीट रहा उनके बेटे बड़े लाइट द उन्होंने मीटिंग किया और कहा की भाई हमारी

27:13माता जी तो कभी भगवान [संगीत]

27:20तुम कहो हम तुम कहेंगे [संगीत] तो उनको चिंता हुई भाई इसकी क्या स्थिति

27:28होगी क्या दुर्दशा होगी मीटिंग किया तो कहा की ऐसा करते हैं की गांव में एक

27:35मंदिर था सीताराम का इसमें हनुमान जीते और देवी

27:41देवता लोग भी द

27:47और पूछते हैं की यह क्या है [संगीत]

27:53इस बहाने तो एक बार भगवान का नाम ले लूंगी कहा की ठीक है

28:00बोलो माताजी को ले गए और कहा की माता की ये क्या है उन्होंने कहा की देखो जहां गांव होता है

28:07उसे गांव में ऐसा भी होता है और बेटे बड़े चिंतित हुई तो कहा ही नहीं

28:14भगवान है हमें नहीं है तो कहा की इसको अंदर ले चलते हैं और पूछते

28:19हैं की यह किसकी प्रतिमा है तो बताएं सीधी सीता जी की हनुमान जी की प्रतिमा है

28:25उसे बहाने भी नाम ले लेंगे तो वो लोग अंदर ले गए

28:30पूछा की माताजी में क्या है तो कहा की बेटे जहां गांव होता है उसे गांव में ऐसा

28:38भी होता है और जहां ऐसा होता है उसके अंदर ऐसा भी होता है

28:44अब क्या करेंगे महीना

28:51क्या करें कुछ दिन के बाद

28:56माता जी का शरीर छूट गया तो फिर बच्चों ने मीटिंग किया की अब क्या

29:03करें इसमें तो कभी जीवन में भगवान का नाम भी नहीं लिया इसकी क्या दशा होगी

29:10तब भाइयों ने लाइक किया [संगीत] की उनके अस्थि को हम हरिद्वार में

29:17विसर्जित करते हैं हो सकता है कुछ इनकी दशा सुधार जाए

29:40तो उनको दिल्ली से हरिद्वार के लिए ट्रेन बदलनी थी [संगीत] वह दिल्ली में तो शाम हो चुका था ट्रेन जब

29:48पहुंची सोचने की पता कर लें की हरिद्वार के लिए

29:54कब ट्रेन है तो अभी इधर उधर देखा ही रहे द तब तक उनका

30:02एक बहुत ही खास तो ये मित्र मिल गया जो बहुत पुराना मित्र था बचपन का

30:11उन्हें बताया मैं जा रहा हूं हरिद्वार माता जी की अस्थि को भी सालिक करने के लिए

30:18तूने कहा की भाई तुम तो बहुत दिनों के बाद मिले हो तो एक कम करते हैं हमारा क्वार्टर स्टेशन

30:25के पास ही है चलो आज रात को ही रहो सुबह मैं तुम्हें हरिद्वार का ट्रेन पकड़ा

30:31दूंगा और चली जाना अपना कम करना तो उन्हें सोचा भाई थी कही है चलिए कहां

30:37भटक गए प्लेटफार्म पर तो उनके साथ चलेंगे घर पहुंचे तो चाय दस्ता हुआ

30:44बातचीत हुई शादी पुरानी बातों को उन्होंने यही एन होता है पुराने दोस्त मिलते हैं तो

30:49सारी पुरानी बातों को दिक्कत शुरू हो जाता है भोजन हुआ सब लोग सो गए आराम से

30:57सुबह हुआ

31:06मिश्रण को हरिद्वार करके पकड़ा दिए हरिद्वार

31:13तब हरिद्वार क्योंकि

31:19ऊपर पंडित होते हैं उनके पास सबका लिस्ट होता है कौन से क्षेत्र के कौन जजमान है

31:26वो हमारे हैं लिए कैसे चलें उन्होंने कहा की भाई माताजी के 80

31:32विसर्जित करने के लिए आया हूं ठीक है लिए लिए बिठाया अपना पूजा पाठ शुरू हुआ

31:40पूजा पाठ खत्म हुआ तो कहेंगे निकालो [संगीत]

31:54[संगीत]

32:08डबरा है ही नहीं

32:14है तो दक्षिण हो जाओगे [संगीत]

32:33स्टेशन में भी उतारे में लग रहा था लग रहा है की घबरा कहीं दोस्त के घर तो

32:40नहीं छूट गया चलते हैं देखते अगर लग रहा मिल गया तो गुनाह भी

32:47तो दोस्त के घर गए तो दरवाजे पर ही दोस्त मिल गए

33:10[संगीत] उनके घर आते हैं तो उनका

33:17विश्वास हो गया की हमारी पत्नी का ही कम है निकलने रख दिया होगा

33:24तो गैर पूछे गरीब भगवान जो कल हमारे मित्र आए द उनकी झोली मेरी डबरा

33:35काश उसी को तो हम खोल रहे हैं कहां है क्या हुआ क्या हुआ अरे हम लोग हैं

33:45लहसुन प्याज नहीं खाती और ये आपका हड्डी लेकर चला आया हमारे मंडप को शुद्ध कर दिया

33:52सुबह हमने कई बार गंगा जल कर शुद्ध किया हो फिर आएगा तो उसे

33:58भाई थोड़ा

34:03क्या तू कल की दारा क्या मैं अलमारी में रखूंगी

34:10ओ हड्डी का डबरा उसको मैंने गटर मुट्ठी

34:18आए दोस्त से दूसरे कहा की दोस्त कुछ कहने की जरूरत नहीं मैंने सारी बातें सन लिया

34:24है अरे जो जीवन में एक बार भगवान का नाम नहीं लिया

34:30उसका स्थान तो गठबंधन होगा तुम्हारे पत्नी का दोस्त नहीं है जाने दो

34:35क्या करें भाषा मैन कर के घर वापस आया सामने पूछा की नहीं भाई कम संपन्न हो गया

34:48ठीक है बात आई गई होगी अब कुछ दिन के बाद

34:55उनके पिताजी अर्थात पंडित जी का ही शरीर छूट गया [संगीत] फिर मीटिंग किया बच्चों ने अब क्या किया

35:02जाए तो बच्चों ने मीटिंग किया की पिताजी तो

35:08कहीं से बाहर निकले नहीं पूजा पाठ भी नहीं किए कोई मंत्र का जाप भी

35:14नहीं की इनकी भी तो वही दशा है क्या किया [संगीत]

35:20जाएगा लेकिन एंटनी होगा की इनकी अस्थि को डिब्बे में नहीं डिग्री में भरकर छोटे

35:28डिग्री परिवार के साथ ताकि रास्ते में कोई

35:34गड़बड़ी हो बड़े भैया कम [संगीत] यूके तैयार हो गए

35:43सब से रखा उसको अस्थिर निकले घर से गए हरिद्वार

35:54[संगीत] आए हो

36:03[संगीत] हान पंडित जी है कोई बात नहीं ठीक है

36:09अपना पूजा पाठ शुरू हुआ तो बहु ने राय किया

36:16की जब तक पूजा हो रहा है तो क्यों ना हम लोग स्नान कर ले बड़े भाग्य से तो

36:22हरिद्वार

36:28जो थी अभी नई हवेली थी ये बड़ी से कहा की दीदी यहां बहुत सारी

36:36लोग हैं और यहां नहाने में हमको शर्म लग रही है अगर आप अनुमति दें तो घाट से थोड़ी

36:44दूर है कर के मैं स्नान कर लूं कहा की कोई बात नहीं कर लो हम लोग यहां

36:49शान करते हैं तुम हान थोड़ा है करके करो और सुना घाट से दूर है

36:56कर स्नान करने लगे शान करते हैं तो अर्न देते हैं पानी हासिल

37:03करके वो जब डुबकी लगाकर निकली

37:09तो हाथ जब ऊपर किया [संगीत]

37:15तो उसके हार्दिक हुआ यह कहां से पंडित ने प्रवाहित किया जल

37:21में चलते [संगीत] चलते और vishle समझा

37:27की गंगा जी बड़ी प्रसन्न है हमको प्रसाद दिया कितने अच्छा प्रसार दिया देखो

37:33ओ क्या की उसको लेकर के आंचल में गांठ में बांधकर के रखिए

37:39किसी से बताएंगे की नहीं बता देंगे और जो हमारी बड़ी दीदी की थानी

37:47है वो भी उसमें hijamani की हमको भी चाहिए प्रसाद

37:55दूसरे में कुछ कहा नहीं किसी से और वापस

38:02अब घर आने को ऐसा होता है कहीं लोग जाते हैं तो एक pratibhoj रखते हैं और कथा वगैरा

38:11सुनते हैं तो उसी का कार्यक्रम था लोग व्यस्त द अपना सब तैयारी कर रहे द

38:17तब तक बड़ी ने छोटी से पूछा की तुम तो पहली बार गई हो हरिद्वार

38:23कैसा महसूस हुआ कई की दीदी पूछिए अरे हमको देखना अच्छा महसूस हुआ

38:33और गंगा जी हम पर इतने प्रसन्न थी की हमको बड़ा अच्छा उपहार दिया उन्होंने कहा की

38:38अच्छा जरा हम भी देखें [संगीत]

38:45वो ही dipriya अस्ति वाली इसके पास ए गई

38:50सर पकड़ ली और अपने पति से कहा की इधर लिए उसने कहा रे भाई मैं तैयारी कर रहा हूं

38:59आज कथा पूजा पाठ इधर है क्या इधर लिए

39:06जल्दी लिए [संगीत]

39:20[संगीत]

39:31तुम घर से बहुत प्रेम था घर से परिस्थिति वह भी लड़के ने हाथ माता पकड़ लिया क्या

39:38करें भाई जिसके तकदीर में है उसको मिलेगा परिवार के लोग सभी संबंधी क्या करेंगे जो

39:46कर्म करेंगे हमें उसका भुगतान करना कोई दूसरा उसमें कुछ कारण नहीं सकता

39:53तो यह हालत है कुछ लोगों का जिनको भक्ति

39:59की तरफ परमात्मा की तरफ कोई लगाव नहीं कोई खिंचाव नहीं अपने कर्मों कोई अटेंशन नहीं

40:06तो उनकी दशा तो यही होगी इसलिए कहा

40:12की अगर आनंद में है तो क्यों उदास नहीं अगर आनंद में है तो क्यों उदास है और मछली

40:21जल में है तो क्यों प्यास है मछली जल में है तो

40:27ओम शांति

40:36[संगीत]

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